भोपाल. रेलवे में कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिए बोर्ड से जोन स्तर पर चल रही तमाम कवायतों के बीच एक रेलकर्मी ऐसा भी था जो रिटायरमेंट के सात माह बाद तक नौकरी करता रहा. घटना पश्चिमी सेंट्रल रेलवे के भोपाल डिवीजन अंतर्गत बीना स्टेशन की है. सेवानिवृत्ति की तिथि के बाद भी सात माह तक ड्यूटी करने और लगातार वेतन लेने के बाद इसका खुलासा हुआ.
गड़बड़ी किस स्तर पर हुई इसका तो पता नहीं लेकिन इसकी जानकारी मिलने के बाद पूर्व की तिथि से ही रेलकर्मी को सेवानिवृत्त दिखा दिया गया है. हालांकि विवाद इस बात पर फंस गया है कि रिटायरमेंट की तिथि के बाद सात माह तक ड्यूटी करने और वेतन लेने के लिए कौन लोग जिम्मेदार है और रेलवे राशि की वसूली किससे की जायेगी? मामला सामने आने के बाद केस की लीपापोती का प्रयास भी शुरू हो गया है.
बताया जाता है कि आईओडब्ल्यू ऑफिस में हेल्पर के पद पर तैनात कल्याण सिंह को जनवरी में ही सेवानिवृत्त हो जाना था. लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति पर न तो विभाग ने ध्यान दिया और न ही रेलकर्मी का ध्यान गया. रेलकर्मी ड्यूटी करता रहा और इसके एवज में उसका वेतन बनता रहा. केस का खुलासा होने के बाद उसे जुलाई में सेवानिवृत्त कर दिया गया. अब इस चूक पर जिम्मेदार अधिकारियों के साथ क्लर्कों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले में कुछ लोगों पर कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है. यह साफ नहीं हो सकता है कि सात माह तक डयूटी के लिए किये गये भुगतान की वसूली कैसे की जायेगी?
हालांकि बीना के आईओडब्ल्यू अशोक ठाकुर का कहना है कि यह मामला काफी पुराना है और इस मामले में कार्रवाई कर दी गयी है. चूक के लिए कर्मचारी को चार्जशीट दिया गया है. उन्होंने बताया कि कर्मचारी ने लगातार सात माह काम किया है लिहाजा उसने वेतन लिया और उसकी रिकवरी का निर्णय आला अधिकारियों के स्तर पर होना है.