नई दिल्ली. रेलवे में SAFETY, SPEED & ECONOMY की स्थापना के लिए सिगनल एंड टेलीकम्युनिकेशन कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और रेल परिवहन में अपनी अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम कर रहे हैं. AIRSTSA रेलवे सिगनल और दूरसंचार कर्मचारियों की खराब स्थिति पर ध्यान देने का अनुरोध रेलवे प्रशासन के पास लगातार करता रहा है, जो भारतीय रेलवे की सुरक्षा की रीढ़ हैं और 24 घंटे अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं.
AIRSTSA के राष्ट्रीय महासचिव तपन चौधरी ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि रेलवे में सेफ्टी, इकोनोमी और स्पीड को गारंटी से चलाने वाले सिग्नल एवं टेलीकम्युनिकेशन विभाग के 63 हजार कर्मचारियों के हर अधिकारों का गला घोंटकर रोड साइड स्टेशनों पर उनसे 24 घंटे की ड्यूटी करायी जा रही है. संसद व ऑल इंडिया रेलवे सिगनल एंड टेलिकम्युनिकेशन स्टाफ एसोशिएशन राष्ट्रीय संरक्षक मुकेश राजपूत की पहल पर एसएंडटी कर्मियों की मांगों को प्रधानमंत्री तक पहुंचाया गया. प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर कुछ समस्याओं का समाधान तो हुआ है लेकिन बहुत कुछ होना बाकी है. एसएंडटी के 63 हजार कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर ड्यूटी करते हुए एक दिवसीय भूख हड़ताल कर सरकार के सामने अपनी मांगों को रखा है.
इसके बाद मांगों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से रेल मंत्रालय को निर्देश भी जारी हुआ परंतु उस पर कोई ठोस कारवाई नहीं की गयी. प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों के बाद भी रेल मंत्रालय कार्य के निर्धारित मापदंड (Hours of Employment Rules), Yardstick, Duty Roster और कई नियमों के तहत नियमों के सेट को लागू नहीं कर रहा है. प्रति वर्ष सिगनल एवं टेलीकम्युनिकेशन विभाग के सैकड़ों कर्मचारी ड्यूटी के दौरान दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. इनके जोखिम एवं खतरों को देखते हुए, सभी सिगनल एवं टेलीकम्युनिकेशन विभाग के कर्मचारियों को ट्रैक पर काम करने वाले अन्य कर्मचारियों के बराबर “रिस्क एंड हार्डशिप अलाउंस” की मांग पूरी की जानी चाहिए.