बिलासपुर . भारतीय रेलवे का कमाऊपूत कहे जाने वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन ने एक बार फिर कीर्तिमान बनाया है. जोन ने माल लदान और सकल अर्जन के क्षेत्र में अपने ही सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 20 हजार 109 करोड़ रुपये आय अर्जित की है. कमाई का यह आंकड़ा छूने वाला एसईसीआर इकलौता जोन बन गया है. जबकि 18 हजार 985 करोड़ रुपये कमा कर ईसीओआर (पूर्व तटीय)जोन दूसरे स्थान पर है. बिलासपुर जोन ने यह आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2017-18 में कठिन परिस्थिति में अर्जित की है.
अफसर भी मानते हैं कि यह उपलब्धि हासिल करना चुनौती भरा था. दरअसल इस वर्ष रेलवे में संरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए पटरियों की मरम्मत पर खास जोर दिया गया. पिछले साल की तुलना में इस बार लगभग 40 प्रतिशत अधिक प्रमुख मशीन ब्लाक दिए गए. साथ ही 10 सालों की तुलना में सर्वाधिक रेल नवीनीकरण के कार्यों को पूरा किया गया. इस वर्ष 200 किमी से ज्यादा नई रेल लाइने बिछाई गई. इसमें आमान परिवर्तन, नई लाइनों के साथ-साथ महत्वपूर्ण सेक्शन के दोहरीकरण तथा तिहरीकरण के कार्य भी शामिल हैं.
रेलवे निर्माण के क्षेत्र में मौजूद लाइनों के दोहरीकरण तथा तिहरीकरण को ट्रेनों के परिचालन की दृष्टि से सर्वाधिक जटिल माना जाता है. इन कार्य के लिए बड़े ब्लॉक के साथ नॉन इंटरलॉकिंग की जरूरत होती है. इसका सीधा प्रभाव ट्रेनों की गति पर पड़ता है. इन चुनौती के बाद भी रेलवे ने श्रेष्ठता दिखाई और बीते वित्तीय वर्ष के अपने ही आंकड़े को पीछे छोड़ दिया. पिछले साल भी 19 हजार 125 करोड़ कमाई करने के बाद बिलासपुर जोन पहले स्थान पर था. इसके अलावा लगभग 80 किमी डबलिंग व तीसरी लाइन के कार्य को इस साल दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने पूरा किया है.
हालांकि वर्ष 2017-18 के लिए रेलवे बोर्ड ने जो फ्रेट लोडिंग टारगेट द.पू.म.रे. को दिया गया था, उसे हासिल नहीं किया जा सका है. बोर्ड ने द.पू.म.रे. को 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए कुल 190 मिलियन टन फ्रेट लोडिंग का टारगेट दिया था. परंतु यह टारगेट से 10 मिलियन टन कम यानि 180 मिलियन टन ही हो पाया है, जो कि पूर्व तट रेलवे द्वारा किए गए 182.7 मिलियन टन से भी कम है.
केवल चार प्रतिशत लाइन से 12 प्रतिशत आय
भारतीय रेल में 66 हजार किलोमीटर रूट है. इसमें 2500 किमी रूट दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के पास है. केवल चार प्रतिशत भाग के साथ 12 प्रतिशत आय हासिल करना बड़ी बात है. यह कर्मचारियों की कर्मठता का प्रतिफल है. रेल प्रशासन भी इस बात को मानता है. इस वर्ष से ही आगामी वित्तीय वर्ष में भी नया कीर्तिमान बनाने के लिए कमर कस ली गई है.
माल लदान का टूटा रिकार्ड
माल लदान में भी अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए जोन ने 180 मिलियन टन वार्षिक लादान के आंकड़े को पार किया. इसके साथ ही पिछले 7 वर्षों से लगातार 150 मिलियन टन से अधिक लादान करने वाला दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे एक मात्र जोन है.
नई दुनिया साभार