कोटा. आज जहां कोरोना ने भारत सहित पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा, जहां आम आदमी जान बचाने की लड़ाई लड़ रहा है वही ट्रैकमैन योद्धा दिन-रात की परवाह किये बिना ट्रैक की मेंटेनेंस में जुटे हुए है ताकि समय पर दवाइयों ओर ऑक्सीजन को भिजवा कर मरीजो की जान बचाई जा सके. वहीं दूसरी ओर प्रशासन ट्रैकमनों की अनदेखी कर रहा है. ट्रैकमैन को एक वर्ष में दो जोड़ी जूते देने का प्रवधान है वही 2018 से लेकर अभी तक सिर्फ एक जोड़ी जूते दिया गया है और 6 जोड़ी जूते बकाया चल रहे है
वही अगर बात करे रेनकोट की, तो वर्ष में एक बार रेनकोट देने का नियम है लेकिन 2018 से अभी तक सिर्फ एक रेन कोट दिया गया है. विंटर जैकेट 2 वर्ष में एक बार देने का नियम है लेकिन 2018 से सिर्फ एक बार दिया गया है. रेल कर्मचारी ट्रैकमेंटनेर एसोसिएशन के WCR जोनल महासचिव अनिल कुमार सैनी ने बताया कि जब 12 जनवरी 2021 को हम लोग हमारे बकाया सेफ्टी उपकरण जल्द देने की मांग को लेकर धरना देने वाले थे तब प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि एक माह में साी को जूतों की डिलीवरी दे दी जाएगी, लेकिन जनवरी के बाद अब तक पांच महीने बीत चुके है किसी प्रकार की कोई उपकरण की उपलब्धता सुनिश्चित नही की गई है.
रेलवे के आला अधिकारी स्वयं को वर्क फ्रॉम होम करके आदेश जारी कर रहे जबकि कोविड काल में ट्रैकमैन लगातार संक्रमण से खुद को बचाते हुए ट्रैक पर डटा हुआ है, इसके बाद भी उसे अब तक फ्रंट लाइन वर्कर नही माना गया. रेल प्रशासन का दोहरा रवैया समझ से परे है. न संसाधन से कर्मचारियेां को सहयोग किया जा रहा है न ही उन्हें संक्रमण के दौर में दूसरे लाभ ही दिये जा रहे. अनिल कुमार सैनी ने हर pwi के सेक्शन स्तर पर कैम्प लगाकर ट्रैकमैन कर्मचारी को वैक्सीनशन कराने की मांग की है.
प्रेस विज्ञप्ति
#WCR #RKTA