- रेलवे बोर्ड ने जीडीसीई कोटे की रिक्तियों पर जोनों से मांगी राय
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे में रिक्त पड़े 50 फीसदी पदों को सरेंडर करने की कवायद के बीच यह बात सामने आयी है कि कई जोन जीडीसीई के तहत 25 फीसदी पदों पर योग्य रेलकर्मियों की पदोन्नति को लेकर गंभीर नहीं है. बीते दो साल में जीडीसीई (जनरल डिपार्टमेंट कंप्टीटिव एक्जामिनेशन) के तहत रिक्त पदों पर काफी कम संख्या में नियुक्तियां की गयी है. यह संख्या अगल-अलग जोनों में विभागों के अनुपात में भिन्न है. 25 फीसदी प्रोन्नति से भरी जाने वाली रिक्तियों को लेकर रेलवे बोर्ड ने सभी जोनों को दिशा-निर्देश जारी किया गया है. इसमें विभागीय परीक्षा आयोजित करने और रिक्त सीटों को भरे जाने में होने वाली परेशानियों को लेकर सुझाव भी मांगें गये है.
दरअसल, रेलवे में अधिकारी संवर्ग के 75 फीसदी पदों को सीधी नियुक्ति प्रक्रिया से भरा जाता है जबकि 25 प्रतिशत सीटों को जीडीसीई के तहत विभागीय प्रक्रिया में योग्य रेलकर्मियों को मौका दिया जाना है. इसके लिए विभागीय स्तर पर जोन से बहाली प्रक्रिया आयोजित की जाती है जिसमें योग्य रेलकर्मी को अधिकारी का प्रोमोशन पाने का मौका मिलता है. हालांकि इस परीक्षा को लेकर कई जोनों में निष्क्रियता दिखायी जा रही है. बीते दो सालों में 25 फीसदी कोर्ट पर अधिकांश सीटों को भरा नहीं जा सका है. यह स्थिति सभी जोनों में है. कहीं विभागीय खींचतान तो कहीं न्यायिक प्रक्रिया के कारण इन पदों पर बहाली प्रक्रिया लटकी हुई है.
हालांकि इसका खामियाजा सीधे तौर पर उन योग्य रेलकर्मियों को भुगतना पड़ता है जो इन पदों के लिए योग्य है. विभागीय स्तर पर भरी जाने वाली इस सीट को लेकर अक्सर पक्षपात की शिकायतें भी सामने आती है और मामला कैट से लेकर कोर्ट तक भी चला जाता है. जो बहाली को प्रभावित करता है. रेलवे में जीडीसीई एक बड़ा माध्यम है जब विभागीय परीक्षा देकर योग्य रेलकर्मी प्रोमोशन के साथ अधिकारी बन सकता है लेकिन उन्हें इससे सीधे तौर पर वंचित किया जा रहा है. रेलवे बोर्ड ने इस स्थिति से रेलवे के दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशन के महामंत्रियों को भी सूचित किया है.
25 फीसदी पदों पर रिक्तियों को लेकर सबसे बड़ी चिंता पदों को सरेंडर को लेकर रेलकर्मियों ने जतायी है. रेलकर्मियों के बड़े वर्ग का यह मामना है कि रेलवे आनन-फानन में उन पदों को खत्म करना चाहता है जिन पर लंबे समय से बहाली नहीं हुई है. ऐसे 50 फीसदी पदों को सरेंडर करने का फरमान जारी हो चुका है जिस पर सभी जोन तत्परता से अमल करने में जुटे है. बड़ी चिंता इस बात की है कहीं लंबे समय से रिक्त इन पदों को भी सरेंडर करने का कोई नया फरमान जारी न हो जाये. अगर ऐसा होता है तो यह उन रेलकर्मियों के साथ बड़ा अन्याय होगा जो लंबे समय से इनकी प्रतीक्षा में हैं.