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पश्चिम रेलवे के ऐतिहासिक लोअर परेल कारखाने के गौरव की साक्षी बनी मीडिया

पश्चिम रेलवे के ऐतिहासिक लोअर परेल कारखाने के गौरव की साक्षी बनी मीडिया

मुंबई. पश्चिम रेलवे का लोअर परेल स्थित कैरिज रिपेयर वर्कशॉप भारतीय रेल प्रणाली के सबसे पुराने एवं प्रमुख रेल कारखानों में से एक है, जिसकी स्थापना 1870 से 1876 के बीच की गई थी. पहले यह कारखाना एक सेंट्रलाइज़्ड वर्कशॉप था, लेकिन कालांतर में लोकोमोटिव, रेल डिब्बों और वैगनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी के फलस्वरूप यह कारखाना अनेक परिवर्तनों का गवाह बना.

पश्चिम रेलवे के ऐतिहासिक लोअर परेल कारखाने के गौरव की साक्षी बनी मीडिया

वर्तमान में यह कारखाना विशुद्ध रूप से एक कैरिज रिपेयर वर्कशॉप के रूप में कार्यरत है, जहाँ आईसीएफ एवं एलएचबी रेल डिब्बों के आवधिक अनुरक्षण के काम को अंजाम दिया जाता है. इस कारखाने को गुणवत्ता, स्वास्थ्य, वेल्डिंग, ऊर्जा संरक्षण के मानकों के लिए प्रमाणीकरण प्राप्त है. पिछले दिनों इस कारखाने को दो अन्य महत्त्वपूर्ण प्रमाणीकरण ग्रीनको और एनएबीएल सर्टिफिकेशन के रूप में प्राप्त हुए. इस लगभग डेढ़ सौ साल पुराने रेल कारखाने के ऐतिहासिक गौरव, वर्तमान गतिविधियों और भावी योजनाओं से मुंबई के मीडिया प्रतिनिधियों को रूबरू कराने के लिए शुक्रवार, 26 अक्टूबर, 2018 को पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री रविंद्र भाकर के नेतृत्व में पश्चिम रेलवे के लोअर परेल कारखाने के मुख्य कारखाना प्रबंधक श्री अखिलेश कुमार के मार्गदर्शन में एक मीडिया विज़िट का आयोजन किया गया.

पश्चिम रेलवे के ऐतिहासिक लोअर परेल कारखाने के गौरव की साक्षी बनी मीडियापश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री रविंद्र भाकर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस विज़िट के अंतर्गत मुंबई के 30 से अधिक प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रतिनिधियों ने ऐतिहासिक लोअर परेल कारखाने का व्यापक निरीक्षण किया और वहाँ चल रही विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी हासिल की. विज़िट की शुरुआत में लोअर परेल कारखाने के मुख्य कारखाना प्रबंधक श्री अखिलेश कुमार द्वारा पत्रकारों को कारखाने के इतिहास और वर्तमान के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई. विज़िट के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों ने कारखाने के FIAT & ICF बोगी शॉप तथा व्हील शॉप का मुआयना कर इनकी कार्य प्रणाली को समझा.

प्रतिनिधियों ने कारखाने में 14 करोड़ रुपये की लागत से नवस्थापित ऑटोमेटेड स्टोरेज एंड रिट्रिवल सिस्टम (ASRS) का निरीक्षण भी किया, जो अपनी तरह की पहली उपलब्धि है. इस प्रणाली की स्थापना के फलस्वरूप सामग्री के ऑटोमेशन और उपलब्ध स्थान के सुनियोजन को सुनिश्चित करने में काफी मदद मिली है. पत्रकारों के सामने प्रदर्शित अन्य प्रणालियों में एक और उल्लेखनीय प्रणाली रोबोटिक एसी डक्ट क्लिनिंग सिस्टम शामिल था, जिसकी स्थपना रेल डिब्बों में स्वच्छता और हवा की बेहतर गुणवत्ता बनाये रखने के उद्देश्य से की गई है.

पत्रकारों को ट्रेनों के शौचालयों में बदबू को दूर करने के लिए ताज़ी हवा प्रदान करने वाले वेंचुरी सिस्टम के बारे में भी अवगत कराया गया. कारखाने में पिछले दिनों नवस्थापित नॉलेज सेंटर और वेल्डिंग सेंटर का मुआयना भी पत्रकारों को कराया गया. कारखाने में लगी 1889 में निर्मित मैकेनिकल हेरिटेज घड़ी को देखकर पत्रकार रोमांचित हुए. विज़िट के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों को बताया गया कि 177 करोड़ रुपये की लागत से इस ऐतिहासिक कारखाने के आधुनिकीकरण का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है. इस प्रस्ताव में पेंट बूथों और आधुनिक मशीनों सहित कई आधुनिकतम मशीनों का प्रावधान शामिल है. नव प्रस्तावित शेडों में उन्नत लिफ्टिंग और मूवमेंट सुविधाएँ रहेंगी, जिनके फलस्वरूप कारखाने के आउट टर्न में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी.

इस मीडिया विज़िट के दौरान वर्कशॉप के इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, अकाउंट्स, स्टोर्स और कार्मिक विभागों के कुल 14 अधिकारियों ने पत्रकारों को सम्बंधित जानकारी से अवगत कराया. यह कारखाना लगभग 14 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें वर्तमान में 3405 कर्मचारी कार्यरत हैं. इस कारखाने में जंगरोधी मरम्मत, पेंट शॉप, व्हील शॉप, एलएचबी सेक्शन सहित अनेक अनुभाग कार्यरत हैं. इस कारखाने में प्रति वर्ष लगभग 1700 रेल डिब्बों का अनुरक्षण किया जाता है. इस अनुरक्षण के अंतर्गत रेल डिब्बों और समस्त कलपूर्जों की सम्पूर्ण जाँच एवं मरम्मत की जाती है. साथ ही सभी महत्त्वपूर्ण एवं संरक्षा उपकरणों की जाँच एवं निरीक्षण गहन स्तर पर किया जाता है, ताकि रेल संरक्षा के उच्च स्तर को सुनिश्चित किया जा सके.

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