ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में कवि-कवित्रियों ने अपनी रचनाओं से जमीनी हकीकत से सबको रू-ब-रू कराया
शक्ति-“साहित्य मधुशाला” द्वारा आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में गीत-संगीत व गजल की धूम के बीच कवि-कवित्रियों ने अपनी रचनाओं से जमीनी हकीकत से सबको रू-ब-रू कराया. कवि एवं जैन कवि संगम कर्नाटक के अध्यक्ष जैन राजेंद्र गुलेच्छा “राज” बैंगलोर ने अपनी रचना से शुरुआत की और संस्थापिका मैसूर की सुप्रसिद्ध कवित्री एवं अग्र ज्योति पत्रिका की संपादिका उषा जैन केडिया ने काव्यात्मक अंदाज से इसे आगे बढ़ाया.
जमशेदपुर के प्रमोद खीरवाल ने “सोया हुआ सनातन जाग उठा” तथा उपासना सिन्हा ने तरन्नुम में अपनी गज़ल “हे बेनाम रिश्ता सा” प्रस्तुत से ऐसा समां बांध्रा कि सभी मंत्रमुग्ध हो गये. लक्ष्मीसिंह “रूबी” ( जमशेदपुर) ने “इब्दिताएं इश्क को हसीन नाम दे देना” गज़ल सुनाकर सबको मोह लिया. वसंत जमशेदपुरी ने “मुझे वो शक्ति दो दाता जगत की पीर लिख दूं” एवम् भगवान शिव की महिमा दर्शाती अपनी कविताएं प्रस्तुत से महौल को भक्तिमय बना दिया. प्रेमलता गोयल (अम्बिकापुर) ने सिपाहियों को समर्पित अपनी क्षणिका पढ़कर सुनायी.
इससे पहले गोष्ठी में देश-विदेश के चुनिंदा कवि-कवित्रियो ने रचनाओं का पाठ किया. जमशेदपुर से वसंत जमशेदपुरी “हे शारदे माँ…अपनी वीणा मधुर बजाओ” की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की. संगीता चौधरी जी ( कोलकाता) ने महंगाई का रोना रोनेवालों पर उनके द्वारा किए जा रहे आडम्बर भरे खर्चों पर कटाक्ष करती अपनी रचना “कहते है सुरसा के मुंह सी महंगाई” पेश की. काठमाण्डू नेपाल से वरिष्ठ साहित्यकार जयप्रकाश अग्रवाल ने अपनी नज्म “लिख नयी इबारत खून से बंदे” के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त की.
संचालिका उषा जैन केडिया ( मैसूर) ने “फुर्सत न मिली तुमको चौखट पर उसके जाने की” रचना के माध्यम से वृद्धाश्रम में पल रही माँ के दयनीय हालत उजागर कर गोष्ठी को संवेदनशील बना दिया, अध्यक्ष राजेन्द्र गुलेच्छा ने प्रस्तुत समस्त रचनाओं पर अपनी सार्थक समीक्षाएं प्रस्तुत करने के साथ ही अपनी रचना “मुखौटा” एवम् संकल्प से सिद्धि” सुनाकर भरपूर वाही वाही लूटी. गोष्ठी का समापन संगीता चौधरी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. उमा बंसल ओमप्रकाश अग्रवाल व अन्य श्रोता गन गोष्ठी में सम्मलित हुए.