- वैकेंसी के बावजूद कैडर में अतिरिक्त स्टाफ को प्रमोशन देने में आनाकानी
- अधिकारियों ने ताक पर रख दिया कर्मचारियों की समस्याएं और वेलफेयर
- बददिमाग, बदतमीज और कामचोर अधिकारियों के विरुद्ध चलेगा अभियान
- अधिकारियों की मनमानी के विरुद्ध वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ आया आगे
मुंबई. जहां एक तरफ चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) अश्वनी लोहानी स्टाफ के वेलफेयर पर सर्वाधिक जोर दे रहे हैं, वहीँ दूसरी तरफ कुछ जोनल रेलों के ज्यादातर अधिकारी न सिर्फ सीआरबी की मंशा पर पानी फेर रहे हैं, बल्कि कर्मचारियों को समयबद्ध पदोन्नति न देकर उन्हें हर तरह से नुकसान पहुंचाने और प्रताड़ित करने की कोशिशों से बाज भी नहीं आ रहे हैं. यहां तक कि अधिकारियों की मनमानी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि उन्हें यूनियनों के धरना-प्रदर्शन को भी गंभीरता से नहीं लेते. मंडल एवं जोनल स्तर की पीएनएम में स्टाफ के जिन मुद्दों पर मान्यता प्राप्त संगठनों के साथ सहमति हो चुकी होती है, उन्हें भी अमल में नहीं लाया जा रहा है. यह स्थिति इसलिए है, क्योंकि कामचोरी और स्टाफ के वेलफेयर का ध्यान रखने पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करके उन्हें दंडित नहीं किया जाता है.
इससे कर्मचारियों में भयानक असंतोष पनप रहा है. वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ (डब्ल्यूआरएमएस) के मंडल मंत्री अजय सिंह ने मुंबई सेंट्रल मंडल, पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ मंडल यांत्रिक अभियंता, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक एवं वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक जैसे ब्रांच अधिकारियों की मनमानी के विरुद्ध नोटिस देकर 28 जून से मंडल कार्यालय के समक्ष क्रमिक भूख हड़ताल करने की तैयारी की है. संघ द्वारा 7 जून को दी गई नोटिस में मांग की गई थी कि मुंबई सेंट्रल मंडल, यांत्रिक विभाग के कैरिज एंड वैगन (सीएंडडब्ल्यू) के लंबे समय से खाली पड़े पदों को भरा जाए. इसके साथ ही लेखा विभाग द्वारा ग्रुप ‘सी’ एवं ग्रुप ‘डी’ स्टाफ के समीक्षित 70 नए पदों का सृजन किया जाए, जिनकी ट्रेन नं. 22903 बांद्रा टर्मिनस-भुज एसी एक्स. के रेक की मेंटेनेंस के लिए जरूरत है और इसके प्राइमरी मेंटेनेंस को अहमदाबाद से मुंबई सेंट्रल शिफ्ट किया जाए.
उपरोक्त सहमति हो चुके मुद्दों पर अमल करने के बजाय संबंधित अधिकारियों ने उक्त रेक के मेंटेनेंस के लिए कांट्रेक्ट अवार्ड कर दिया, जिसके लिए उनके पास फंड की कोई कमी नहीं है, क्योंकि कांट्रेक्ट से उन्हें पर्याप्त कमीशनखोरी का मौका मिलता है, मगर समीक्षित पदों का सृजन करने के लिए उनके द्वारा फंड की कमी का बहाना लगातार बनाया जा रहा है. इसी बहाने के तहत ग्रुप ‘सी’ कैटेगरी के कारपेंटर, ट्रिमर, पेंटर और पाइप फिटर के लिए कांट्रेक्ट अवार्ड कर दिया गया है. इससे ग्रेड-पे 1800 में कार्यरत एक्सेस ग्रुप ‘डी’ स्टाफ को अपनी पदोन्नति की सभी संभावनाएं लगभग समाप्त होती नजर आ रही हैं, जिससे उनके अंदर भारी असंतोष पनप रहा है.
अप्रैल 2018 तक संघ द्वारा दी गई वैकेंसी पोजीशन के अनुसार वेतनमान 9300-34800 (ग्रेड-पे 4600-4200) में कार्यरत सुपरवाइजर (सीएंडडब्ल्यू) का कुल सेंक्शन कैडर 212 है, ऑन-रोल कार्यरत कुल 187 हैं. इसमें 25 पद खाली हैं. इसी प्रकार वेतनमान 9300-34800 (ग्रेड-पे 4200) में कार्यरत एमसीएम-आर्टीजन का कुल सेंक्शन कैडर 242 है, ऑन-रोल कार्यरत हैं कुल 198. कुल खाली पद 44. वेतनमान 5200-20200 (ग्रेड-पे 4200-2800) में कार्यरत आर्टीजन का कुल सेंक्शन कैडर 1246 है, जबकि कार्यरत हैं सिर्फ 825. इनके कुल खाली पद 421 हैं. इसके अतिरिक्त वेतनमान 5200-20200 (ग्रेड-पे 1800) में कार्यरत ग्रुप ‘डी’ स्टाफ का कुल सेंक्शन कैडर 723 का है, जबकि कार्यरत हैं कुल 740. इस कैडर में 17 कर्मचारी ज्यादा हैं.
संघ की मांग है कि आर्टीजन कैडर में जो 465 पद खाली हैं, उनमें कारपेंटर, पेंटर, पाइप फिटर और टेक्नीशियन इत्यादि पदों पर ग्रेड-पे 1800 में कार्यरत एक्सेस ग्रुप ‘डी’ स्टाफ को पदोन्नति दी जाए. इस प्रक्रिया से पर्याप्त मेंटेनेंस स्टाफ उपलब्ध हो जाएगा, जिससे आर्टीजन कैटेगरी में कोई कांट्रेक्ट देने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी. इसी प्रकार संघ की मांग है कि सुपरवाइजरी कैटेगरी एवं सीएंडडब्ल्यू के सेमी-स्किल्ड स्टाफ को शिफ्ट ड्यूटी के ओवरटाइम का भुगतान समय पर किया जाए.
इस संदर्भ में मंडल प्रशासन द्वारा 22 जून को दिग्भ्रमित आंकड़े देकर संघ को गुमराह करने की कोशिश की गई है. मंडल प्रशासन ने अब तक के ओवरटाइम का भुगतान हो गया बताया है. जबकि संघ का कहना है कि दिसंबर 2017 और अप्रैल/मई 2018 के ओवरटाइम का भुगतान कैसे हो सकता है, जबकि उक्त पीरियड का बिल 11 जून 2018 को प्राप्त हुआ है. इसके अलावा संघ ने ग्रुप ‘डी’ स्टाफ की वरिष्ठता यांत्रिक विभाग के तहत सफाईवाला, खलासी, खलासी/हेल्पर (सीएंडडब्ल्यू) कैटेगरी में निर्धारित किए जाने की भी मांग की है और इसका पूरा जस्टिफिकेशन भी दिया है.
संघ ने लिखा है कि डीआरएम और एडीआरएम के साथ ही नहीं, बल्कि महामंत्री द्वारा महाप्रबंधक एवं प्रिंसिपल सीओएम के साथ भी बार-बार की बैठक और संवाद के बावजूद वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (सीनियर डीओएम) की मनमानी और दुर्व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है. वह स्टाफ के साथ अत्यंत बदतमीजी एवं अभद्रता से पेश आ रही हैं. इससे मंडल के समस्त परिचालन स्टाफ में गंभीर असंतोष व्याप्त है. उदहारण स्वरूप सीनियर डीओएम ने अपनी मनमानी करते हुए बिना कोई औपचारिक ट्रांसफर आर्डर जारी किए सिर्फ एक कंट्रोल मैसेज देकर उधना मुख्यालय के पांच और नंदुरबार मुख्यालय के सात सीनियर गुड्स गार्ड्स को चर्चगेट में पदस्थ कर दिया. संघ का कहना है कि इसमें मनमानी करते हुए सीनियर डीओएम द्वारा प्रक्रियागत अनियमितता बरती गई है.
इससे संबंधित कर्मचारियों को वेतन-भत्तों का भारी नुकसान सहन करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें मुंबई सिटी का निर्धारित भत्ता नहीं दिया जा रहा है. सीनियर डीओएम की इस तरह की मनमानी के तमाम उदहारण मौजूद हैं. संघ के मंडल मंत्री अजय सिंह ने लिखा है कि मनमानी का हाल यह है कि उन्होंने डी. के. उपाध्याय, जो कि बतौर सेफ्टी काउंसेलर काम कर रहे थे, को मुंहजबानी आदेश के जरिए गार्ड के पद पर वापस भेज दिया गया. जबकि श्रीमती किरण चौधरी, जिनका मामला नेम-नोटिंग के अंतर्गत नहीं आता है, ने वसई रोड के इकबाल सलीम बेग से आपसी बदलाव (म्युचुअल एक्सचेंज) के तहत मुंबई मंडल में ज्वाइन किया था, उन्हें बेग द्वारा खाली की गई जगह पर वसई रोड में पोस्टिंग दी जानी चाहिए थी, मगर उन्हें भी इसके लिए परेशान किया जा रहा है.
मंडल मंत्री अजय सिंह का कहना है कि यही हाल सीनियर डीसीएम का भी है, जो कि कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने और स्टाफ वेलफेयर के मामलों में कतई सहयोग नहीं कर रही हैं. वाणिज्य विभाग के अंतर्गत विभिन्न स्टेशनों पर टिकट बुकिंग, आरक्षण, टिकट चेकिंग सहित पार्सल/गुड्स इत्यादि में तमाम समस्याएं हैं. उनका समाधान करने के बजाय सीनियर डीसीएम द्वारा स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. यहां टिकट प्रिंटिंग के लिए प्रिंटर और रिबन की आवश्यक एवं पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है. तथापि सीनियर डीसीएम इन सब समस्याओं से अनजान होने का नाटक करते हुए मुख्यालय और डीआरएम सहित एडीआरएम को भी गुमराह करती रहती हैं. इस विषय पर भी मंडल प्रशासन ने 22 जून को दिए गए अपने जवाब में संघ को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया है.
संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों का मानना है कि कर्मचारियों की समस्याएं हल न करने और उसके वेलफेयर का ध्यान न रखने वाले सीनियर डीओएम एवं सीनियर डीसीएम जैसे नकचढ़े ब्रांच अधिकारियों की जब तक जिम्मेदारी तय नहीं की जाएगी और उनके खिलाफ कड़ा प्रशासनिक कदम नहीं उठाया जाएगा, तब तक इनके होश ठिकाने नहीं आएंगे. उनका कहना है कि संघ की तरफ से अब ऐसे बदतमीज, बदगुमान और तमाम नियमों-प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर स्टाफ का नुकसान करके स्वयं को अत्यंत होशियार समझने वाले अधिकारियों की कार्यालयीन एवं गैर-कार्यालयीन अवांछित तथा मनमानी गतिविधियों के विरुद्ध अभियान चलाया जाएगा, तभी इनके दिमाग ठिकाने आएंगे.
रेलवे समाचार