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रेल मंत्रालय ने तबादला नीति में किया बदलाव, गृह राज्य तबादले का इंतजार खत्म

रेल मंत्रालय ने तबादला नीति में किया बदलाव, गृह राज्य तबादले का इंतजार खत्म

अंबाला। भारतीय रेलवे के कर्मचारियों को अब अपने गृह राज्य में तबादला करवाने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रेल मंत्रालय ने तबादला पॉलिसी में बदलाव करते हुए पांच साल तक नौकरी में कार्यरत की शर्त हटाकर कर्मियों को बड़ी राहत दी है। इसको लेकर रेल मंत्रालय ने 10 फरवरी को सभी जोन के महाप्रबंधक को लिखित आदेश जारी कर दिए हैं, ताकि वे अपने-अपने जोन में कर्मचारियों के तबादले आदेशों पर गौर करें।

अंबाला मंडल में तैनात उत्तर प्रदेश और बिहार वासियों के लिए यह खबर सबसे राहत वाली है। मंडल में हरियाणा, पंजाब के कर्मियों की संख्या कम है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार वासियों को अधिक है। देश में एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क 16 रेलवे जोन में बंटा है। उत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, पूर्व रेलवे, पूरे दक्षिण पूर्व रेलवे, दक्षिण मध्य रेलवे, दक्षिण रेलवे, मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे, दक्षिण पश्चिम रेलवे, उत्तर पश्चिम रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे, पूर्व तटीय रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न मंडलों में तैनात कर्मचारी महज अपने जोन में ही तबादला करवा सकते हैं।

बता दें, पहले कर्मचारी पांच साल तक तबादले के लिए आवेदन ही नहीं कर सकते थे। आप चाहे दिव्यांग हों या फिर परिवारिक परिस्थितियां कैसे भी हो, पांच साल से पहले तबादले प्रार्थना पत्र पर गौर ही नहीं किया जाता था। मगर अब रेलवे में दिव्यांग और दोनों जोन के कर्मचारियों की आपसी सहमति (म्यूचुअल ट्रांसफर), बच्चों को मानसिक रोग/गंभीर रोग या फिर पत्नी की परिस्थितियां देखते हुए तबादला किया जा सकता है।

रेलवे ने पॉलिसी में बदलाव जरूर कर दिया, लेकिन अभी यह तय नहीं किया गया कि प्रार्थना पत्र के बाद कितने समय में तबादला किया जाएगा। कर्मचारियों को अपने-अपने मंडल में पर्सनल विभाग में आवेदन करना होगा जो उनके जोन के माध्यम से रेलवे बोर्ड तक पहुंचेगा। उधर, सीपीआरओ नीरज शर्मा ने कहा कि मंत्रालय ने तबादला पॉलिसी में बदलाव कर राहत दी है।

म्यूचुअल ट्रांसफर में सीनियर पहले होगा रिलीव

उत्तर रेलवे जोन में अंबाला, दिल्ली, लखनऊ, मुरादाबाद और फिरोजपुर मंडल आता है। अपने जोन में तबादला करवाने के लिए कोई समय अवधि नहीं, लेकिन यहां भी ब्रांच अधिकारी मामले को लटका देते थे। रेल कर्मियों की म्यूचुअल ट्रांसफर पर दोनों मंडलों से एनओसी जारी होने के बावजूद कर्मी को ब्रांच अधिकारी रिलीव नहीं करते थे। इस अड़चन को भी खत्म कर दिया गया है, म्यूचुअल ट्रांसफर में जो कर्मी सीनियर होगा उसे पहले रिलीव किया जाएगा।

साभार जेएनएन

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