- नई दिल्ली –हावड़ा के बीच 5 घंटे और नई दिल्ली – मुंबई के बीच यात्रा समय में 3.5 घंटे की कमी आएगी
- पैसेंजर ट्रेनों की औसत गति में 60 प्रतिशत वृद्धि, माल यातायात की औसत गति भी दोगुनी होगी
- सरकार ने परियोजना को दी हरी झंडी, मिशन रफ्तार के तहत नेटवर्क में सुधारी जायेगी ट्रेनों की रफ्तार
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
सरकार ने 2022-23 तक 6,806 करोड़ रूपये की कुल लागत से दिल्ली-मुम्बई मार्ग (वडोदरा-अहमदाबाद सहित) की गति बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने की स्वीकृति दे दी है. इससे बेहतर गति, सेवा, सुरक्षा और क्षमता निर्माण सुनिश्चित होगा. मिशन रफ्तार के एक हिस्से के रूप में भारतीय रेलवे अपने पूरे नेटवर्क में ट्रेनों की औसत गति में सुधार लाने के लिए काम कर रही है. दिल्ली-मुंबई सेक्शन पर गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाने से पैसेंजर ट्रेनों की औसत गति में 60% तक बढ़ोतरी होगी और माल यातायात की औसत गति भी दोगुनी होगी. इस तरह सरकार ने 2022-23 तक दिल्ली – हावड़ा मार्ग (कानपुर, लखनऊ सहित) पर ट्रेनों की गति बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. इस कार्य पर 6,685 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इससे सुधरी हुई गति, सेवा, सुरक्षा और क्षमता सृजन सुनिश्चित होगा. दिल्ली-हावड़ा सेक्शन पर गति बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे करने से पैसेंजर गाड़ियों की औसत गति 60 प्रतिशत तक बढ़नी सुनिश्चित होगी और माल यातायात गाड़ी की औसत गति दोगुनी होगी.
1,525 किलोमीटर लंबा दिल्ली-हावड़ा मार्ग पांच राज्यों – दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार,झारखंड तथा पश्चिम बंगाल से गुजरता है. नई दिल्ली और हावड़ा के बीच यात्रा समय में पांच घंटे की कमी आएगी और यह यात्रा पूरी रात की ही होगी. दिल्ली-हावड़ा मार्ग की अधिकतम गति बढ़ाने से वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सेमी-हाई स्पीड की गाड़ियों को गति मिलेगी. इससे ऐसी ट्रेनों को अपनी क्षमता का पूरा लाभ उठाने और 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने की अनुमति होगी और यह सुनिश्चित होगा की गति और सेवा की दृष्टि से यात्रियों को लाभ मिले. इसके अतिरिक्त यह पाया गया है कि इस गति के लिए सुरक्षित एलएचबी कोच बनाए जा सकेंगे. परियोजना कार्यों में घेराबंदी, स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ईटीसीएस -2 / पीपीडब्ल्यूएस), मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्यूनिकेशन तथा स्वचालित और मशीनी निदानकारी प्रणाली शामिल है, जिससे सुरक्षा और विश्वसनीयता में वृद्धि होगी. इसमें सभी लेवल क्रॉसिंग को हटाना पड़ेगा. यह काम अलग योजना मद में किया जा रहा है.
जबकि दिल्ली-मुंबई मार्ग 1,483 किलोमीटर लंबा है जो 7 राज्यों – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है, इससे नई दिल्ली – मुंबई के बीच लगने वाले यात्रा समय में 3.5 घंटे की कमी आएगी. इससे यह पूरी तरह से रात भर की यात्रा बन जाएगी। दिल्ली-मुंबई मार्ग की अधिकतम गति बढ़ाने से अर्द्ध-उच्च गति वाली ट्रेनों की गति में भी बढ़ोतरी होगी. इससे ऐसी ट्रेन भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करके 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकेंगी. यात्रियों को अच्छी गति और सेवा सुनिश्चित होगी. इसके अलावा यह पाया गया है कि सुरक्षित एलएचबी कोच को भी इस गति के लिए उपयुक्त बनाया जा सकता है.
संपूर्ण परियोजना नए दृष्टिकोण की बनी है जिसमें मार्ग के अनुसार संयुक्त कार्य होंगे और इसे एकल एजेंसी पूरा करेगी. इसका वित्त पोषण अतिरिक्त बजटीय संसाधनों – संसागत वित्त (ईआरबी – आईएफ) से किया जाएगा. बेहतर वित्त पोषण, बेहतर समन्वय, अत्याधुनिक टेक्नॉलोजी के उपयोग से यह परियोजना मंजूरी की तिथि से चार वर्षों में पूरी होगी. लाइन पर कार्य इस तरह किया जाएगा कि यातायात में कम से कम बाधा आए और निर्माण कार्य के दौरान यात्रियों तथा व्यवसाय पर कम से कम असर हो.
परियोजना से निर्माण के दौरान रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा. 3.6 मानव दिवस का प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. इससे सभी राज्यों के आर्थिक विकास में गुणात्मक वृद्धि होगी. इससे इस मार्ग पर प्रवाह क्षमता 30-35 प्रतिशत बढ़ेगी और भविष्य में पीपीपी मॉडल के लिए मार्ग प्रशस्त होगा. मिशन रफ्तार के हिस्से के रूप में सरकार ने दिल्ली-मुंबई मार्ग के लिए भी इसी तरह की मंजूरी दी है. दिल्ली-मुंबई मार्ग और दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर यात्री यातायात 29 प्रतिशत और माल यातायात 30 प्रतिशत है. भारतीय रेल के संपूर्ण चतुर्भुज और कोणीय परियोजना पूरी करने का काम हो रहा है. इसमें भारतीय रेल नेटवर्क का 16 प्रतिशत हिस्सा है लेकिन परियोजना में कुल यात्री यातायात का 52 प्रतिशत और माल यातायात का 58 प्रतिशत है.
souce : pib