रायगढ़ा. रेलवे पटरी की मरम्मत के दौरान लापरवाही हमेशा बड़े हासदे का कारण बनती रही है. यह जानकारी रहने के बावजूद पटरी पर बड़े हादसे होते रहे है. ताजा मामला पूर्व तट रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन में शुक्रवार 11 सितंबर की रात रायगड़ा-विजयनगरम सेक्शन में घटी. यह घटना बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी लेकिन लोको पायलट की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया लेकिन रेलकर्मियों की लापरवाही रेलवे को बड़ा नुकसान दे गयी.
दरअसल, रायगढ़ा- विजयनगरम सेक्शन में ट्रेन नंबर 02844 रात को लगभग 03/35 बजे एक ब्लॉक सेक्शन से निर्धारित गति से गुजर रही थी, तभी लोको पायलट ने तेज आवाज सुनी. खतरे की आशंका से उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर गाड़ी रोक दी और नीचे जांच की तो पाया कि एक फिशप्लेट लोको के ट्रांसफॉर्मर आयल टैंक को फाड़कर आधा अंदर घुस गया है. इससे तेल तेजी से बहकर बाहर आ रहा. इसके बाद लोको ब्लॉक सेक्शन में ही फेल हो गया.
बताया जाता है कि फिशप्लेट ट्रैक से नहीं खुला था बल्कि पी-वे कर्मचारियों ने कार्य के दौरान अतिरिक्त बचे प्लेट को दोनों पटरियों के बीच ही छोड़ दिया था. यह माना जा रहा है कि फिशप्लेट ऊंचाई पर होने के कारण इंजन के कैटल गार्ड से टकराकर भीतर आया होगा और ट्रांसफार्मर से आकर फंस गया होगा. इससे यह दुर्घटना घटी.
दुर्घटना के टल जाने के बाद यह सवाल अहम हो गया है कि यह फिशप्लेट पटरी पर कैसे छूट गया और इसके लिए जिम्मेदार कौन लोग हैं? अगर आयल बहने से आग लग जाती तो जाहिर सी बात है कि पूरा इंजन उसकी चपेट में आ जाता और बड़ा हादसा तय था. अंबाला घटना के 20 घंटे के भीतर रेलवे इंजीनियरिंग की यह बड़ी लापरवाही सामने आयी है.
दोनों मामले सोशल मीडिया पर रेलकर्मियों द्वारा उजागर करने के बाद सामने आये बावजूद रेलवे प्रशासन को इसमें कोई गंभीरता नहीं दिखायी पड़ी है. इस घटना के लिए अब तक किसी भी पी-डब्ल्यू आई की जिम्मेदारी तय नहीं की गयी है.