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बालासोर हादसे जैसी चिंता : ट्रेन गुजरी भी नहीं और चला गया सिग्नल, ट्रैक की सेंसर मशीनों में सामने आयी खामी

रेगुलर ट्रेन चलाने पर रेलवे मौन, आज से चलेंगी क्लोन ट्रेनें, कंफर्म टिकट मिलेगा महंगा

Worried about an accident like Balasore. रेलवे लगातार रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, लेकिन उसके इन प्रयासों को बढ़ा झटका लगता हुआ दिख रहा है. ट्रेनों की आवाजाही पर नजर रखने के लगाई गई सेंसर मशीनों में बड़ी खामियां पाई गई हैं और इंजीनियरों ने इसे लेकर चेताया भी है.

रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए लगाई गई सेंसर मशीन में खामियां मिली हैं. इस मशीन को रेलवे ने अपनी डिजाइन और मानक इकाई आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) द्वारा अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुसार चालू किया था और बाद में अधिकारियों ने इसकी जांच की तो पता चला कि इस मशीन में खामियां हैं. कहा गया है कि यदि इन्हें वापस नहीं लिया गया तो बालासोर जैसी दुर्घटना हो सकती है. रेलवे अपने सात क्षेत्रों में मशीन की तीन हजार यूनिट लगा चुका है.

अधिकारियों ने कहा कि रेलवे द्वारा 5 लाख रुपये प्रति यूनिट की लागत से “खामियों वाली” एमएसडीएसी प्रणाली की लगभग 4,000 यूनिट्स खरीदी गई हैं और उनका आवश्यक परीक्षण किया जा रहा है. एमएसडीएसी (मल्टी सेक्शन एक्सल काउंटर) एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग रेलवे सिग्नलिंग में दो प्वॉइंट्स के बीच ट्रैक के एक सेक्शन की स्पष्ट स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है.

सिस्टम में आम तौर पर एक व्हील सेंसर (सेक्शन के प्रत्येक छोर पर एक) होता है. सेक्शन के अंदर और बाहर ट्रेन के एक्सल की गिनती के लिए एक मूल्यांकन यूनिट होती है. यह मूल रूप से स्टेशन मास्टर को बताता है कि ट्रैक ट्रेन की आवाजाही के लिए खाली है या उसमें ट्रेन आ रही है. पिछले एक वर्ष में आरडीएसओ के इंजीनियरों द्वारा इस सिस्टम को लेकर कई बार चेतावनी दी गई और सिस्टम के निरीक्षण के बाद कम से कम चार गैर-अनुरूपता की रिपोर्ट्स केंद्रीय कार्यालय को सौंपी.

मीडिया रिपोर्ट

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