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हर ट्रेन की यही कहानी , टूटे फ्लश – बेसिन में पानी !!

हर ट्रेन की यही कहानी , टूटे फ्लश - बेसिन में पानी !!

तारकेश कुमार ओझा , खड़गपुर

हम भारतीयों की किस्मत में ही शायद सही – सलामत यात्रा का योग ही नहीं लिखा है . किसी सफर में सब कुछ सामान्य नजर आए तो हैरानी होती है . कोरोना काल में उत्तर प्रदेश की मेरी वापसी यात्रा का अनुभव कुछ ऐसा ही रहा . कई मामलों में नए अनुभव के बावजूद चिर – परिचित असुविधा़ओं के कायम नजर आने से मुझे यही लगा कि अपने देश में ” हर ट्रेन की यही कहानी , टूटे फ्लश – बेसिन में पानी ” वाली सूरत जल्द बदलने वाली नहीं .

प्रतापगढ़ से हिजली तक की अपनी यात्रा शुरू करने जब मैं स्टेशन पहुंचा तब स्टेशन के सारे प्लेटफार्म सूने नजर आ रहे था . ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी , अलबत्ता कुछ बंदर धमाचौकड़ी मचाए थे . कोरोना काल में खाने की कमी से शायद वे भी परेशान थे . 02876 आनंदविहार – पुरी कोविड स्पेशल ट्रेन के लिए मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा . लेकिन यह क्या जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म पर प्लेस लेने लगी, पूरे स्टेशन की बिजली गुल हो गई . अपनी – अपनी सीट तक पहुंचने के लिए यात्री बदहवास इधर – उधर भागने लगे . डिब्बे में पहुंच कर सबसे पहले मैने पानी चेक किया जो सही – सलामत मिला . लेकिन बेसिन में उफनता पानी देख मायूसी हुई .

आस – पास का जायजा लेने पर तकरीबन सारे बेसिन इसी हालत में मिले . किसी – किसी में टूटी बोतलें पड़ी थी . ऐसे में एक और तकलीफदेह यात्रा का मुझे अंदाजा हो गया . ट्रेन का रूपांतरण एल एच बी कोच में हो जाने से सारी सुविधाएं अत्याधुनिक थी , लेकिन टॉयलट के भीतर कोई भी फ्लश काम नहीं कर रहा था . इस बीच ट्रेन भदोही में काफी देर रुकी रही तो मेरा माथा ठनका . पता लगा ट्रेन करीब आधे घंटे बिफोर है . यात्रियों का कहना था कि 77 फीसद ट्रेनें चल ही नहीं रही हैं , इसी से गाड़ियों को लाइन क्लियर मिल रहा है . टूटे फ्लश और उफनते बेसिन के मद्देनजर मुझे लगा शायद किसी बड़े स्टेशन पर इसका संग्यान लिया जाएगा , आखिर कोरोना काल जो है .

लेकिन मंजिल पर पहुंचने तक समस्या जस की तस कायम रही . हिजली पहुंचने में ट्रेन को करीब एक घंटे का विलंब हो गया . उस पर आउटर पर ट्रेन करीब 25 मिनट प्लेटफॉर्म खाली होने का इंतजार ही करती रही . डिब्बों में यात्री और बाहर राहगीर अकुलाते रहे . मुझे लगा कि समस्या ज्यों की त्यों ही रहनी थी तो फिर ट्रेनों का ठहराव खड़गपुर ही क्या बुरा था . बहरहाल ट्रेन हिजली पहुंची और मैं यही सोचता हुआ डिब्बे से उतर कर घर की ओर चल पड़ा …!!

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