- डीआरएम ने बनायी चार सदस्यीय जांच कमेटी, एनसीआर जीएम ने कहा -निष्पक्षता व पारदर्शिता से होगी जांच
नई दिल्ली. 14 फरवरी 2022 की अपराह्न 4.30 बजे कानपुर मंडल में ट्रैकमैन/खलासी (लोहार) रमेश यादव की आत्महत्या से कोहराम मचा हुआ है. रेलवे यूनियन नेता से लेकर अधिकारी तक बेचैन दिख रहे. आक्रोशित रेलकर्मी और सहयोगी रमेश के लिए तत्काल न्याय की गुहार लगा रहे तो यूनियन नेता कर्मचारियों की प्रताड़ना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की चेतावनी दे रहे. इन सबके बीच रेल प्रशासन फिर से एक बार समस्या के समाधान की जगह जांच व रिपोर्ट की फाइलों में केस को दफन करने में जुट गया है.
आनन-फानन में डीआरएम शशिकांत सिंह ने चार सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है जो जांच भी शुरू कर चुकी है. रेलकर्मियों के बयान लिये जा रहे. प्रथम दृष्टाया जांच में छुट्टी नहीं मिलने से रमेश यादव के परेशान रहने की बात सामने आयी है. अपने अंतिम समय में रमेश ने वायरल वीडियो में यही कहा था कि उसे साले की शादी में जाना था लेकिन छुट्टी नहीं मिली. स्वयं एनसीआर जीएम तक ने गैंगमैन की आत्महत्या की निष्पक्षता व पारदर्शिता से जांच कराने का आश्वासन दिया है.
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रमेश को कब न्याय मिलेगा और प्रताड़ना की तह तक जाकर रेल प्रशासन समस्या का समाधान निकालने की पहल करेगा इसमें हकीकत कम संदेह अधिक नजर आता है. इस संदेह के कारणों को जााने के लिए हमे ढाई साल पीछे जाना होगा. 15 अगस्त 2019 के दिन मध्य रेलवे के सोलापुर मंडल अंतर्गत दौंड-अहमदनगर खंड के बांबोरी स्टेशन पर ट्रैकमैन बबलू कुमार ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी. मामला वहीं था अधिकारियों की प्रताड़ना. काफी हंगामा मचा. डीआरएम से लेकर जीएम तक और फिर तत्कालीन चेयरमैन अश्विनी लोहानी तक मामला पहुंचा. जांच के आदेश दिये गये, फाइलें दौड़ी और नतीजा..
बबलू की जगह रमेश कुमार यादव आ गया. एक और जान चली गयी. अब रेलमंत्री अश्विवनी वैष्णव है. यूनियन नेता भी तब तक मौन रहे जब तक एक और कीमती जान नहीं चली गयी. यह जान ड्यूटी में होने वाली रनओवर की घटना या हादसा नहीं थी बल्कि प्रताड़ना का हद से गुजर जाना था, जिसमें किसी को जान देने तक की सोचने की नौबत आ गयी. बबलू कुमार की आत्महत्या के बाद यहीं शब्द AIRF के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा था जो रमेश की मौत के बाद मामले को उच्च स्तर तक उठाने की बात कह रहे हैं.
ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा था कि यदि कोई रेलकर्मी आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाए, तो इसे आसानी से समझा जा सकता है कि रेल अधिकारी उसका उत्पीड़न किस कदर कर रहे होंगे. हालांकि ट्रैकमैन बबलू कुमार ने आत्महत्या से पहले पूरी कहानी रिकार्ड कर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था. महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा?
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बबलू कुमार की मौत के बाद रेलवे बोर्ड की पहल पर तत्कालीन मेंबर इंजीनियरिंग महेश कुमार गुप्ता ने भी सभी जोनों के प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर्स (पीसीई) को संदेश भेजकर एसएजी स्तर के अधिकारी को नामांकित कर सभी मंडलों में भेजने और ट्रैकमेनों से बातचीत करने काआदेश दिया था. ट्रैकमेन से संपर्क और बातचीत करके उनकी समस्याओं का पता लगाने और उसे गंभीरता से दूर करने निर्देश भी दिया गया था. हालांकि समय के साथ बात आयी-गयी हो गयी और रेल प्रशासन पूर्व के ढर्रे पर चल पड़ा. रेलवे में ट्रैकमैन का शोषणा कोई नयी बात नहीं है.
रमेश यादव की आत्महया के वीडियो ने भले ही क्षण भर के लिए सभी को विचलित कर दिया हो लेकिन रेलवे में अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग समस्या के समाधान से अधिक उसे टालने में विश्वास रखता है. अगर इस बार भी ऐसा हुआ और जांच के बाद अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं तय हुई तो ट्रैकमैन की प्रताड़ना का यह दौर जारी रहेगा और यूनियनों की धड़ियाली चीख-पुकार में बीच फिर किसी रेलवे ट्रैक पर उसी ट्रैक की सुरक्षा करने वाले का शव पड़ा होगा.