JAMSHEDPUR : टाटानगर रेलवे स्टेशन के द्वितीय श्रेणी प्रतीक्षालय के शौचालय में यात्रियों से धमकाकर अवैध वसूली की जा रही है. शौचालय का संचालन कर रहे एजेसी के लोग पेशाब के लिए 10 रुपये और शौच के लिए 20 रुपये की डिमांड कर रहे हैं. स्नान करने के लिए लोगों से 25 से 30 रुपये की वसूली की जा रही है. रुपये देने से आनाकानी करने वालों से दुर्व्यवहार किया जाता है. उनके साथ मारपीट करने की धमकी दी जाती है. एजेंसी के कर्मचारी इतने उदंड है मानो उन्हें स्थानीय अधिकारियों से अभयदान अथवा बड़ा समर्थन मिल रहा हो.
सवाल, यह उठता है कि आखिर रेलवे में यात्रियों के साथ व्यवहार की नम्रता का यह सिद्धांत टाटानगर स्टेशन TATANAGAR RAILWAY STATION पर क्यों गौण हो गया है? यहां शौचालय का ठेका लेने वाली एजेंसी का बोर्ड तक नहीं लगा है. न ही यात्रियों की जानकारी के लिए सेवा के बदले वसूली जाने वाली शुल्क की तालिका ही लगी है. ऐसे में यात्रियों को यह कैसे पता चलेगा कि रेलवे ने एजेंसी के साथ सेवा के बदले क्या करार कर रखा है?
सहज सी बात है कि रेलवे में सब कुछ निर्धारित सिस्टम से चलता है. इसके लिए एक मान्य व्यवस्था है. ठेकेदार से लेकर वेंडर के बीच समन्वय बनाने का काम स्थानीय अधिकारी करते हैं ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करायी जा सके. लेकिन जब सुविधा के नाम पर एजेंसी यात्रियों को खुलआम प्रताड़ित करने लगे तो यह बात सोचने वाली बन जाती है कि क्या अधिकारियों और एजेंसी के बीच का गठजोड़ तमाम सीमाओं को पार कर चुका है और अब उन्हें सिस्टम का भय नहीं!
शायद यही सेवा प्रदत्ता ठेकेदारों के साथ आम यात्रियों की बनती जा रही है. हर बार रेलवे अधिकारियों का यह तर्क होता है कि उन्हें अब तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. लेकिन स्टेशन परिसर में कुर्सी लगाकर शुल्क की वसूली करने वाला ठेकेदार कौन है, उसे कितना शुल्क के नाम पर वसूली करना है इसकी सूची अब तक शौचालय के सामने नहीं लगाये जाने के लिए कौन लोग जिम्मेदार है? यह सब ऐसे स्टेशन पर हो रहा हैं जहां यात्री सुविधा के नाम पर अधिकारियों व सुपरवाइजरों की लंबी फौज तैनात है.
रेलहंट के साथ रेलवे बोर्ड को भेजी गयी शिकायत में यात्रियों ने यह बताया है कि किस तरह टाटानगर के दोनों शौचालयों में संचालक एजेंसी का नाम और सेवा शुल्क के रूप में वसूली जाने वाली दर तालिका नहीं लगायी गयी है. इसके बाद भी शुल्क की वसूली की जा रही है. यह सब कैसे हो रहा है इसकी जांच कराकर एजेंसी पर कार्रवाई करने की आवश्कता है ताकि सरकार और रेलमंत्री के प्रति यात्रियों का विश्वास कायम रखा जा सके.
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