- पश्चिम मध्य रेलवे कर्मचारी परिषद ने सीआरबी को थमायी समस्याओं की सूची, लाइन बॉक्स सुविधा जारी रखने का अनुरोध
BHOPAL. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार के भोपाल दौरे में भारतीय मज़दूर संघ (BMS) और भारतीय रेलवे मज़दूर संघ (BRMS) की इकाई पश्चिम मध्य रेलवे कर्मचारी परिषद (PMRKP) के प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखी. परिषद के मंडल उपाध्यक्ष मनीष शुक्ला, कोषाध्यक्ष राहुल राज, एडमिन शाखा से नवीन परदे, भूपेन्द्र अहिरवार, राजेश गुप्ता, संजीव प्रजापति आदि ने चेयरमैन को स्मार पत्र साैंपकर रेलकर्मियों की समस्याओं और परेशानियां से अवगत कराया. चेयरमैन के सामने रनिंग कर्मचारियों के लिए 16+30 रेस्ट प्रणाली और 72 घंटे की डयूटी पर रोक लगाने की बात रखी गयी. चेयरमैन सतीश कुमार ने परिषद की मांगों पर सकारात्मक रूख अपनाने के संकेत दिये.
पश्चिम मध्य रेलवे कर्मचारी परिषद (PMRKP) का स्मार पत्र
1.) LDCE ओपेन to all की सुविधा प्रदान की जाए: महोदय को यह ज्ञात हो कि रेलवे में इंजीनियरिंग, s&t आदि विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के पास अन्य विभागों की तुलना में पदोन्नति के अवसर अतिशय निग्न होते हैं. ऐसी दशा में कर्मचारियों को विभागीय परीक्षाओं में अवसर प्रदान करने हेतु “LDCE ओपेन to all” की सुविधा प्रदान की जाए.
2.) रनिंग कर्मचारियों को 16+30 रेस्ट प्रणाली लागू करना तथा 72 घंटे की डयूटी पर रोक लगाना : रेलवे नियम के अनुसार समस्त रेल्वे कर्मचारियों को 30 घंटे की साप्ताहिक रेस्ट की सुविधा उपलब्ध है परंतु रनिंग कर्मचारी जैसे कि लोको पायलट एवं गार्ड को रेल गाड़ी लेकर अपने मुख्यालय से बाहर जाना पड़ता है तथा मुख्यालय पर लौटने पर उन्हें 16 घंटे का आराम देकर पुनः ड्यूटी के लिए उपलब्ध कर लिया जात है. इस प्रणाली में जब रनिंग कर्मचारी का साप्ताहिक रेस्ट आता है तब रनिंग कर्मचारियों को मुख्यालय लौटने के 16 घंटे उपरांत ही सप्ताहित रेस्ट 30 घंटे काउन्ट किए जाए. वर्तमान प्रणाली में रनिंग कर्मचारी मुख्यालय से दूर ड्यूटी होने के कारण अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां एवं निजी कार्य (बैंक एवं अस्पताल) आदि का निर्वहन करने में असमर्थ रहते हैं तथा साप्ताहिक रेस्ट सिर्फ आराम करने में निकल जाता है जिससे सभी कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों माता-पिता, पत्नी एवं बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं और अपने निजी कार्य भी पूर्ण नहीं कर पाते हैं, जिससे कर्मचारियों को ड्यूटी साइट में रहते हुए परिवार एवं निजी कार्यों की चिंता एवं मानसिक तनाव बना रहता है और वे तनाव ग्रस्त रहकर ड्यूटी करते हैं. संरक्षा से जुड़े इन कर्मचारियों को उपर्युक्त प्रणाली के अनुसार रेस्ट प्रदान किया जाए.
3.) लोको रनिंग एवं ट्रेन मैनेजर को दी जाने वाली लाइन बॉक्स की सुविधा जारी रखी जाए : लोको रनिंग स्टाफ एवं ट्रैन मैनेजर को ड्यूटी के दौरान संरक्षा से सम्बंधित सामग्री जैसे कि डेटोनेटर, संकेत हेतु झंडे, मैकेनिकल टूल्स आदि निरंतर साथ ले कर चलने होते हैं. इस सामग्री को एकत्रित कर चलने हेतु प्रत्येक कर्मचारी को लाइन बॉक्स आवंटित किये जाते हैं. प्रशासन द्वारा यह लाइन बॉक्स की सुविधा बंद करने का निर्णय लिया गया है जिसपर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. महोदय, इस संरक्षण सामग्री का भार इतना अधिक होता है कि इसे सामान्य रेलकर्मी द्वारा अकेले उठा पाना अत्यंत कठिन होता है. साथ हीं 8 से 10 घंटे निरंतर ड्यूटी कर स्टाफ थक चुका होता है. प्रशासन द्वारा लाइन वॉक्स बंद करने के निर्णय के बाद यह सामग्री कर्मचारी को स्वयं अपने बैग में ढोनी पड़ेगी. स्पष्ट रूप से यह निर्णय अनुचित एवं अमानवीय है. इस निर्णय पर तत्काल रोक लगाई जाए.
4.) लोको रनिंग स्टाफ एवं ट्रैन मैनेजर को प्रति किलोमीटर दिए जाने वाले भत्ते में ठीक उसी प्रकार वृद्धि की जाए जिस प्रकार 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता हो जाने के पश्चात अन्य सभी भत्तों जैसे कि आवारा भत्ता, यात्रा भत्ते आदि में वृद्धि की गई है.
5.) ललितपुर-खजुराहो रेलवे लाइन का क्षेत्राधिकार पश्चिम मध्य रेलवे को सुपुर्द करने के विषय में :- एतद द्वारा परिषद आपके : संज्ञान में लाना चाहती है कि ललितपुर, उत्तरप्रदेश से ले कर खजुराहो, मध्यप्रदेश तक जाने वाली रेलवे लाइन का प्रतिष्ठापन पश्चिम मध्य रेलवे ज़ोन की पर्यवेक्षण में पूरा किया गया था. उक्त प्रक्रिया के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण एवं रेलवे लाइन की स्थापना जैसे समस्त कार्य पश्चिम मध्य रेलवे जोन के अधीन किए गए, किंतु रेलवे लाइन सुचारू रूप से चालू होने के पश्चात इसकी रख- रखीव एवं कार्यपालन का दायित्व उत्तर मध्य रेलवे जोन को सौंप दिया गया.
भूमि अधिग्रहण के पश्चात क्षतिपूर्ति हेतु सभी परिवारों के सदस्य को रेलवे में रोज़गार प्रदान किया गया किंतु उन सभी नव-नियुक्त कर्मचारियों को पश्चिम मध्य रेलवे में पदस्थापित कर दिया गया. कृषि पर निर्भर परिवार जनों की भूमि अधिगृहित होने के पश्चात अब इन कर्मचारियों पर इनका पूरा परिवार आश्रित है. ऐसे में कर्मचारी के लिए घर से दूर अन्य जोन में नियुक्त होने के कारण बूढ़े माता-पिता, बहन एवं अन्य सभी आश्रितों की देखभाल कर पाना असम्भव सा होता है. महोदय, कुछ परिवारों की परिस्थिति तो अतिरिक्त हीं गंभीर एवं दयनीय है. महोदय, यदि ललितपुर से खजुराहो की रेलवे लाइन के रख-रखाव एवं संचालन का अधिकार पश्चिम मध्य रेलवे के अधीन हो तो यह कर्मचारी बड़ी सरलता से स्वयं के अनुरोध पर अंतरमंडलीय स्थानांतरण की प्रक्रिया के माध्यम से अपने परिवारजनों एवं आश्रितों के निकट जा कर उनकी सेवा कर सकेंगे.
6.) ट्रैक मशीन कर्मचारियों में 21/7 रोस्टर प्रणाली लागू करने के सम्बन्ध में एफ. आर. एम. 85 एफ मशीन क्रमांक-56999 के समस्त कर्मचारियों का आदेशानुसार रविवार के दिन रेस्ट निश्चित किया गया है. ऐसे में मुख्यालय से दूर ड्यूटी होने के कारण अपने पारिवारिक दायित्वों एवं निजी कार्य (बैंक एवं अस्पताल) आदि का निर्वहन करने में कर्मचारी असमर्थ रहते हैं. रविवार रेस्ट होने से कभी-कभी मुख्यालय में गाड़ियों की अनुपलब्धता होने के कारण समय से घर नहीं पहुंच पाते हैं और रेस्ट की अवधि भी पूरी नहीं हो पाती है. अगले हीं दिन समय से ड्यूटी पहुंचने के लिए हेड क्वार्टर से निकलना पड़ता है जिससे सभी कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों, माता-पिता, पत्नी एवं बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं और अपने निजी कार्य भी पूर्ण नहीं कर पाते हैं. ऐसे में कर्मचारियों को ड्यूटी साइट पर रहते हुए परिवार एवं निजी कार्यों की चिंता एवं मानसिक तनाव बना रहता है और वे तनाव ग्रस्त रहकर ड्यूटी करते हैं. कृपया इस विषय पर आप अपना ध्यान केंद्रित करते हुए एफ. आर एम.85 एफ मशीन क्रमांक-56999 के कर्मचारियों का 21/7 दिन का रोस्टर लागू करने की कृपा करें. जिससे सभी कर्मचारी अपनी ड्यूटी कुशलता एवं तनाव मुक्त होकर कर सकें.
7. ) संकेत एवं दूरसंचार (S&T) विभाग के कर्मचारियों की स्थिति अतिशय दयनीय है. सिग्नल फेलियर के भय से कर्मचारी को सुदूर जंगलों में स्थित स्टेशनों पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी रहना पड़ता है. उसपर भी 24 घंटे सतर्क रहने के निर्देशों के कारण प्रायः कर्मचारी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है. असमय फेलियर में बुलावे के कारण परिजनों को भी मानसिक तनाव में रहना पड़ता है. कृपया इस अति-गंभीर समस्या को ध्यान में रखकर S&T विभाग में 12 घंटे की शिफ्ट की व्यवस्था लागू करवाई जाए. साथ ही ट्रैक पर सर्किट एवं पॉइंट मेंटेनेंस एवं फेलियर अटेंड करने के दोरान कर्मचारियों के रन-ओवर होने की कई दुःखद घटनाएं सामने आती हैं. कार्य के जोखिम को ध्यान में रखकर कर्मचारियों को रिस्क अलाउंस का भुगतान भी किया जाए.
8) IOW, TRD, S&T जैसे तमाम विभाग में कार्य कर रहे सहायक एवं निचले कर्मचारी पदोन्नति हेतु कई वर्षों से अधीर हो चुके हैं. योग्यता होने पर भी पदोन्नति न होने के कारण भविष्य की चिंता में मायूस रह कर कार्य करते है. रेलवे में तकनीशियन, लिपिक आदि के पद रिक्त होने पर भी उदासीन प्रशासन द्वारा LDCE/GDCE समय से नहीं कराये जाते.
9. कृपया इस ओर ध्यान कर नियमित रिक्त पदों की गड़ना करवा कर विभागीय परीक्षाएं करवाने की व्यवस्था की जाए. इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों को “रक्षक” डिवाइस उपलब्ध कराई जाए: पश्चिम मध्य रेलवे जोन में कार्यरत ट्रैक मेन्टेनर कर्मचारियों को उनकी सुरक्षा को ध्यान में रख कर रक्षक डिवाइस उपलब्ध कराये जाएं.