- ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) का 94वें अधिवेशन कोटा में आयोजित
- रेलकर्मियों का धैर्य जवाब दे रहा है, संघर्ष अवश्यंभावी : शिवगोपाल मिश्रा
कोटा. ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के 94वें अधिवेशन के खुले सत्र में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी की उपस्थिति में एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि वह रेल कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान को लेकर किए जा रहे उनके प्रयासों की सराहना करते हैं. लेकिन ये भी बताना जरूरी है कि अब रेलकर्मियों का धैर्य जवाब दे रहा है और संघर्ष को टालना अत्यंत मुश्किल हो गया है. अधिवेशन को संबोधित करते हुए चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा कि यहां आकर मैं आपके गुस्से को खुद महसूस कर रहा हूं, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि आज रेलवे बोर्ड में जो रेल प्रबंधन है उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता रेल कर्मचारियों की भलाई ही है.
अधिवेशन का खुला सत्र उम्मीद के मुताबिक गरम रहा. कर्मचारियों की नारेबाजी से साफ था कि वे अपनी समस्याओं को लेकर सालों से दिए जा रहे आश्वासनों से कतई संतुष्ट नहीं हैं, और अब नतीजा चाहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें आरपार का संघर्ष ही क्यों न करना पड़े. रेल कर्मचारियों की कई ऐसी समस्याएं हैं जिन पर उन्हें कई साल से आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन नतीजा सामने नहीं आ रहा है. कर्मचारियों की नाराजगी को भांपते हुए महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने आज प्रबंधन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि मैं जानता हूं कि चेयरमैन, रेलवे बोर्ड की कोशिश होती है कि ऐसे फैसले लिए जाएं, जिससे रेलवे के आखिरी कर्मचारी तक उसका लाभ पहुंचे, श्री लोहानी की कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता पर किसी को कोई संदेह नहीं है, लेकिन उनकी इन कोशिशों का कोई परिणाम न आना दुर्भाग्यपूर्ण है.
महामंत्री ने कहा कि जिस लारजेस को एआईआरएफ ने इतने संघर्ष से हासिल किया था, आज उसके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है. अभी 26 अक्टूबर को इसे टर्मिनेट कर दिया गया, फिर हमने मंत्री से लेकर चेयरमैन तक से बात की, तो इसे रिस्टोर तो किया गया, लेकिन फिर होल्ड पर रख दिया गया. कॉम. मिश्रा ने कहा कि इसे होल्ड पर न रखकर तुरंत रेल कर्मचारियों के बच्चों को भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाए.
चेयरमैन के सामने महामंत्री ने अप्रेंटिस का मुद्दा भी काफी जोरदार तरीके से उठाया और कहा कि ये अप्रेंटिस रेल में आने के पहले ही कई एक्जाम देकर आते हैं, फिर अब आदेश जारी कर दिया गया कि नई भर्ती में सिर्फ 20% को ही मौका मिलेगा, इतना ही नहीं, इसका पेपर भी ऐसा हो रहा है जैसे बच्चे पीसीएस की परीक्षा दे रहे हैं. महामंत्री ने कहा कि जब ऐसी योग्यता के बाद अप्रेंटिस को नौकरी मिलती है, तो ज्यादातर बच्चे अपनी तैयारी करते हैं और वह दूसरी जगह नौकरी पा जाते हैं. कॉम. मिश्रा ने भर्ती के नियम-कायदों में तब्दीली पर जोर दिया. उन्होंने सीआरबी को संबोधित करते हुए कहा कि अब वर्जनाओं को तोड़ने का वक्त आ गया है, अप्रेंटिस की पहले जैसे भर्ती होती थी, पूरी प्रक्रिया उसी तरह होनी चाहिए.
पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग पर आज फिर महामंत्री ने कहा कि सेना में सहादत को सम्मान देते हुए पुरानी पेंशन बहाल कर दी गई, जबकि काम करते हुए सेना से ज्यादा शहादत रेल कर्मचारी देते हैं, लेकिन उनकी बातों की अनदेखी की जा रही है. रेलवे बोर्ड और रेलमंत्री के स्तर से प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय अडंगा लगा रहा है. अब ये सब ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है और न ही ये सब रेल कर्मचारी बर्दाश्त करने वाले हैं. रनिंग एलाऊंस का मसला हो, कारखाने का इंसेटिव बोनस की बात हो, ट्रैकमैन के 10, 20, 20, 50 का मामला हो, आईटी कैडर की बात हो, एनपीएस का सवाल हो, फिटमेंट फार्मूला और न्यूनतम वेतन समेत कोई भी मांग हो, सब पर रेल मंत्रालय राजी भी है, लेकिन आदेश जारी नहीं हो रहा है. महामंत्री ने स्पष्ट किया कि अब तो वाकई धैर्य जवाब दे रहा है, अगर जल्दी ही हमारे मसले हल नहीं हुए, तो संघर्ष होकर रहेगा और वह भी ऐसा संघर्ष जो इतिहास में दर्ज होगा.
महामंत्री ने देश भर से आए लोगों को ये भी जानकारी दी कि रेल को बेचने की तैयारी हो रही है. चूंकि रेल को आज खरीदने की हैसियत किसी एक उद्योगपति में नहीं है, लिहाजा टुकड़ों में बांटने की बात हो रही है. लेकिन इस मामले में फेडरेशन ने साफ कर दिया है कि अगर रेलवे के किसी भी हिस्से को निजी हाथों में देने की साजिश हुई, तो बिना नोटिस के हड़ताल पर चले जाएंगे.
खुले सत्र को संबोधित करने के दौरान रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा कि आप सबके बीच में आकर आपका गुस्सा मैं महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि महामंत्री ने जितने भी विषयों की यहां चर्चा की है, उसमें से ज्यादातर विषयों में मेरी राय आपके साथ है. यही वजह है कि रेल प्रबंधन का मकसद रेल कर्मचारियों की भलाई का है, हम चाहते हैं कि बेवजह कर्मचारियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. श्री लोहानी ने स्वीकार किया कि रेल कर्मचारी बहुत ही कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, लेकिन हम ये भी जानते हैं कि हमारे कर्मचारी जितनी मेहनत और लगन से काम करते हैं, ऐसे में समस्याएं हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं.
चेयरमैन श्री लोहानी ने कहा कि हमारा फर्ज है कि देश के लिए और रेल के लिए काम करें, हम रोजना 22 हजार ट्रेनों के जरिए करोडों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं. ऐसे में हमारा आपका फोकस सेफ्टी और सिक्योरिटी पर होना चाहिए. श्री लोहानी ने कहा कि हम रेल के ढांचागत विकास पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. आखिर में चेयरमैन ने रेल कर्मचारियों से कहा कि हमारा काम वाकई रेल कर्मचारियों की भलाई करना है, इस पर हम फोकस कर रहे हैं, लेकिन आप सब भी अपने काम को पूरी ईमानदारी से करें.
इसके पूर्व एआईआरएफ के अध्यक्ष रखालदास गुप्ता ने रेल कर्मचारियों की सबसे महत्वपूर्ण मांग लारजेस के बारे में बात की और कहा कि मंत्री का बेटा मंत्री हो सकता है, लेकिन रेल कर्मचारी का बेटा रेल कर्मचारी नहीं हो सकता. ये दोहरी नीति है और इसे बदलना ही होगा. कॉम. गुप्ता ने कहा कि आज रेलवे में नियमित कर्मचारियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही और कांट्रेक्ट कर्मचारी की भरमार होती जा रही है. समय रहते अगर इसका विरोध न हुआ, तो आने वाली स्थितियां रेल कर्मचारियों के लिए खतरनाक साबित होंगी.
सभार : रेलवे समाचार