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टिटलागढ़ : बिना इंजन 20 किमी तक दौड़ी ट्रेन, बाल-बाल बचे यात्री

टिटलागढ़ : बिना इंजन 20 किमी तक दौड़ी ट्रेन, बाल-बाल बचे यात्री

टिटलागढ़. भारतीय रेलवे की एक बड़ी लापरवाही फिर सामने आई है. ओडिशा के टिटलागढ़ रेलवे स्टेशन पर सवारियों से भरी अहमदाबाद-पुरी एक्सप्रेस बिना इंजन के ही पटरी पर दौड़ पड़ी. केसिंगा स्टेशन से बिना इंजन की तेज रफ्तार यह ट्रेन निकली तो प्लैटफॉर्म पर मौजूद सभी लोगों के होश उड़ गए. ट्रेन में बैठे यात्री चिल्ला रहे थे और ट्रेन बिना इंजन सरपट पटरियों पर दौड़ रही थी.

करीब 20 किलोमीटर तक ट्रेन बिना इंजन के दौड़ी. गनीमत यह रही कि इस दौरान इस ट्रैक पर कोई दूसरी ट्रेन नहीं आई और सभी यात्री सुरक्षित बच गए. उधर, रेलवे ने इसे गंभीरता से लेते हुए दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी है.
दरअसल, शनिवार देर रात करीब 10 बजे जब अहमदाबाद-पुरी एक्सप्रेस में इंजन को एकतरफ से हटाकर ट्रेन के दूसरे सिरे पर जोड़ने की प्रक्रिया चल रही थी. इस दौरान कर्मचारियों से चूक हो गई और वे डिब्बों में स्किट लगाना भूल गए.

ऐसे में यह ट्रेन बिना इंजन ही धड़धड़ाती हुई स्टेशन से निकल ली. ढलान पाकर ट्रेन केसिंगा स्टेशन की तरफ दौड़ पड़ी. केसिंगा स्टेशन पर खड़े यात्रियों ने जब बिना इंजन ट्रेन को देखा तो वे भी चिल्लाने लगे. हालांकि बाद में कुछ दूरी पर ऊंचाई होने के कारण ट्रेन की रफ्तार खुद थम गई और वह रुक गई. इसके बाद यात्रियों की जान में जान आई. इस मामले का एक विडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

 संबलपुर डीआरएम जयदीप गुप्ता ने बताया कि सभी यात्री सुरक्षित हैं. इंजन शंटिंग प्रक्रिया का पालन नहीं करने के आरोप में दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा, एक उच्च अधिकारी के नेतृत्व में मामले की जांच कराई जा रही है.

जब कसिंगा स्टेशन से ट्रेन गुजरने लगी तो इंतजार कर रहे लोग चिल्लाने लगे. लोगों ने ट्रेन में मौजूद लोगों को चेन पुल करने को भी चिल्ला कर कहा लेकिन लोग समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. इस तरह पूरी स्थिति हाथ से अनियंत्रित हो गयी थी, बेबश लोग बस चिल्ला रहे थे. लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें.

संरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल, कार्रवाई तक सीमित रहेगी व्यवस्था

घटना ने रेलवे की संरक्षा सिस्टम पर सवाल खड़े हो गये है. नियम के अनुसार ट्रेन को खड़ा होते ही कर्मचारियों को बोगी के चक्कों के नीचे स्कीट लगा देना है ताकि किसी भी हाल में ट्रेन की बोगी एक इंच में नहीं सरके. लेकिन सुरक्षा और संरक्षा की अनदेखी की पोल शनिवार की रात टिटलागढ़ स्टेशन ख्रुल गयी. ऐसा नहीं है कि यह लापरवाही सिर्फ टिटलागढ़ में बरती गयी है, देश के अधिकांश स्टेशनों पर जिम्मेदार पदाधिकारियों की अनदेखी के कारण रेलकर्मी अक्सर स्कीट लगाने में लापरवाही बरतते है. ऐसे में कभी स्कीट नहीं लगाने से ट्रेन लुढक जाती है तो कभी स्कीट नहीं हटाने से ट्रेन दुर्घटना होते होते रह जाती है.

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