वैश्विक स्तरपर भारत अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर दशकों से रुके हुए कार्यों को अंजाम दे रहा है जिसे देखकर न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिज्ञ भी हैरान हैं. आर्टिकल 370, 35 ए, तीन तलाक कानून से लेकर राम मंदिर और अब यूसीसी पर तेजी से काम शुरू होने से इनकार नहीं किया जा सकता बल्कि नए संसद भवन में प्रथम बिल यूसीसी लाकर इतिहास भी रचा जा सकता है, जिसकी प्रक्रिया भारतीय विधि आयोग ने शुरू कर दी है और रही सही कसर प्रधानमंत्री ने एक जनसभा में कंफर्म कर संभावनाओं पर विराम लगा दिया जो अब हकीकत होने जा रहा है. चूंकि दिनांक 27 जून 2023 को कार्यकर्ता सम्मेलन में पीएम ने यूसीसी मुद्दे पर इशारों इशारों में कन्फर्म मोहर लगा दी जिससे राजनीतिक क्षेत्रों में खलबली मच गई है. इसलिए आज हर मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, समान नागरिक संहिता मुद्दे पर उच्च स्तरीय सार्वजनिक तौर पर इशारों में कंफर्म मोहर लगी.
साथियों बात अगर हम 27 जून 2023 को एक कार्यकर्ता सम्मेलन में पीएम के संबोधन की करें तो उन्होंने मंगलवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार सामान्य नागरिक संहिता(यूसीसी) लाने के लिए कहा है. यूसीसी के नाम पर समुदाय विशेष को भड़काया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर एक परिवार में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या परिवार चल पाएगा? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा ? देश को 28 मई, 2023 को एतिहासिक और नया संसद भवन मिला था पीएम ने इसे देशवासियों समर्पित किया था उसके बाद से चर्चा होने लगी थी कि इस एतिहासिक भवन से सरकार का कौन सा एतिहासिक बिल पास होगा. आज उस पर बहस पर पीएम ने विराम लगा दिया और इस बात पर एक तरह से इशारों ही इशारों में मुहर लगा दी है कि सामान्य नागरिक संहिता पहला बिल होगा, एतिहासिक होगा.
साथियों बात अगर हम 27 जून 2023 को देर रात्रि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आनन-फानन में बुलाई गई ऑनलाइन बैठा की करें तो, यह बैठक समान नागरिक संहिता पर पीएम के बयान के बाद बुलाई गई है. आर्टिकल लिखने तक यह बैठक जारी थी. इसके जरिए रणनीति बनाई जा रही है कि विधि आयोग के सामने मुस्लिमों के विचारों को मजबूती के साथ रखा जाए. इस ऑनलाइन बैठक में देशभर के सभी मुसलमान नेता हिस्सा ले रहे हैं. गौरतलब है कि पीएम ने मंगलवार को भोपाल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत की. साथ ही सवाल किया कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर समुदाय विशेष को उकसाया जा रहा है. हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. उधर यूसीसी पर पीएम के रुख की सबसे पुरानी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने आलोचना की.
सबसे पुरानी पार्टी ने मंगलवार को यूसीसी की जोरदार वकालत करने के लिए पीएम पर शाब्दिक हमला बोला और कहा कि उन्हें पहले देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के बारे में बात करनी चाहिए. पार्टी के संगठन महासचिव ने कहा कि पीएम कुछ भी कह सकते हैं लेकिन उन्हें बेरोजगारी, महंगाई और मणिपुर जैसे देश के असली सवालों का जवाब देना होगा. एक अन्य पार्टी ने कहा कि पीएम को ऐसे मुद्दों को राजनीति का औजार नहीं बनाना चाहिए. इससे पूर्व एआईएमआईएम प्रमुख ने भी (यूसीसी) की वकालत करने के लिए पीएम पर शाब्दिक हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि वह समुदाय विशेष को निशाना बनाने के साथ यूसीसी लाना चाहते हैं. उन्होंने तीन तलाक और पसमांदा समुदाय पर टिप्पणी को लेकर भी पीएम की आलोचना की और कहा कि भारत के पीएम अब समान नागरिक संहिता की चर्चा कर रहे हैं. क्या समान नागरिक संहिता के नाम पर बहुलवाद, विविधता को छीन लेंगे ?
साथियों बात अगर हम 14 जून 2023 को भारतीय विधि आयोग द्वारा जारी नोटिस की करें तो चूंकि दिनांक 14 जून 2023 को भारत के 22 वें विधि आयोग द्वारा यूसीसी को लागू करने के संबंध में कंसल्टेशन रिपोर्ट बनाने के लिए पंजीकृत धार्मिक संस्थाओं और आम जनता से सुझाव विचार दर्ज़ कराने का अनुरोध किया है ताकि इस कानून को लागू करने की ओर कदम बढ़ाए जा सके,सुझाव विचार दर्ज कराने की तारीख 13 जुलाई याने नोटिस के 30 दिनों के अंदर निर्धारित की गई है. अगर हम यूसीसी को समझने की करें तो यूसीसी का मतलब धर्म और वर्ग आदि से ऊपर उठकर पूरे देश में एक समान कानून लागू करने से होता है. यूसीसी लागू हो जाने से पूरे देश में शादी, तलाक,उत्तराधिकार और अडॉप्शन जैसे सामाजिक मुद्दे सभी एक समान कानून के अंतर्गत आ जाते हैं, इसमें धर्म के आधार पर कोई अलग कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होती. भारत के संविधान के आर्टिल 44 में ही यूसीसी को लेकर प्रावधान हैं. कहा गया है कि राज्य भारत की सीमा के भीतर नागरिकों के लिए यूसीसी की व्यवस्था सुनिश्चित कर सकता है. इस प्रावधान का मकसद धर्म के आधार पर किसी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करना बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि, यह गौर करना दिलचस्प है कि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से जुड़े भाग चार में संविधान के अनुच्छेद 44 में निर्माताओं ने उम्मीद की थी कि राज्य पूरे भारत में समान नागरिक संहिता के लिए प्रयास करेगा. लेकिन आज तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अभी तक भारतीय नागरिक संहिता का मसौदा भी तैयार नहीं हो सका है. यही वजह है कि लोगों को इससे होने वाले फायदे के बारे में अब तक पता नहीं चल सका है. इसके लागू नहीं होने से अनेक समस्याएं हैं. उम्मीद है शीघ्र ही सरकार और सभी संबंधित पक्ष मिलकर इस समस्या का हल ही जल्द से जल्द निकालेंगे. अनुच्छेद 44 का उल्लेख कर कहा जाता है कि इसके तहत भारत में समान आचार संहिता लागू करने की ओर कदम बढ़ाया जाए. हालांकि यूसीसी को कई इस्लामिक देशों ने भी अपनाया है जैसे पाकिस्तान, टर्की, जॉर्डन, बांग्लादेश सीरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, इत्यादि देशों ने अपनाया हैं और कई विकसित देशों जैसे अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, यूके, सहित अन्य देशों ने भी अपनाया है. हालांकि यूसीसी का विषय विधि आयोग के पास भी गया है. साथियो भारत में अधिकतर व्यक्तिगत कानून धर्म के आधार पर तय किये गए हैं. हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों के व्यक्तिगत कानून हिंदू विधि से संचालित किये आते हैं, वहीं मुस्लिम तथा ईसाई धर्मों के अपने अलग व्यक्तिगत कानून हैं. मुस्लिमों का कानून शरीअत पर आधारित है, जबकि अन्य धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानून भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून पर आधारित हैं. अब तक गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ पर समान नागरिक संहिता लागू है.
मेरा यह निजी विचार है कि जब तक हम सब सर्वधर्म, सर्व सम्मति, सर्व विचारधारा के साथ आपस में मिलकर एक सकारात्मक सोच रख कर हम आगे बढ़ाएंगे तो हमें इस इन दोनों कानूनों को के रूप में एक अनुकूल रिजल्ट ज़रूर सामने मिलेगा. यदि हम इसमें विषमता, विसंगतियां, डर और राजनीति की संभावना तलाश करेंगे तो यह मैटर लंबा खींच सकता है. अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर इशारों में सार्वजनिक कंफर्म मोहर लगी. नए संसद भवन के पहले सत्र में यूसीसी बिल आने की संभावना कंफर्म. ऐतिहासिक नए संसद भवन में यूसीसी पहला बिल होगा इशारों में कन्फर्म मोहर लगी. संभवत: यह बिल 5 अगस्त 2023 को ही संसद से पास किया जाये.
ये लेखक के निजी विचार हैं