- जर्मन तकनीक वाला (बीएमबीएस) बोगी माउंटेड ब्रेक सिस्टम को 89 फीसदी वैगनों में लगाया जा चुका है
- इंडियन रेलवे में तीन माह में 70 हादसों से बढ़ायी चिंता, डेडिकेटेड फ्रेंड कॉरिडोर में घटायी गयी रफ्तार
- बड़ी संख्या में वैगनों में सिस्टम लगाये जाने के कारण रेलवे के सामने आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति
JAMSHEDPUR : सलगाझरी के पास पर मालगाड़ी के बोगियों की इंजन की टक्कर के बाद फिर से यह सवाल सामने आया है कि क्या घटना सिग्नल ओवरशूट के कारण हुई अथवा यह (बीएमबीएस) बोगी माउंटेड ब्रेक सिस्टम की चूक का कारण था. हालांकि तकनीकी जानकार इसे सिग्नल ओवरशूट से हुई घटना ही बता रहे हैं. गुड्स ट्रेन के लोको पायलट खड़गपुर के (जेबी बेहरा) जानकी बल्लव बेहरा थे. जो 2021 में पायलट (मास्टर) बने हैं. लंबे अनुभव के बावजूद इस चूक को गंभीर माना जा रहा है. रेलवे बोर्ड ने दुर्घटना पर चक्रधरपुर व खड़गपुर मंडल मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी है, जिस पर खड़गपुर सीएलआई से रेलवे बोर्ड ने विस्तृत बयोरा भेजा है.
जानकी बल्लव बेहरा के साथ सह चालक नया था. नौकरी ज्वाइन करने के बाद वह दूसरे दिन ही ड्यूटी गया था. इस कारण रेलहंट उसके नाम का खुलासा नहीं कर रहा है. सिग्नल ओवरशूट को रेलवे में गंभीर चूक माना जाता है और ऐसे अधिकांश मामलों में पायलट को Remove from service के दंड से गुजरना पड़ा है. डीआरएम चक्रधरपुर एजे राठौर ने भी जांच में इसे प्रथम दृष्टाया सिग्नल ओवरशूट का मामला ही बताया था. हालांकि रेलवे इसकी जांच कर रहा है जो ब्रेकिंग सिस्टम के अप्लाई के समय और कारणों से सच को सामने लायेगा.
अब आते है कि दुर्घटना के दूसरे बड़े कारण में चिह्नित ब्रेकिंग सिस्टम जो इन दिनों भारतीय रेलवे में अधिकारियों की निंद उड़ा चुका है. यह है जर्मनी की नॉर कंपनी से आयतित (बीएमबीएस) बोगी माउंटेड ब्रेक सिस्टम. रेलवे के अधिकांश मालगाड़ियों के वैगन (89 फीसदी) में इस सिस्टम को लगाया जा चुका है. विदेशी तकनीक वाले इस सेंसर ब्रेक सिस्टम को भारतीय वैगनों के अनुकूल नहीं माना जा रहा है और लोको पायलटों का मानना है कि इस सिस्टम की तकनीकी चूक के कारण ही तीन माह में लगभग 70 से अधिक हादसे हो चुके हैं. आलम यह है कि तेज रफ्तार के लिए चर्चित डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर में गुड्स ट्रेनों की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित करनी पड़ी है. तब सवाल यह उठता है कि आखिर तकनीक के इस्तेमाल से पहले क्या तैयारियां की गयी थी ? क्या सरकार इस तरह रेलवे को रफ्तार देगी ?
लोको पायलटों का मानना है कि इस सिस्टम की तकनीकी चूक के कारण ही तीन माह में लगभग 70 से अधिक हादसे हो चुके हैं. आलम यह है कि तेज रफ्तार के लिए चर्चित डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर में इसी ब्रेकिंग सिस्टम के कारण गुड्स ट्रेनों की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित करनी पड़ी है. तब सवाल यह उठता है कि आखिर तकनीक के इस्तेमाल से पहले क्या तैयारियां की गयी थी ? क्या सरकार इस तरह रेलवे को रफ्तार देगी ?
ऐसा बताया जाता है कि इस सिस्टम स्वदेशी वैगनों के अनुकूल नहीं बताकर आरडीएसओ लखनऊ ने भी सहमति नहीं जतायी थी लेकिन रेलवे बोर्ड में ऊपर से नीचे तक बैठे कॉकस के कारण ही इसे न सिर्फ वर्तमान समय की जरूरत बताकर इम्प्लीमेंट में लाया गया बल्कि आनन-फानन में 89 फीसदी से अधिक वैगनों में लगाया जा चुका है. हालांकि रेलवे अधिकारी इसे सिस्टम की चूक मानने को तैयार नहीं है, लेकिन लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बाद रेलवे बोर्ड ने लोको पायलट और गार्ड से सिस्टम को लेकर हर दिन ड्यूटी के बाद का फीडबैग लेना शुरू किया है. अब सवाल यह उठता है कि नयी तकनीकी को लांच करने से पहले उसे उपयोग करने वालों से सलाह क्यों नहीं ली जाती है? राहत की बात है कि यह सिस्टम अभी सिर्फ मालगाड़ियों में लगा है जिससे दुर्घटनाओं में मानवीय हानि नहीं हुई.
लगातार हो रही दुर्घटनाओं की समीक्षा में ब्रेकिंग पावर में कमियों की बात आयी सामने
बोगी-माउंटेड ब्रेक सिस्टम (बीएमबीएस) में जुलाई 2022 में रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) ने सवाल उठाया था. इसने कहा कि एक समिति की रिपोर्ट में सिस्टम की ब्रेकिंग पावर में कमियां पाई गईं हैं. सुल्तानपुर में दो मालगाड़ियों की टक्कर के बाद बीएमबीएस सिस्टम को लेकर सवाल उठाये गये थे. तब ढलान में ब्रेकिंग सिस्टम को अप्रभावी पाया गया था. आरडीएसओ की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी थी कि जर्मन निर्मित ब्रेकिंग सिस्टम में कम ब्रेक बल होता है. हालांकि तब ब्रेकिंग सिस्टम के संचालन को रोकने की सिफारिश नहीं की गयी क्योंकि यह लगभग 69 हजार वैगन में लगाया जा चुका था. लगातार चालकों के असंतोष के बाद सिस्टम में गड़बड़ी के समाधान के लिए जर्मन कंपनी नॉर-ब्रेमसे के साथ रेलवे काम कर रही है.
लोको चालकों ने रेलहंट से बातचीत में माना कि (बीएमबीएस) बोगी माउंटेड ब्रेक सिस्टम का नया अप्लीकेशन ब्रेकिंग टाइम को बढ़ा दे रहा है इससे चालक को जजमेंट में चूक हो रही है. तत्काल ब्रेक लगने व रिलीज करने वाली यह विदेशी तकनीक यहां के वैगन के अनुकूल नहीं है. यह समस्या बढ़ा रही है. इससे अक्सर सिग्नल ओवरशूट की घटनाएं हो जाती है जिसका खामियाजा पायलट को भुगतना पड़ रहा है. दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेलमंडल के टाटानगर में नये मालगाड़ी हादसे के बाद यह सवाल फिर से चर्चा में है. दुर्घटना के बाद मालगाड़ी चालक से जांच कमेटी ने पूछताछ की है. गार्ड को बुलाया गया है. शनिवार 18 फरवरी 2023 की सुबह 7.30 बजे मालगाड़ी बेपटरी होकर दूसरे लाइन पर मालगाड़ी के बोगियों से टकरा गयी थी.