- दुर्घटना के बाद चश्मदीदों ने मीडिया को बतायी आंखों देखी, तस्वीर दिखा पाना संभव नहीं
Odisha train accident : ओड़िशा में तीन ट्रेनों की टक्कर का मंजर काफी भयावह था. देखना तो दूर सुनकर और महसूस कर ही सिहरन हो रही है. भयानक मंजर था. बोगियों में लाशें पड़ी थी. किसी का हाथ नहीं था तो किसी का पैर. देखना मुश्किल था. जो होश में थे वह घायल थे और दर्द से तड़प रहे थे, मदद करने वाले स्थानीय लोगों से जो बन पड़ा किया लेकिन वह नाकाफी था. सहायता को आगे आये लोगों के आंखों से आंसू टपक पड़े. लोग बेबस थे, इंतजार था तो बड़ी मदद को जो जल्द ही पहुंच गयी. इसके बाद यात्रियों को निकालने व बचाव का कार्य शुरू हो सका.
घटना के बाद चश्मदीदों ने यह कहानी मीडिया से बातचीत में सुनायी. चश्मदीद टूटू विश्वास ने कहा कि हादसे के समय वह घर पर ही थे. अचानक किसी धमाके की आवाज आयी. बाहर निकला तो सब कुछ बदल चुका था. ट्रेन के अंदर और बाहर लाशें पड़ी थी. बड़ी संख्या में लोग करार रहे थे. लोग प्यासे थे और मदद की गुहार लगा रहे थे. अगर कोई जिंदा मिला तो वह भी दर्जनों शवों के बीच दबा पड़ा था.
दुर्घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है, हम रेस्टोरेशन का काम शुरू कर रहे हैं. इस रूट पर कवच उपलब्ध नहीं था. घायलों को अस्पताल में ही आर्थिक मदद दी जा रही है. उन्हें 50-50 हजार रुपए की मदद की जा रही है. अमिताभ शर्मा, रेलवे प्रवक्ता.
ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना में प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य पूरा कर लिया और क्षतिग्रस्त बोगियों को हटाकर ट्रैक मरम्मत का कार्य शुरू कराया जा रहा है ताकि यातायात बहाल किया जा सके. रेल प्रशासन के अधिकारी ही मान रहे हैं कि घायलों की संख्या 900 से अधिक है और मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. युद्ध स्तर पर चलाये गये राहत अभियान के कारण ही सैंकड़ों लोगों की जान बचायी जा सकी है.
ट्रेन हादसे की जानकारी देते हुए गणेश ने बताया कि जोर की आवाज सुनने के बाद हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे. यहां ट्रेन की बोगी में कई लोग फंसे हुए थे. लोगों में चीख पुकार मची हुई थी. फंसे लोगों को अंदर से निकाला. गणेश ने कहा कि हमने ट्रेन में फंसे करीब 300 से 400 लोगों को बाहर निकाला.
रेलवे अधिकारियों नेबताया कि घायलों को अस्पताल में ही 50-50 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जा रही है. वहीं पीएम मोदी ने हादसे के बाद विशेष बैठक बुलायी और दुर्घटना के कारणों की समीक्षा की. उन्होंने रेलवे अधिकारी से सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेनों के मूवमेंट की जानकारी ली और कारणों का समझने का प्रयास किया.
माता-पिता की हो गयी थी मौत, बच्चे ने रोते-रोते दे दी जान : चश्मदीद टूटू विश्वास ने बताया कि दुर्घटना में एक मंजर ने लोगों को भीतर से हिला दिया. एक बच्चे के सामने उसके मां-बाप के शव पड़े थे. रोते-रोते उसने भी जान दे दी. यह मंजर बहुत भयानक और असहनीय था. लोग लोग घायलों को ट्रेन सेबाहर निकलनेकी कोशिश कर रहे थे. कुछ घायलों को मदद कर वाहनों तक पहुंचाया. हर तरफ खून फैला हुआ था.
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