खड़गपुर. अब अतीत बन कर इतिहास के पन्नों में सिमट चुके छुक-छुक यानी रेलवे के स्टीम इंजन पर सर्वेक्षण के लिए 18 सदस्यीय ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दक्षिण पूर्व रेलवे के मंडल मुख्यालय खड़गपुर पहुंचा. मूल रूप से स्टीम लोको विशेषज्ञों के इस प्रतिनिधिमंडल में पांच ब्रिटिश महिलाएं भी शामिल रहीं. निरीक्षण के क्रम में अंग्रेज विशेषज्ञों ने फिर से पटरियों पर दौड़ने की तैयार स्टीम इंजन बेयेर गेराट’का अवलोकन किया.
सोमवार की दोपहर 22863 शालीमार-यशवंतपुर एक्सप्रेस से खड़गपुर पहुंचे इस ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल का दक्षिण पूर्व रेलवे के पीसीएमइ जेके साहा और डीआरएम केआरके रेड्डी समेत अन्य अधिकारियों ने स्वागत किया. भारत सरकार के विदेश मामलों के मंत्रालय के सौजन्य से हुई इस यात्रा के दौरान ब्रिटिश विशेषज्ञों ने काम की बात तो की ही भारतीय संस्कृति को जानने-समझने का भी बखूबी प्रयास किया. अपनी करीब तीन घंटे की यात्रा के दौरान लोको स्टीम विशेषज्ञों ने कई बार भारतीय शैली में हाथ जोड़ कर प्रणाम किया.
खड़गपुर रेलवे वर्कश़ॉप का भी उन्होंने बखूबी निरीक्षण किया और वहां मौजूद स्टीम इंजन को जानने-समझने की कोशिश की. मुख्य कार्य प्रबंधक अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि यहां आकर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य काफी आनंदित नजर आए. खड़गपुर रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्यिक प्रबंधक कुलदीप तिवारी ने कहा कि ब्रिटिश से आए लोको स्टीम इंजन विशेषज्ञों का मुख्य उद्देश्य स्टीम इंजन पर सर्वेक्षण करना है. इसी मंशा से वे यहां आए.
रेलवे प्रशासन की ओर से बेयेर गेराट को धरोहर के तौर पर फिर से पटरियों पर दौड़ाने की कोशिश हो रही है. गहन विश्लेषण के बाद वे भी इस मामले में अपना सुझाव देंगे. भव्य स्वागत से गदगद ब्रिटिश विशेषज्ञों ने नाश्ते में चाय-नमकीन लिया तो दोपहर के भोजन में सैंडविच, मोमो, पास्ता, दोसा, चीला, उपमा, चटनी व खजूर गुड़ के रसगुल्लों के साथ जलेबी और रबड़ी जैसे भारतीय व्यंजनों का भी जम कर लुत्फ उठाया. दौरे के पश्चात ब्रिटिश विशेषज्ञ घाटशिला-हावड़ा मेमू लोकल से कोलकाता की ओर रवाना हो गए.
सभार दैनिक जागरण