नई दिल्ली. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने स्टेशनों, कोचिंग डिपो, रखरखाव और उत्पादन इकाइयों में वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को लेकर रेलवे की व्यवस्था पर सवाल उठाया है. भारतीय रेलवे (Indian Railway) में कचरा प्रबंधन को लेकर संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कैग की ओर से बताया गया कि भारतीय रेलवे में कोई एक एजेंसी नहीं है जो पूरी तरह से वेस्ट मैनेजमेंट से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए जिम्मेदार हो.
लोक लेखा समिति (पीएसी) को जोनल और मंडल स्तर पर इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य प्रबंधन निदेशालय स्थापित करने के आश्वासन के बावजूद, भारतीय रेलवे द्वारा उसका आंशिक रूप से पालन किया गया. सैंपल जांच में पता चला कि 38.60 फीसदी रेलवे स्टेशनों, मंडलों और जोनल स्तर पर जवाबदेह संस्थाओं का गठन नहीं किया गया.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चयनित 109 में से 59 स्टेशनों में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों का पालन नहीं किया गया था. इसके अलावा, चुने गए 65 अन्य प्रमुख स्टेशनों में सत्यापन योग्य संकेतकों के कार्यान्वियन की प्रगति उत्साहजनक नहीं थी. इसके अलावा, 45 फीसदी नमूना जांच किए गए स्टेशनों में ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग सेवाओं (ओबीएचएस) के साथ पेंट्री कारों और ट्रेनों से एकत्र किए गए अलग-अलग कचरे को सुरक्षित बैग में नहीं डाला गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 86 प्रतिशत जांच किए गए स्टेशनों में पेंट्री कारों या ओबीएचएस ट्रेनों से एकत्र किए गए कचरे को अलग-अलग कूड़ेदानों में नहीं डाला गया था.यह भी पाया गया कि 102 यूनिट्स (चयनित 131 में से) में खतरनाक कचरे के भंडारण और लेबलिंग के नियमों का पालन नहीं करने से पर्यावरण और इन यूनिट्स में लगे लोगों के लिए एक संभावित खतरा बना हुआ है, बायोडिग्रेडेबल और नॉन-बायो-ग्रेडेबल कचरे को अलग करने की बुनियादी स्थिति सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए भी रेलवे की व्यवस्था को लेकर कैग ने चिंता जतायी है.