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रेलवे अफसरों पर अवैध तरीके से खनिजों की ढुलाई के मामले में कसा शिकंजा, इडी ने दर्ज किया नया इसीआइआर

BIHAR : गया में डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर की नई रेल लाइन पर मालगाड़ी की 12 बोगियां बेपटरी
  • रेलवे अधिकारियों के अलावा झारखंड, बिहार, दिल्ली व पंजाब की कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू

NEW DELHI. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने झारखंड में अवैध तरीके से निकाले गये खनिजों की ढुलाई के मामले में एक नया इसीआइआर दर्ज किया है. इसमें बिहार के पिरपैंती स्टेशन पर तैनात रेल अधिकारियों के अलावा साबिहगंज(झारखंड), कोलकाता, दिल्ली और पंजाब की कंपनियों से संबंधित लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. आरोप लगाया गया है कि इन कंपनियों से संबंधित लोगों ने रेल अधिकारियों के साथ साजिश रच कर वैध दस्तावेज के बिना ही पत्थरों की ढुलाई कर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाया है. इडी ने नये इसीआइआर के आलोक में साहिबगंज में छापेमारी की कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी रखी.

शुक्रवार को इडी ने ड्रोन के सहारे कोलकाता की सीटीएस कंपनी को लीज पर मिले पत्थर खदानों की मापी की. इसमें इस कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर अपने लीज क्षेत्र से बाहर जा कर अवैध खनन करने की पुष्टि हुई. सीटीएस नामक कंपनी माइनिंग के अलावा ट्रांसपोर्टेशन का भी काम करती है. कंपनी के अधिकारियों द्वारा अवैध खनन से निकाल गये पत्थरों को बगैर किसी वैध दस्तावेज के ही रेल अधिकारियों की मिलीभगत से रेल रैक के सहारे दूसरे राज्यों में पहुंचाया जाता था. इस काम में भागलपुर(बिहार), साहिबगंज(झारखंड), दिल्ली और अंबाला(पंजाब) की कंपनियां शामिल हैं. छापेमारी के दौरान सीटीएस और पिरपैंती में मिले दस्तावेज की जांच की जा रही है.

रेलवे के अधिकारी ले रहे हैं निजी लाभ

इसीआइआर में आरोप लगाया गया है कि झारखंड, दिल्ली, पंजाब की कंपनियों और रेल अधिकारियों की मिलीभगत से वर्ष 2015 से अवैध खनन और उसकी ढुलाई का काम चल रहा है. ऐसा रेलवे द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन कर अधिकारियों द्वारा निजी लाभ के लिए किया जा रहा है. इस्टर्न रेलवे ने वर्ष 2009 में एक आदेश जारी कर वैध दस्तावेज के बगैर किसी भी तरह के खनिजों की ढुलाई पर प्रतिबंध लगाया था.

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