नई दिल्ली. रेलवे में निजीकरण व निगमीकरण के खिलाफ एक बार फिर बड़ा आंदोलन चलाये जाने की बात एआईआरएफ नेताओं ने कही है. शनिवार 27 मार्च को मुरादाबाद आए एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने फिर से दोहराया कि बार-बार चेतावनी के बावजूद केन्द्र सरकार बैक डोर से निजीकरण के रास्ते तलाश रही है. इसलिए अब रेल कर्मचारियों को किसी हद तक जाकर आंदेालन के लिए तैयार रहना होगा.
नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (नरमू) के कपूर कंपनी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में फेडरेशन के महामंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियों से रेल कर्मचारी खुश नहीं है. सरकार से सीधी लड़ाई के लिए रेलवे के अन्य संगठनों को साथ लेकर ही बड़ी लड़ाई लड़ी जा सकती है. इसके लिए नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी फॉर रेलवेमैन स्ट्रगलर का गठन किया गया है. इसमें दूसरे संगठन भी शामिल हैं. लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए राज्य के संगठनों को भी इससे जोड़ा गया है. महामंत्री ने कहा कि विरोध प्रदर्शन की योजना को कोरोना को लेकर टाला गया है. उन्होंने मई में बड़े आंदोलन का संकेत दिया.
शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि डेडीक्रेडिट फ्रेट कॉरिडार को भी सरकार पिछले दरवाजे से प्राइवेट कंपनी को देने का विचार कर रही है. रेलवे का 60 प्रतिशत राजस्व फ्रेट से है जबकि यही कारोबार उससे ले लिया जायेगा तो रेलवे का डूबना तय होगा. फेडरेशन के नेता ने आंदोलन में राजनैतिक दलों से किसी प्रकार के समझौते से इनकार किया है.
इससे पहले एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का मुरादाबाद में जोरदार स्वागत किया गया. उन्होंने ब्रांचों पदाधिकारी के साथ जोनल नेताओं के साथ बात कर आंदोलन के लिए तैयार रहने को कहा. इस मौके पर फेडरेशन के केन्द्रीय उपाध्यक्ष एमपी चौबे, मंडल अध्यक्ष रोहित बाली, महामंत्री राजेश चौबे, प्रवीणा सिंह, मनोज शर्मा, विजयंत शर्मा, सुहेल खान, मंजू बिष्ट, विदुला सिंह, नफीस अहमद, देवेन्द्र कुमार, सुनील शर्मा, जगन्नाथ, खेमपाल, ब्रहमपाल समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल थे.
इससे पहले 14 मार्च को फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने चेन्नई में सरकार पर हमला बोलते हुए भारतीय रेल को कारोबार समझने की भूल नहीं करने की चेतावनी दी थी. उन्होंने पुरानी पेंशन की बहाली के साथ ही रेल को बचाने की लड़ाई में युवाओं से पूरी शक्ति लगाने का आह्वान किया था.
हिन्दुस्तान समाचार से इनपुर