BARAUNI : थावे से टाटा जाने वाली 18182 एक्सप्रेस में यात्रियों को लगातार गंदे बेडरोड की सप्लाई एसी कोच में की जा रही है. उपयोग किये गये बेड रोड को ही पैकेट में डालकर दोबारा यात्रियों को दे दिया जाता है. इसका खुलासा 03 नवंबर 2022 को एक यात्री के उस ट्वीट से हुआ जिसमें उन्होंने फोटो के साथ गंदे बेडरोड की फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड की और इससे रेलवे अधिकारियों को भी अवगत कराया.
हालांकि उनके ट्ववीट पर बेड रोड अटेंडर ने आकर शिकायत का निष्पादन करने की खानापूरी जरूरी की लेकिन शिकायत का निवारण नहीं हो सका. बेड आपूर्ति करने वाली एजेंसी के लोगों ने यात्री शिकायत करने वाले यात्री नीरज कुमार को बताया कि इसी बेड रोड की आपूर्ति उन्हें की गयी है लिहाजा इसका इस्तेमाल ही उन्हें करना होगा. इस तरह उन्हें कुछ ऑप्शन चुनने के जरूर दिये गये लेकिन सभी उपयोग किये गये बेडरोड थे.
18182 थावे-टाटा एक्सप्रेस में दिया गया बेड रोल काफी गंदा है. यह दुर्गंध कर रहा है. इसे उपयोग कर पाना मुश्किल है. पूछने पर बताया गया कि यहीं बेड रोल मिला है. इस दिशा में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाये.
पीएनआर नंबर : 2444161517@RailMinIndia@ECRlyHJP@RailMadad pic.twitter.com/FQssCfhIHM— Railhunt (@railhunt) November 3, 2022
उन्हें उन्हीं में बेहतर चुन लेने को कहा गया. हालांकि बाद में यात्री नीरज कुमार ने मामले की शिकायत रेलवे बोर्ड और जोन के आला अधिकारियों से की है. इसमें उन्होंने बताया है कि पीएनआर नंबर : 2444161517 पर वह एसी 2 कोच में परिवार के चार सदस्यों के साथ यात्रा कर रहे थे और उन्हें गंदे दुर्गंध युक्त बेडरोड दिया गया जिसका उपयोग कर पानी नामुमकीन था. उन्होंने ट्वीट कर रेलवे मदद से सहयोग की उम्मीद की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इस तरह रेलवे की यात्री सुविधाओं को लेकर काफी चिंतनीय स्थिति है.
अब सवाल यह उठता है कि लगातार मॉनिटरिंग और जांच के बाद भी यात्रियों को गंदे बेडरोड की आपूर्ति किन परिस्थतियों में की गयी और अगर ऐसा हुआ तो इसके लिए कौन लोग जिम्मेदारी है? इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्या हो रही है ताकि भविष्य में इस स्थिति का सामना यात्रियों को नहीं करना पड़े. बताया जाता है कि टाटा-थावे-टाटा एक्सप्रेस में बेडरोड की आपूर्ति टाटानगर से होती है.
यहां मैकेनिकल विभाग के अधिकारियों की देखरेख में इनकी सफाई होती है और कॉमर्शियल विभाग के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदारी है.? देखने में तो रेलवे यात्रियों को दी जा रही सुविधाओं को लेकर काफी गंभीर नजर आता है. इसे लेकर लगातार सोशल मीडिया पर स्वच्छता के नारे और सुविधाओं के वादे रेलवे अधिकारियों द्वारा किये जाते है लेकिन अक्सर स्थानीय अधिकारियों की मॉनिटरिंग की खामी के कारण यात्रियों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पाती है.
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