- इंडियन रेलवे एसएनटी मेंटेनर्स यूनियन ने दिल्ली में आयोजित किया राष्ट्रीय सुरक्षा सेमिनार, शामिल हुए मेंबर एसएनटी
- एक साल में चार दुर्घनाएं एसएनटी के खाते में आयी, यह सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय : मेंबर
- सिग्नलिंग के माडिफिकेशन पर खर्च होंगे 78000 करोड़, सिस्टम में सुधार के 1600 करोड़ आवंटित
- देश भर से आये सिग्नल एंड टेलीकम्युनिकेशन के कर्मचारियों ने हार्डशीप अलाउंस व नाइट फैल्योर गैंग की मांग उठायी
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
रेलवे बोर्ड के मेंबर एसएनटी एन काशीनाथ ने कहा कि ट्रेनों के परिचालन में अहम भूमिका अदा करने वाले एसएनटी कर्मचारियों की लगन मेहनत का परिणाम है कि हर दिन हजारों की संख्या में लोगों की यात्रा सुरक्षित हो पाती है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है यह तभी संभव है जब हम सेफ्टी के मामले में कोई शॉटकट नहीं अपनाये और नियमों के अनुसार ही फेल्योर व रुटीन कार्य करें. मेंबर एसएनटी शुक्रवार 26 जुलाई को दिल्ली के एनडीएमसी कॉन्वेशनल हॉल में इंडियन रेलवे एसएनटी मेंटेनर्स यूनियन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा सेमिनार में बोल रहे थे. जय एसएनटी कहकर अपना संबोधन शुरू करने वाले मेंबर काशीनाथ ने सेफ्टी को ग्राउंड लेवल पर ले जाने की जरूरत बतायी. लगे हाथ मेंबर एसएनटी ने कर्मचारियों को आसन्न खतरों के प्रति आगाह भी किया. कहा कि वर्ष 2018-19 और 2019-20 में चार दुर्घटनाएं सिग्नल विभाग के खाते में आ चुकी है. यह हमारे लिए खतरे की घंटी और गंभीर चिंता व चेतावनी का विषय है.
साल 2018-19 में तीन और 2019-20 के चार माह में एक दुर्घटना सिग्नल डिपार्टमेंट के खाते में आ गयी है. यह खतरे की घंटी है जो गंभीर चिंता व चेतावनी का कारण है. ईस्ट कोस्ट में टावर वैगन से ट्रेन की टक्कर में तीन कर्मचारियेां की मौत हमारी लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है.
एन काशीनाथ, मेंबर एसएनटी
कार्य में लापरवाही को चिह्नित करते हुए काशीनाथ ने अपने काम के लिए स्टेशन मास्टर पर आश्रित होने की प्रवृति को घातक करार दिया और सलाह दी कि आउटडोर में फ्लोयोर अटेंड करने कभी अकेले न जाये. मेंबर ने हार्डशीप व रिस्क अलाउंस की मांग पर कहा कि रेलवे बोर्ड ने इडी कमेटी बनायी है जिसकी रिपोर्ट पर हम जल्द ही कुछ कैटेगोरी को इसमें शामिल करने जान रहे है. एएमसी पर अपनी राय रखते हुए मेंबर एसएनटी ने कहा कि हमें इसे एआरसी में बदलना है. उन्होंने कर्मचारियों को आगाह किया कि वह एएमसी के भरोसे नहीं रहे, क्योंकि फ्लेयोर को सबसे पहले उन्हें ही अटेंड करना होता है, इसलिए आपके ट्रेनिंग की व्यवस्था की जायेगी. वर्कप्लेस पर दबाव को स्वीकार करते हुए मेंबर एसएनटी ने कहा कि रेलवे बोर्ड स्तर पर खाली पदों को भरने के लिए कुछ फार्मूला निकालने का प्रयास किया जा रहा है जिसके तहक वैकेंसी क्रियेट की जायेगी.
प्रोन्नति पर भी मेंबर ने खुलकर अपनी बात रखी. तकनीक को आने वाली पीढ़ी की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि बीएससी पास को ईएसएम ग्रेड 1 में डायरेक्ट 15 प्रतिशत बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी है. ग्रेड 1 को बढ़ाया जा रहा है ताकि नयी तकनीक का बेहतर संचालन कर्मचारी कर सकें. मेंबर एसएनटी ने भविष्य की योजनाओं को लेकर भी कर्मचारियों की चिंताओं को दूर किया. उन्होंने कहा कि सरकार सिग्नलिंग के माडिफिकेशन पर 78000 करोड़ खर्च करने जा रही है. इसके अलावा 1600 करोड़ रुपये भी स्वीकृति किये गये है जिससे पांच साल में सिग्नलिंग का नक्शा ही बदल जायेगा. इसके बाद हम एसएनटी को टॉप पर पहुंचा देंगे और हमारा चेहरा ही तब कुछ और होगा. एन काशीनाथ ने कर्मचारियों को संगठित होकर एक मंच के तले आवाज बुलंद करने की सीख भी दी और कहा कि ऐसा कुछ न करें कि एमएनटी का नाम बदनाम हो. सेमिनार में देश भर से एसएनटी कर्मी और मेंटेनर्स यूनियन के पदाधिकारी शामिल हुए.
इससे पूर्व कार्यक्रम में पूर्व डीजी एसएनटी अखिल अग्रवाल ने विलंब से पहुंचने पर खेद जताते हुए उदाहरण के साथ समझाया कि विलंब से अधिक सुरक्षित पहुंचना कितना जरूरी है. अखिल अग्रवाल ने रेलवे के मूल मंत्र सेफ्टी, सिक्युरिटी व पंचुअलिटी को याद दिलाते हुए बताया कि शॉट कट से हमेशा नुकसान होता है और यह हमें दंड का भागी बनाना है. उन्होंने पूर्व के अनुभव साझा करते हुए एसएनटी कर्मचारियों को बताया कि मेंटेनर्स लेवल पर होने वाली दुर्घटना और कर्मचारी पर कार्रवाई को लेकर गहरा दुख होता है.
अगर आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकेंगे तो गाड़ी की सुरक्षा भी सुनिश्चित करा पाना नामुमकीन होगा. किसी भी स्थिति में सुरक्षा नियमों की अनदेखी न करें. कभी भी आपको पंचुअलिटी के लिए चार्जशीट नहीं दी जाती. सिग्नल के बिना गाड़ी नहीं चल सकती है यह कड़वी सच्चाई है और गर्व की बात है कि आप इसके पार्ट हैं.
अखिल अग्रवाल, पूर्व डीजी, एसएनटी
उन्होंने स्टेशन मास्टर के प्रति विचार बदलने का अनुरोध करते हुए एसएनटी कर्मियों को समझाया कि एक स्टेशन मास्टर भी उतनी की समस्याओं से जूझ रहा है जितना की आप. इसलिए उसके प्रति विचार में परिवर्तन लाने की जरूरत है. कहा कि, अच्छे काम से ही फ्लयोर कम होगा और यही आपकी उपलब्धि होगी. सिग्नल पर रेलवे बोर्ड को विश्वास है और हमे यह प्रयास करना है कि यह विश्वास टूटने नहीं सके. रेलवे बोर्ड स्तर पर कर्मचारियों का प्रेसर कम करने के लिए तकनीकी स्तर पर काम हो रहे है और जल्द ही आपकी लाइफ की सहज हो जायेगी.
कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड पीएससी के चेयरमैन रमेश चंद्र रतन ने सरकार की भावनाओं से एसएनटी कर्मियों को अवगत कराया और कहाकि उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाकर वह उनकी राह आसान बनायेंगे ताकि रेलवे की सेवा करने वाला एसएनटी तबका भी अपने परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर सके. इस मौके पर ऑल इंडिया एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन की वेबसाइट भी लांच की गयी. कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के प्रिंसिपल इडी अरविंद मित्तल, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार, रेल समाचार के संपादक सुरेश त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे.
एएमसी की जगह ट्रेनिंग की व्यवस्था करें ताकि रेलवे का पैसा बचे और बेहतर काम हो : आलोक चंद्र
सेमिनार में इंडियन रेलवे एसएनटी मेंटेनर्स यूनियन के महामंत्री आलोक चंद्र प्रकाश ने सहकर्मियों से अनुरोध किया कि वह किसी भी प्रकार का शाट कट नहीं अपनाये यह हमेशा खतरनाक होता है. सेफ्टी अपनाकर ही हम अपनी पहचान को बरकरार रख सकते है. उन्होंने कहा कि यूनियन की पहल पर एसएनटी कर्मियों को कई सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है इमसें वर्दी, हेलमेट, रैनकोट आदि शामिल है. यूनियन हार्डशीप व रिस्क अलाउंस को लेकर लगातार प्रयास कर रही है और बहुत जल्द इस दिशा में भी सकारात्मक परिणाम सामने आयेगा. रेलवे बोर्ड के पदाधिकारियों से अनुरोध है कि एएमसी की जगह ट्रेनिंग की व्यवस्था करें ताकि रेलवे का पैसा बचाकर रेलकर्मी और बेहतर काम कर सके. महामंत्री ने देश भर से आये सहयोगियों का आभार जताया और एकता का आह्वान किया.
पैनल ऑपरेशन एसएनटी के पास होता तो खुर्दा डिवीजन जैसी घटना नहीं घटती : नवीन कुमार
इंडियन रेलवे एसएनटी मेंटेनर्स यूनियन के अध्यक्ष नवीन कुमार ने सभा में रेलवे के सामने कर्मचारियों की समस्या को रखते हुए स्पष्ट किया कि जो कहा जाता है वैसे जमीन स्तर पर नहीं हो पा रहा है. नवीन कुमार ने क्वालिफिकेशन के आधार पर कर्मियों को ग्रेड 6 का लाभ देने की मांग उठायी. उन्होंने बताया कि रोड साइड स्टेशन पर किस तरह सिग्नल के कर्मी बच्चों की दवा व सुविधाओं के लिए तरस जाते है. नवीन कुमार ने असिस्टेंट का तीन साल में एलडीसी परीक्षा लेने, नाइट फेल्योर गैंग को जमीनी स्तर पर सुविधा उपलब्ध कराने, ईएसएम-टीसीएम आदि को ड्यूटी में लॉकर उपलब्ध कराने की मांग उठायी. कहाकि पैनल ऑपरेशन एसएनटी के पास होता तो खुर्दा डिवीजन जैसी घटना नहीं घटती. उन्होंने अलाएंस नहीं मिलने के कारण कई लोगों के ट्रेनिंग स्कूल छोड़ने पर भी सवाल उठाया. कहाकि की भले की मेंबर एसएनटी अकेले फेल्योर अटेंड नहीं करने की बात कहते है लेकिन रोड साइड में यह निर्देश जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पता है इस पर ध्यान देने की जरूरत है.