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टाटानगर इलेक्ट्रिक लोको ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनी की आत्महत्या, प्रताड़ना या मानसिक दबाव !

टाटानगर इलेक्ट्रिक लोको ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनी की आत्महत्या, प्रताड़ना या मानसिक दबाव !
लोको ट्रनिंग हॉस्टल के बाहर जमा लोग व मृतक ट्रेनी प्रेमचंद्र साह
  • कटघरे में रेल प्रशासन, भाई ने उठाये गंभीर सवाल, कहां – ट्रेनिंग में जलील करने से परेशान था प्रेमचंद्र साह
  • प्रेमचंद्र ने लिखे गये सुसाइड नोट में परिजनों की उम्मीद पूरी नहीं कर पाने के लिए सबसे मांगी माफी
  • साहेबगंज पंचकठिया का निवासी था प्रेमचंद साह, 28 दिसंबर 2022 से टाटा सेंटर में कर रहा था ट्रेनिंग  

Jamshedpur. दक्षिण पूर्व रेलवे के टाटानगर लोको इलेक्ट्रिक ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनी पायलट प्रेमचंद साह (25) की मौत ने कई सवालों को जन्म दिया है. घटना की सूचना मिलते ही पहुंचे प्रेमचंद के भाई द्रोणाचार्य ने मीडिया से बातचीत में रेल प्रशासन को यह कहकर कटघरे में खड़ा कर दिया कि भाई को ट्रेनिंग के दौरान टार्चर किया जाता था. इसकी जानकारी उसने फोन पर परिवार के लोगों को दी थी. हालांकि प्रेमचंद्र ने अपने सुसाइड नोट में मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है लेकिन ट्रेनिंग के बीच रेलवे के हॉस्टल में एक ट्रेनी की आत्महत्या से कई सवाल उठ खड़े हुए है.

साहेबगंज के पंचकठिया निवासी प्रेमचंद्र ने 28 दिसंबर 2022 को लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण शुरू किया था. भाई द्रोणाचार्य के अनुसार ट्रेनिंग में उसे सबके सामने जलील किया जाता था. यह तब होता था जब उसे कोई बात समझ नहीं आती थी. इसे लेकर वह गहरे दबाव व सदमे में था. उसने इसकी जानकारी परिवार के लोगों को दी थी. हालांकि गुरुवार 13 अप्रैल 2023 की दोपहर दो बजे हॉस्टल का दरवाजा तोड़कर पुलिस ने उसे बाहर निकाला था. कमरे से मिले सुसाइड नोट में प्रेमचंद ने आत्महत्या का दोष किसी को नहीं दिया. इसकी जिम्मेदार खुद ली और लिखा कि परिवार की उम्मीदें पर वह खरा नहीं उतर पाया. इसलिए वह यह कदम उठा रहा है.

टाटानगर इलेक्ट्रिक लोको ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनी की आत्महत्या, प्रताड़ना या मानसिक दबाव !

ट्रेनी लोको पायलट के शव को ले जाते परिजन

ट्रेनी पायलट प्रेमचंद के दबाव में रहने और आत्महत्या तक का निर्णय लेने के बीच की परिस्थितियां ट्रेनिंग स्कूल के प्रबंधन और कार्यप्रणाली की ओर इशारा करती हैं जहां से हर साल सैकड़ों पायलट ट्रेनिंग लेकर रेलवे की सेवा में आते हैं. घटना पर स्कूल के प्राचार्य एके गुप्ता ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है. सभी स्तब्ध हैं. सहयोगी भी समझ नहीं पा रहे कि आखिर प्रेमचंद्र ने यह कदम क्यों उठाया? यह ट्रेनिंग का दवाब था या उससे किया जाने वाला दुर्व्यवहार? अगर वह प्रताड़ित हो रहा था तो कारण क्या थे? अगर ट्रेनिंग का दबाव था तो इससे सहयोगी क्याें अंजान थे ? दबाव से जीवन के अंत तक के बीच के समयाअंतराल को ट्रेनिंग स्कूल में प्रेमंचद्र के सहयोगी, टीचर, प्राचार्य और दूसरे लोग क्यों नहीं महसूस कर सके ?

वहीं ट्रेनिंग स्कूल में प्रेमचंद्र के सहयोगियों का कहना है कि वह पढ़ने में अच्छा था और शांत स्वभाव का था. ट्रेनिंग को लेकर उसके कभी दबाव में रहने की बात उन्होंने महसूस नहीं की. रेलवे मेंस यूनियन के चक्रधरपुर मंडल को-आर्डिनेटर मनोज कुमार सिंह के अनुसार परिजनों ने ट्रेनिंग में दबाव का आरोप लगाया है. पुलिस इसकी जांच करेगी. उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग नौकरी का हिस्सा है और इसमें तनाव प्रबंधन के लिए रेल प्रशासन कई तरह के उपाय करता है. इसमें मेडिटेशन से लेकर ट्रेनिंग कार्यक्रम तक शामिल हैं. हां यह बात सही है कि कुछ माह से तनाव प्रबंधन की ट्रेनिंग नहीं हो रही थी.

वहीं मेंस यूनियन रनिंग ब्रांच की टीम ने लोको पायलट के शव का पोस्टमार्टम कराने और उसे घर भेजने में परिजनों को सहयोग किया. रनिंग ब्रांच के प्रेसिडेंट एसके फरीद, टाटा ब्रांच के सेक्रेटरी संजय सिंह समेत अन्य लोग इस मौके पर मौजूद थे. हालांकि बाद में प्रेमचंद साह की मौत के मामले में बड़े भाई द्रोणाचार्य ने अस्वाभाविक मौत की प्राथमिकी दर्ज करायी है. शव का पोस्टमार्टम होने के बाद परिजन साहेबगंज स्थित पैतृक आवास ले गये.

टाटानगर लोको ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षु की आत्महत्या ने पायलट एवं असिस्टेंट लोको पायलट के मानसिक दबाव अथवा प्रताड़ना के बिंदुओं को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. रेल प्रशासन को जल्द इसका उपाय खोजना होगा ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो.

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