- हल्दिया गैंग ने बाकुड़ा, गिधनी, डीपीएस व ईस्ट कोस्ट में दिया था लूट को अंजाम, मादपुर में बेचा गया माल
- DPS से ढाई टन कॉपर ले जाने की बात नरहरि दास अधिकारी ने बतायी, नहीं बरामद हुआ लूट का माल
- RPF/CIB/CKP ने दिखायी 30 kgs dropper wire OHE की बरामदगी, 18 हजार का बताया मूल्य
CHAKRADHARPUR : ”सच कोने में है दुबका, दरारों से झांक रहा है, झूठ मदमस्त हो चौराहे पर नाच रहा है.” कुछ ऐसी ही हालत इन दिनों चक्रधपुर रेलमंडल में आरपीएफ की हो गयी है. एक झूठ को स्थापित करने में आरपीएफ के इंस्पेक्टर एक के बाद एक कहानी गढ़ते जा रहे हैं. नयी कहानी डांगुवापोसी के ओएचई डिपो में दो कर्मचारियों को बंधक बनाकर लाखों रुपये के ओएचई तार लूट में सामने आयी है जिसमें मोबाइल कॉल डंप के आधार पर हल्दिया से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पकड़े जाने वालों में नरहरि दास अधिकारी और राजीव घोष हैं जो उस वाहन के चालक व खलासी है जिससे डांगुवापोसी के OHE डिपो से कॉपर वायर लूटने के बाद ले जाने में प्रयोग में लाया गया. अच्छी बात यह है कि आखिरकार RPF/DPS की टीम सच तक पहुंची लेकिन दु:खद पहलू यह है कि एक झूठ को छुपाने के लिए फिर से नयी कहानी गढ़ दी गयी.
#SER_CKP_DPS से OHE की लूट में खुला RPF की झूठ भांडा, कार और ट्रक लेकर आये हल्दिया गिरोह के 9 लोगों ने दिया था डकैती को अंजाम. 3 गिरफ्तार, डेढ़ टन से अधिक का कॉपर तार ले गए थे डकैत, 60 kg का हुआ था केस. @dg_rpf केस की कराये जांच, बड़ा गोलमाल हुआ है.@sanjay_chander
— Railhunt (@railhunt) December 18, 2022
दरअसल, आरपीएफ ने दोनों के पास से कोई बरामदगी नहीं मिली है. हां, यह खुलासा जरूर हुआ कि इसी हल्दिया गैंग ने बाकुड़ा, गिधनी, डीपीएस व ईस्ट कोस्ट में लूट को अंजाम दिया है. इस गिरोह में आठ से नौ लोग शामिल है जिसका सरगना निपेन बताया जाता है जबकि लूटा गया कॉपर ओएचई वायर को मादपुर में बेचा गया था, जहां से माल कोलकाता पहुंच गया. इन लोगों ने डांगुवापोसी से ढाई से तीन टन कॉपर ले जाने की बात मौखिक रूप से स्वीकार की है. जाहिर सी बात है लूटा गया कॉपर गलाया जा चुका है जिसकी बरामदगी अब संभव नहीं है. हां, आरपीएफ की टीम मादपुर में उस रिसीवर तक भी पहुंची लेकिन वह फरार हो गया. यानी बरामदगी के मामले में RPF/DPS की टीम खाली हाथ ही है.
अब बात आती है उस रिपोर्ट की जो IPF/CIB/CKP ने इस केस में जमा करायी है. इसमें बताया गया है कि 17 व 18 की रात मिली सूचना के आधार पर टीम रात 10.10 बजे शुभलक्ष्मी एग्रो ऑयल प्रा. लिमिटेड बालीहाटी, खड़गपुर के पास थी. वहां झाड़ियों से चार लोग प्लास्टिक बैग को उठाकर वाहन में रख रहे थे जिनमें दो को पकड़ा गया जबकि दो भाग गये. जांच में माल ओएचई ड्राप वायर निकला जो 30 किलोग्राम था और उसका मूल्य 18 हजार रुपये के करीब है. यानी अब भी आरपीएफ की टीम अपनी उस थ्योरी को सच साबित करने पर जुटी है जिसमें उसने डीपीएस यार्ड से 64 किलो ओएचई ड्राॅप वायर की चाेरी होने और उसका मूल्य 38 हजार रुपये होने की बात पहली सूचना में बतायी थी. यह सारा खेल एसआर केस से बचने के लिए किया गया ताकि मामले की उच्च स्तरीय जांच को रोका जा सके.
बड़ी बात यह है कि इस मामले में पहले ही ओडिशा के बहालदा से दो लोगों को गिरफ्तार कर 4800 रुपये मूल्य का OHE dropper wire की बरामदगी दिखायी जा चुकी है. अब देखना है कि आरपीएफ DPS की टीम बहालदा और हल्दिया के पकड़े गये लोगों के बीच कनेक्शन को तकनीकी रूप से कैसे जोड़ती और परिभाषित करती है? हां, मौके से WB 33E- 7232 नंबर का वाहन जरूर जब्त किया गया जो हकीकत में चारों लूटकांड में उपयोग में लाया गया था. आरपीएफ के सेवानिवृत्त एक अधिकारी ने इस मामले टिप्पणी की है कि यह आरपीएफ ही है जिसे चोरी गया पूरा माल बरामद मिल जाता है जबकि पुलिस की जांच में ऐसा चमत्कार नहीं होता?
@GMSERAILWAY लाखों की लूट के मामले में गंभीरता से जांच जरूरी है इसमे RPF से लेकर #SSE_OHE_DPS की भूमिका संदिग्ध है. दो रेल कर्मियों को बंधक बनाकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया गया था, लेकिन FIR स्थानीय थाने में नहीं दर्ज कराई गई. क्यों??@RailMinIndia @CVCIndia @RPF_INDIA
— Railhunt (@railhunt) December 18, 2022
डांगुवापोसी के डिपो से OHE लूट में RPF/DPS के इस नये खुलासे से यह केस सुझलने की बजाये उलझता जा रहा है. कारण यह है कि डीपीएस लूट में दो रेलकर्मियों के गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद SSE/OHE/DPS और IPF/RPF/DPS की आपसी मिलीभगत से केस को सच तक पहुंचने से पहले ही खत्म कर दिया गया. दूसरी वजह बड़े अधिकारी इस मामले मे मौन साधे हुए है. लेकिन इसी गिरोह द्वारा आद्रा रेलमंडल के बाकुड़ा में डेढ़ टन कॉपर की लूट को अंजाम दिया गया. अपराधियों ने वहां गार्ड को उल्टा लटका दिया था. उस मामले में स्थानीय थाना में मामला दर्ज किया गया है और पुलिस इसकी जांच कर रही है.
बताया जा रहा है कि अब बाकुड़ा आरपीएफ और स्थानीय पुलिस की टीम दोनों पकड़े गये अपराधियों को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है ताकि उनके यहां हुई लूटपाट में पूछताछ की जा सके. अब अगर बाकुड़ा पुलिस की जांच में दोनों अपराधियों ने चारों लूट का सच बयां कर दिया तो आने वाले समय में यह RPF/DPS की टीम के लिए गले की हड्डी बन सकता है. कोर्ट में पहुंचने के बाद बहालदा से पकड़े गये लोगों का मामला भी नया मोड़ ले सकता है, देखना है कि डीपीएस लूट से शुरू हुई झूठ की यह कहानी क्या रंग लेती है और कहां तक पहुंचती है?
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