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रेलवे को दिशा व सुरक्षित रफ्तार देने वाले एसएंडटी कर्मियों की मांगों पर मौन हैं जिम्मेदार !

रेलवे को दिशा व सुरक्षित रफ्तार देने वाले एसएंडटी कर्मियों की मांगों पर मौन हैं जिम्मेदार !

भारतीय रेलवे के बारे में हम सभी जानते हैं पर इस भारतीय रेलवे को चलाने में कौन से लोग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं आज हम जानने की कोशिश करने के लिए एक ऐसे विभाग के बारे में जानेगें जिसके बारे में शायद ही आम जनता को पता होता है परन्तु इनके कारण ही ट्रेनों को सुरक्षित एवं समय पर पहुंचाना संभव है और यह है भारतीय रेलवे का सिगनल एवं दूरसंचार विभाग. भारतीय रेलवे के सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के संगठन, इंडियन रेलवे सिगनल एवं दूरसंचार मैंटेनर्स यूनियन के महासचिव आलोक चन्द्र प्रकाश से रेलहंट के प्रबंध संपादक डॉ अनिल कुमार ने विशेष रूप से बातचीत कर उनकी ड्यूटी, स्थिति और चिंताओं की जानकारी ली. इस बातचीत को रेल हंट हू-ब-हू प्रकाशित कर रहे हैं.

सवाल . हम आपसे जानना चाहते हैं कि क्या आपके सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग से संबंधित समस्याओं से आपके अधिकारी तथा अन्य रेल कर्मी अवगत हैं?

आलोक जी : जहां तक अधिकारियों की बात है तो हम अपने यूनियन Indian Railway S&T Maintainers’ Union के माध्यम से अपनी समस्याओं को लगातार उन तक पहुंचाते रहे हैं इसके पूर्व भूतपूर्व CRB आश्वनी लोहानी जी से हमने पांच बार अलग-अलग स्टेशनों चक्रधरपुर, गांधीनगर, कोटा, इंदौर तथा बांदीकूई में की थी. इसके अलावा पूर्व CRB विनोद यादव जी से दो बार हमारी टीम ने रेलवे बोर्ड में अपनी सारी समस्याओं पर विस्तार से की थी और अभी भी हमारे नये CRB/CEO रेलवे बोर्ड सुनीत शर्मा जी से मिलने के लिए वक्त मांगा है. अन्य रेल कर्मियों की बात करूँ तो जिन विभाग के कर्मचारी हमारे साथ सीधे जुड़े हैं जैसे इंजीनियरिंग, ऑपरेटिंग, C&W स्टाफ को तो हमारी समस्याओं की जानकारी होती है परन्तु पर्सनल, अकाउंटस्, कॉमर्सियल विभाग के कर्मचारियों को हमारी समस्याओं की जानकारी कम होती है.

सवाल . आपके विभाग के बारे में या आपकी समस्याओं के बारे में आम जनता को कितनी जानकारी होती है और आपका कार्य किस प्रकार आम जनता को प्रभावित करता है?

आलोक जी : हमारा विभाग अधिकांशतः अप्रत्यक्षरूप से काम करता है जो सीधे आम जनता के संपर्क में कम आता है अतः आम जनाता को हमारे कार्य तथा समस्याओं की जानकारी कम होती है परन्तु कुछ गियरों जैसे कि LC गेट, कोच गाइडेन्स, वाई-फाई के मैनटेनेन्स तथा फेलियर में हम सीधे आम जनता के संपर्क में आते हैं और इनके फेलियर के वक्त हमें आम जनता के गुस्से का भी सामना भी करना पड़ता है और कई बार हम पर जानलेवा हमले भी होते हैं यहां तक कि हमारे कई साथियों को जान से हाथ भी धोना पड़ा है. भले ही हम अप्रत्यक्षरूप से काम करते हैं पर हमारा कार्य सीधे तौर पर आम जनता से जुड़ा है क्योंकि गाड़ियां सिगनल पर चलती हैं और सिगनल हमारी इंटरलॉकिंग पर चलती हैं. अतः सिगनल और टेलिकॉम गियरों के फेल होने पर आम जनता पर सीधा असर पड़ता है.

नाईट फेलियर गैंग सहित रिस्क एंड हार्डशिप अलाउंस के लिए संघर्षरत है इंडियन रेलवे सिगनल एवं दूरसंचार मैंटेनर्स यूनियन, पैनल ऑपरेशन सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग को दिया जाये : आलोक चंद्र

सवाल . इसके अलावा और किस प्रकार आपका विभाग आम जनता को प्रभावित करता है?

आलोक जी: सबसे बड़ी बात जो हमारे विभाग में हो रही है वो है HOER, 2005 का उल्लंघन हमारे विभाग में कोई ड्यूटी रोस्टर फॉलो नहीं होता है जो आदमी पूरे दिन काम कर थक चुका होता है उसी आदमी को रात में भी फेलियर होने पर किसी भी समय बुला लिया जाता है भले ही वो बच्चो के साथ सो रहा हो, या किसी अन्य काम में हो. अब अर्ध निंद्रा में यदि कोई भूल हो जाये और दुर्घटना हो जाए तो यात्रियों के साथ– साथ रेल की सम्पत्ति को भी नुकसान होता है

सवाल. इससे कैसे बचा जा सकता है?

आलोक जी : हम वर्षों से हर युनिट में एक नाईट फेलियर गैंग की स्थापना की मांग कर रहे हैं जो अपने आस-पास के चार-पांच स्टेशनों पर नाईट में फेलियर को ठीक कर सके और दिन वाले थके, सोये हुए कर्मचारी की किसी भी प्रकार की गलती की संभावना को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाये.

सवाल . आपके विभाग में वर्तमान में कुल कितने लोग कार्यरत् हैं?

आलोक जी: वर्तमान में तकरीबन 21000 हजार ग्रुप C तथा 20000 हजार ग्रुप D कर्मचारी ही मात्र पूरे भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं.

सवाल . तो पूरे भारतीय रेलवे में आपके विभाग में कुल कतने सैंक्शन्ड पोस्ट हैं?

आलोक जी: यार्ड स्टीक 2010 के अनुसार तकरीबन 65000 हजार ग्रुप C तथा 58000 हजार ग्रुप D कर्मचारी की सैंक्शन्ड पोस्ट है यानी करीब दो तिहाई वैकेन्सी हमारे विभाग में है. इसके अलवा हमने सिगनल तकनीशियन की ग्रेड 1 में 15 % सीधी भर्ती के लिए 2018 में ही रेलवे बोर्ड से आदेश पारित करवा लिया था परन्तु अभी तक एक भी पोस्ट नहीं भरी गई है.

सवाल . क्या रेल प्रशासन आपकी पोस्टें सरेंडर कर रही है?

आलोक जी: हाँ बिलकुल! हर साल हमारे विभाग में हजारों पोस्ट सरेंडर कर दिए जा रहे हैं. पहले हमारे विभाग में टीन मैन, डिजल मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, पेंटर की पोस्टें हुआ करती थी पर आज की तारीख में ये धीरे-धीरे खत्म कर दी जा रहीं हैं जबकि इनके काम आज भी हैं और बिना इनके हमारे विभाग का काम नहीं हो सकता.

सवाल . आपके विभाग की मुख्य समस्या क्या है?

आलोक जी : हमारे विभाग की मुख्य समस्याओं में HOER, 2005 का उल्लंघन सबसे बड़ी समस्या है इसके अलावा महज चार सालों में लगभग 80 से भी अधिक साथियों को हम खो चुके हैं हम 440 वोल्ट से लेकर 24 वोल्ट डायरेक्ट लाइव सर्किट पर काम करते हैं इसके अलावा 25000 वोल्ट AC traction के पास काम करते हैं सिगनल पोस्ट पर हमें कई बार झटके खाने पड़ते हैं बावजूद इसके हमें रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस से दूर रखा गया है. अतः हम माननीय मंत्री जी से निवेदन करते हैं कि सिगनल तथा टेलिकॉम विभाग के कर्मचारियों को तत्काल रिस्क तथा हार्डशिप अलाउंस दिया जाये.

सवाल . आपके विभाग कार्य प्रणाली आपके लिए कितनी सुरक्षित है?

आलोक जी: हमारे विभाग कार्य प्रणाली हमारे लिए बहुत हद तक असुरक्षित है क्योंकि जब सिगनल गियर फेल होते हैं तो सारा प्रेशर हमारे ऊपर ही आ जाता है और सिगनल को जल्दी-से-जल्दी ठीक करने के लिए कई प्रकार से दबाव बनाया जाता है जिससे कई बार हमारे लोग गलत काम कर जाते हैं और फिर कुछ दुर्घटना को अंजाम मिल जाने पर हमारे लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ता है. कई बार हमारे साथियों को फेलियर साइट पर जल्दी-से-जल्दी पहूँचने का दबाव बनाया जाता है और ऐसे में कई बार हमारे साथी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं और जान से हाथ धो बैठते हैं. कई बार हमारे साथियों को साइट पर फेलियर अटेंड करने के दौरान आजू-बाजू के ट्रैक पर होने वाली मूवमेंट की जानकारी स्टेशन मास्टर के द्वारा नहीं दिए जाने की वजह से रन ओवर हो जाते हैं.

सवाल . रेलवे के प्राइवेटाइजेशन को आपके विभाग में किस प्रकार लागू किया जा रहा है?

आलोक जी: रेलवे के प्राइवेटाइजेशन को हमारे विभाग में धीरे-धीरे लागू करने की पहल हो चुकी है. अभी कई रेलवे में प्राइवेट कम्पनियों को सिगनल तथा टेलिकॉम गियरों के मैंटेनेंस की जिम्मेदारी दे दी गई है परन्तु वे काम के लिए आदमी तो रखते ही नहीं काम तो हमारे ही साथियों को करना पड़ता है.

सवाल . और किस प्रकार कॉन्ट्रैक्ट वर्क आपको प्रभावित करता है?

लोक जी: नये कामों में भी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर जैसे-तैसै काम पूरा कर चले जाते हैं और फिर उन सभी कार्यों को हमें ही करना पड़ता है इससे अच्छा होता हमारे कंशट्रकशन विभाग की वैकेंसीयों भर कर हम खुद नए कामों को पुरा करते तो और बेहतर काम होता.

सवाल . आपने किस प्रकार रेल प्रशासन को आपकी चिंताओं से अवगत कराया है और उनका आपकी समस्याओं के समाधान के लिए कैसा रिस्पॉन्स रहा है?

आलोक जी: हमने कई प्रकार से हमारी समस्याओं के समाधान के लिए रेल प्रशासन से लेकर माननीय रेल मंत्री जी तक को अपना निवेदन किया है और हमारी कई समस्याओं का समाधान भी हुआ है पर कुछ मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए आज भी प्रयास जारी है परन्तु हमारे मार्ग की सबसे बड़ी रुकावट मान्यता प्राप्त यूनियन हैं.

सवाल . भारतीय रेल में टेलीकॉम विभाग की क्या भूमिका है?

आलोक जी: टेलीकॉम विभाग भारतीय रेल का एक कान का काम करता है भारतीय रेल में सूचना प्रसारण का कार्य करता है एवं ट्रेन परिचालन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका टेलीकॉम विभाग की है एवं पूरे मस्तिक का कार्य टेलीकॉम विभाग करता है इस तरह शरीर में एक मस्तिष्क होता है और उसी तरह.रेल मे Telecom Department होता हैं. सारी सूचनाएं देना काम होता है और क्या प्लानिंग करनी है वह भी उसी का काम होता है

सवाल . टेलीकॉम विभाग की ट्रेन के परिचालन में क्या भूमिका है?

आलोक जी: टेलीकॉम विभाग ट्रेन के परिचालन में सबसे अहम भूमिका निभाता है यह संचार व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखता है जिसके कारण ही ट्रेन का सुगम संचालन टेलीकॉम विभाग के ऊपर निर्धारित है ट्रेन कंट्रोलर एवं स्टेशन मास्टर के बीच में संचार व्यवस्था बनाए रखता है एवं एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच में भी संचार व्यवस्था बनाए रखता है और ट्रेन गति का कार्य भी Telecom Department करता है क्योंकि ब्लॉक फोन एक्सेल काउंटर सिगनलिंग केवल पर ही कार्य करता है इसके अलावा डाटा लोगर भी ट्रेन कम्युनिकेशन का एक सबसे बड़ा पार्ट है जो भी टेलीकॉम विभाग ही की कम्युनिकेशन देता है

सवाल . Covid-19 टेलीकॉम विभाग का क्या रोल रहा है?

आलोक जी: Covid-19 में टेलीकॉम विभाग का अहम रोल रहा है रेलवे बोर्ड से लेकर जोनल लेवल तक और जोनल लेवल से डिवीजन लेवल Division लेवल से स्टेशन तक भयंकर महामारी में संचार व्यवस्था को बनाए रखा एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अधिकारियों को एक मंच पर बैठकर विचार विमर्श कराया एवं उन्हें आपस में कॉमनिकेशन करने की सुविधा उपलब्ध कराई तथा Covid -19 में भी ट्रेनों को चलाया. इसके बारे में रेल मंत्री से लेकर CRB Sir, जीएम, डीआरएम को एक साथ कनेक्ट करके संचार को बनाए रख कर एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

सवाल . पैसेंजर को टेलीकॉम विभाग क्या हेल्प करता है?

आलोक जी: सबसे पहले मैं आपको बताना चाहूँगा कि टेलीकॉम विभाग अपने आप में एक बहुत बड़ा विभाग है लेकिन इस समय इसे बहुत छोटा माना जाता है लेकिन जितने भी हेल्पलाइन हैं वह टेलीकॉम विभाग ही देता है ट्रेन के आवागमन की सूचना स्टेशन पर टेलिकॉम विभाग देता है यात्री जो टिकट लेते हैं उसको भी टेलीकॉम विभाग ही इंटरनेट लिंक देता है चाहे वो आरक्षित टिकट हो या अनारक्षित टिकट. इसके अलावा टेलीकॉम विभाग आज जितने भी अपराधिक घटनाएं होती हैं उनमें सबसे बड़ा रोल टेलीकॉम विभाग का है सीसीटीवी कैमरा टेलीकॉम विभाग द्वारा ही कम्युनिकेट किया जाता है यात्रियों को प्लेटफार्म की सूचना, कोच की सूचना, समय सारणी की डिजिटल माध्यम से सूचना देता है साथ ही लगेज स्कैनर, वेब स्कैनर एवं यात्रियों के लिए डिस्प्ले बोर्ड एवं मनोरंजन के लिए लगाए गए डिस्प्ले बोर्ड, यात्रियों को रिजर्वेशन चार्ट डिजिटल दिखाने का काम भी टेलीकॉम विभाग ही करता है सभी स्टेशनों पर लगे हुए इंक्वायरी में उपकरण सारे टेलीकॉम विभाग के देखरेख में ही होते हैं और उनका अनुरक्षण कार्य भी टेलिकॉम विभाग द्वारा ही किया जाता है.

सवाल . अत्याधुनिक भारतीय रेल के निर्माण में टेलीकॉम विभाग का क्या योगदान रहेगा?

आलोक जी: भारतीय रेल में टेलिकॉम विभाग सबसे महत्वपूर्ण एवं मुख्य भूमिका निभाने की तैयारी में है. आने वाले समय में जो भी तीव्र गति से ट्रेन चलेगी उसके लिए सबसे अधिक और OFC कम्युनिकेशन के साथ में सारी सिगनलिंग अपग्रेड होगी. ट्रेनों की गति को बढ़ाने के लिए हम भारतीय रेलवे द्वारा स्वनिर्मित तकनीक TCAS का परिक्षण चल रहा है जो युरोपियन तकनीक ETCS Level 2 का विकल्प है जो एक GSM बेस्ड तकनीक है. इसका भार सबसे ज्यादा टेलीकॉम विभाग पर आने वाला है लेकिन जिस तरह से टेलीकॉम विभाग के कर्मचारियों के संख्या कम हो रही है और जितना वर्क का लोड बढ़ रहा है यह एक दयनीय स्थिति है.

ऑफिस से लेकर फिल्ड तक के कार्य को करने के लिए टेलीकॉम विभाग की सबसे बड़ी भूमिका है अब सारा कार्य E – ऑफिस पर हो रहा है और ऑनलाइन पास बनाना, ऑनलाइन पीएफ पास करना जैसे सारे कार्य ऑनलाइन हो रहे हैं. यह सिर्फ और सिर्फ टेलीकॉम विभाग की बदौलत ही किये जा रहे हैं भारतीय रेल को मेक इन इंडिया बनाने में सबसे बड़ा रोल टेलीकॉम विभाग का है और रहेगा.

सवाल . किन-किन चीजों को आप समझते है कि सिगनल एवं दूरसंचार विभाग में ठीक करने की आवश्यकता है?

आलोक जी: देखिए हमारा संगठन IRSTMU फ्रंट लाइन कर्मचारियों का संगठन है तो फ्रटलाईन पर जो समस्याएं हम फेस कर रहे है, उसमें सबसे बड़ी दिक्कत सामने आ रही है इसमें वर्कलोड का बढना, जैसे जैसे सिगनल एवं दूरसंचार विभाग का काम बढ़ रहा है स्टाफ की कमी एक ज्वालंत समस्या के रुप में आ रही है, इसके IRSTMU ने मेबर इंफ्रा सर से टेलीकॉम के लिए नई यार्डस्टीक लाने की मॉग रखी है.
हमने कई चीजों विभिन्न स्तरों पर इन बातों को रखा है और निसंदेह इसमें रेल प्रशासन का भी सहयोग रहता है कि बढ़ती तकनिक के साथ जो उपकरण टुल या सुविधाएं कर्मचारियों तक पहुचनी चाहिए उनपर स्टेप भी लिए जाते है. इसमें एक हमारा रिस्क और हार्डशीप एलायंस है, जिसके IRSTMU बहुत समय से प्रयासरत है, विभिन्न मंचों पर ग्राउंड स्टाफ की क्या परेशानियां है उससे अवगत कराया गया है.

दूसरी बात है कि फेलियर में जाने आने हेतु एक एक फोर व्हीलर हर यूनिट के पास होना चाहिए ताकि हम रिस्टोरेशन का कार्य जल्दी से जल्दी कर सके, इसमें अनावश्यक व्यावधान न हो.

सिग्नल के साथ साथ दूरसंचार का कार्य केबल मेंटेनेंस तथा फेलियर ठीक करने का कार्य रेल ट्रैक के साथ-साथ चलता है, कई बार हमारे साथियों का एक्सिडेंट भी हो जाता है, महज तीन-चार सालों में तकरीबन 80 से ज्यादा सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों ने मेंटेनेंस तथा फेलियर ठीक करने के दौरान अपनी जान गवाईं हैं इसके बावजूद भी सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को रिस्क और हार्डशीप भत्ता से दूर रखा गया है जो एक प्रकार से हमारे कर्मचारियों के शोषण के समान है. अतः हम आपके माध्यम से माननीय रेल मंत्री जी से अनुरोध करना चाहते हैं कि सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को रिस्क और हार्डशीप भत्ता तत्काल दिया जाये.

सवाल . इन सभी चीजों के अलावा और कौन से बदलाव करने के लिए आपका संगठन कार्य कर रहा है?

आलोक जी: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ट्रेनों का परिचालन सिगनलिंग इंटरलॉकिंग पर होता है जो पूरी तरह से टेलिकॉमनिकेशन लिंकस् पर चलता है तथा ट्रेनों का परिचालन पैनल से किया जाता है जो पूरी तरह से एक तकनीकी कार्य है परन्तु नॉन तकनीकी कर्मचारियों को इसे ऑपरेट करने के लिए दे दिया गया है. अब हमारा कहना है कि जब इस इंटरलॉकिंग को बनाते हम सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी हैं, मैंटेनेंस हम सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी करते हैं यहाँ तक कि फेलियर भी हम सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी ठीक करते हैं तो अलग से एक नॉन टेक्निकल पैनल ऑपरेटर क्यों रखा जाता है जबकि हम सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी पैनल ऑपरेटर करने में सक्षम हैं. अतः हम आपके माध्यम से माननीय रेल मंत्री जी से अनुरोध करना चाहते हैं कि पैनल ऑपरेशन की जिम्मेदारी सिगनल एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को दी जाये.

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