- सेंट्रल रेलवे के जीएम व सीपीओ ने दिया ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन का आश्वासन
मुंबई. मध्य रेलवे के सोलापुर मंडल में ट्रैकमैन बबलू कुमार नामक की आत्महत्या से उठे सवालों का अब तक जबाव नहीं मिल सका है. “ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन” के पदाधिकारी अवनीश कुमार, नरेश पासवान एवं रामप्रकाश दुबे ने 21 अगस्त की शाम महाप्रबंधक, मध्य रेलवे डीके शर्मा और सीपीओ से मिलकर बबलू कुमार के मौत के कारणों की जांच व कार्रवाई की मांग दोहरायी. यूनियन ने जीएम को बताया कि 6 माह के अंतरल पर मध्य रेलवे में यह दूसरी घटना है जब प्रताड़ना से तंग आकर किसी किसी ट्रैकमैन ने अपनी जान दी हो. इससे पूर्व 05 मार्च 2018 को पारस राम मीणा जी ने भी सुपरवाइजर के दबाव में आकर अपने रेलवे आवास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. घटना के बाद दोनों सुपरवाइजर पर कार्रवाई तो की गयी लेकिन एक माह बाद ही उन्हें डयूटी दे दी गयी. ऐसी घटनाओं से सुपरवाइजर का मनोबल और बढ़ जाता है.
यूनियन ने जीएम को बताया कि ट्रैक मेंटेनर को यह उम्मीद होती है कि कम से कम उच्च अधिकारी उनके साथ न्याय करेंगे. यदि उच्च पदाधिकारियों से भी न्याय नहीं मिला तो हम अपनी समस्याओं को लेकर कहां जाएं. यूनियन ने जीएम को बताया कि कुछ माह में हमने दूसरा ट्रैक मेंटेनर साथी खोया है. यदि नागपुर की घटना में सुपरवाइजर को नहीं बचाया जाता तो शायद बबलू कुमार हमारे बीच होता. जब ऐसे दोषी सुपरवाइजर बड़ा अपराध करके बच जाते हैं तो निचने स्तर के कर्मचारी अपने आप को असहाय और कमजोर समझने लगते हैं. यही घटना बबलू के साथ भी हुई.
यूनियन की मांगों के बाद जीएम डीके शर्मा ने घटना पर अफसोस जताते हुए आश्वस्त किया कि उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई है ताकि दोषियों के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सके. कोई दोषी नहीं बचेगा. इधर ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन ने ट्रैक मेंटेनर यूनियन ने हाल हालत में बबलू कुमार के परिवार को न्याय दिलाने व तथाकथित सुपरवाइजर को किये की सजा दिलाने का आहवान किया है.
लड़ाई लड़कर ही जीती जा सकती है ना की मरकर
साथियों, सभी ट्रैक मेंटेनर साथियों से आग्रह है किस्थिति कुछ भी हो, परिस्थिति कुछ भी हो, आत्महत्या करना किसी भी हालत में न्याय संगत नहीं है और ना ही समस्या का हल है. इतिहास गवाह है लड़ाई लड़कर ही जीती जा सकती है ना कि मर कर. आप लोग संयम रखें, निश्चित तौर पर बदलाव आयेगा. सभी पदाधिकारी गलत नहीं है. निचले पदाधिकारी नहीं सुनते है तो उच्च पदाधिकारी हैं. फिर भी आपकी बात नहीं सुनी जाती है तो आपकी अपनी यूनियन “ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन” तक बात पहुंचाये, निश्चित तौर पर न्याय होगा.
आपका साथी
अवनीश कुमार
ट्रैक मैन बबलू मंडल की आत्महत्या के लिए जिम्मेदारों पर दर्ज हो हत्या का मुकदमा