रेलहंट ब्यूरो
चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने लेह-लद्दाख तक ट्रैक बिछाने की योजना को तेजी से पूरा करने जा रहा है. नई दिल्ली और लद्दाख क्षेत्र को दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन से जोड़ने की योजना पर काम शुरू हो चुका है. यह लाइन भारत-चीन सीमा के पास से होकर गुजरेगी. बिलासपुर-मनाली-लेह रेल परियोजना का काम पूरा होने के बाद दिल्ली से लेह की दूरी मात्र 20 घंटे की रह जाएगी. अभी इसी दूरी को तय करने में 40 घंटे का वक्त लगता है. इस रेल लाइन की ऊंचाई समुद्र तल से 5,360 मीटर तक होगी. वर्तमान में चीन में तिब्बत तक बिछाई गई पटरी की ऊंचाई सबसे ज्यादा है. यह समुद्र तल से 2,000 मीटर की ऊंचाई पर है. 465 किलोमीटर की इस लाइन को बनाने में लगभग 83,360 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इस प्रॉजेक्ट में 74 सुरंगें भी शामिल होंगी. कंट्रोल पॉइंट की पहचान के लिए कुल रेल मार्ग 475 किलोमीटर के प्राइमरी सर्वे का काम पूरा किया गया है.
इस रेलवे लाइन की ऊंचाई समुद्र तल से 5,360 मीटर तक होगी. वर्तमान में चीन में तिब्बत तक बिछाई गई पटरी की ऊंचाई सबसे ज्यादा है. यह समुद्र तल से 2,000 मीटर की ऊंचाई पर है. 465 किलोमीटर की इस लाइन को बनाने में लगभग 83,360 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इस प्रॉजेक्ट में 74 सुरंगें भी शामिल होंगी.
बिलासपुल-मनाली-लेह रेल लाइन का प्रस्तावित खर्च 83,360 करोड़ रुपये है. यह 465 किलोमीटर लंबी लाइन होगी. थोड़ी-बहुत इसकी बराबरी क्विंघाई-तिब्बत रेल लाइन से कर सकते हैं, क्योंकि चीन स्थित यह लाइन भी समुद्री सतह से 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर है. नई रेल लाइन बिलासपुर, सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलांग, कोकसर, डारचा, सरचु, पंग, देबरिंग, उपशी और खारूटो लेह के पहाड़ी इलाकों तक संपर्क बनाएगी. इस रेल लाइन का 51 प्रतिशत मार्ग सुरंगों से होकर गुजरेगा. सबसे लंबी सुरंग 13.5 किलोमीटर की होगी और सुरंगों की कुल लंबाई 238 किलोमीटर होगी. लद्दाख में बनने वाली इस लाइन पर भारत-चीन सीमा के पास 30 स्टेशन होंगे. बिलासपुर और लेह को जोड़ने वाली यह लाइन सुंदरनगर, मंडी, मनाली, कीलोंग, कोकसर, दर्चा, उपशी और कारू से गुजरेगी. सभी स्टेशन हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर के होंगे. इस रेल लाइन से सुरक्षा बलों को काफी मदद मिलेगी. साथ ही लद्दाख क्षेत्र में पर्यटन बढ़ने से इलाके का तीव्र विकास होगा. केंद्र सरकार अगर इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दे देती है, तो ज्यादातर फंड उसे ही देना होगा. इससे लाइन का निर्माण जल्द संपन्न होने की संभावना बढ़ जाएगी.
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