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SER : ट्रॉली बैग से रनिंग कर्मियों को मिली एक माह की राहत, भूख हड़ताल टली

SER : ट्रॉली बैग से रनिंग कर्मियों को मिली एक माह की राहत, भूख हड़ताल टली
  • आद्रा में प्रदर्शन कर नेताओं ने जतायी एकजुटता, सुपरवाइजरों से भी मांगा मौन समर्थन
  • जोनल स्तर पर एनएफआईआर ने भी जीएम को लिखा पत्र, कहा-हड़बड़ी नहीं दिखाये

कोलकाता. दक्षिण पूर्व रेलवे प्रशासन ने एक जून से लागू होने वाली ट्रॉली बैग योजना को एक माह तक टालने का निर्णय लिया है. रेलवे बोर्ड ने एक जून से लाइन बॉक्स सिस्टम को खत्म कर रनिंग कर्मचारियों को ट्रॉली बैग थमाने की तैयारी की है. इस बीच रेलवे फेडरेशनों और जोनल स्तर पर किये जा रहे विरोध प्रदर्शन का दबाव रेल प्रशासन पर भी बनता दिख रहा. इसका असर है कि दक्षिण पूर्व रेलवे प्रशासन ने फिलहाल एक माह के लिए राहत का आश्वासन रेलवे फेडरेशन व यूनियन नेताओं को दिया है. इसमें एनएफआईआर नेता शिवारंजन मिश्रा की सक्रियता अहम रही है.

रेल महाप्रबंधक सुश्री अर्चना जोशी की ओर से फेडरेशन नेताओं को मिले आश्वासन के बाद संयुक्त मोर्चा ने 30 मई को प्रस्तावित रनिंग कर्मचारी भूख हड़ताल को स्थगित करने की बात की है. इसकी जानकारी यूनियन नेता एसपी सिंह ने दी. हालांकि रेलवे मेंस कांग्रेस, मेंस यूनियन, लोको रनिंग स्टॉफ एसोसिएशन और मोर्चा के अन्य घटकों ने 26 मई गुरुवार को आद्रा डीआरएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर एकजुटता जताने का प्रयास किया. यह प्रदर्शन रनिंग कर्मचारियों को जबरन ट्रॉली बेग थमाने के प्रयास के विरोध में किया गया.

प्रदर्शन के मंच से रेलवे नेताओं ने साफ किया कि अगर रेल प्रशासन पर वह दबाव बनाने में नाकाम रहे तो इसके बुरे परिणाम सामने आयेंगे इसलिए जरूरी है कि जबरदस्त विरोध दर्ज कराया जाये ताकि मंडल प्रशासन को रेलवे बोर्ड के आदेश को ठंडे बस्ते में डालने का एक रास्ता मिल सके. नेताओं का कहना था कि रेलवे बोर्ड और जोनल ऑफिस से मिले रहे दबाव के कारण डिविजन भी लाचार होगा, इसलिए दलगत भावना से ऊपर उठ कर एक स्वर से विरोध किया जायेगा. लगे हाथ नेताओं ने सुपरवाइजरों से भी सैद्धांतिक रूप से मौन समर्थन करने का अनुरोध किया और चेताया कि टूल बॉक्स के कारण अगर गाड़ी विलंब होगी तो विभाग सबसे पहले उनकी ही गर्दन पकड़ेगा. मेल व एक्सप्रेस गाड़ी के विलंब होने पर रेलवे बोर्ड और जोनल अधिकारी मंडल के अधिकारी, सुपरवाइजर और रनिंग कर्मचारियों को दोषी ठहराएगें.

एनएफआईआर नेता जीएम को लिखा मार्मिक पत्र, बतायी जमीनी हकीकत व समस्याएं

SER : ट्रॉली बैग से रनिंग कर्मियों को मिली एक माह की राहत, भूख हड़ताल टली

शिवा रंजन मिश्रा, असिस्टेंट जेनरल सेक्रेट्री, एनएफआईआर

दक्षिण पूर्व रेलवे महाप्रबंधक का भेजे अपने पत्र में एनएफआईआर के असिस्टेंट जेनरल सेक्रेट्री शिवा रंजन मिश्रा ने चेताया है कि रेल प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर हड़बड़ी नहीं दिखाये. उन्होंने बताया है कि बोर्ड स्तर पर फेडरेशन ने इस बात को रखा है और इस पर बात चल रही है. उन्होंने ट्रॉली बैग देने के दुरगामी परिणामों की ओर भी जीएम का ध्यान आकृष्ट कराया है. शिवा रंजन मिश्रा ने जीएम को रनिंग कर्मचारियों की जमीनी हकीकत व समस्याओं से भी अवगत कराया और बताया है कि पर्सनल दो बेग और ट्रॉली बैग लेकर लॉबी से स्टार्टर सिग्नल तक जाना और ड्यूटी ऑफ करने रनिंग रूम तक उसे लेकर आना तब कितना जटिल होगा जब रेलवे ने इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कुछ नहीं दिया.

भारी सामानों के साथ गुड्स ट्रेन के स्टॉफ को सिग्नल प्वाइंट तक गिट्टी में चलना और पटरी पार करना बहुत मुश्किल होगा. कल्पना की जा सकती है कि बारिश या कड़क धूप का मौसम में उम्रदराज अधिकांश लोको पायलट व रनिंग स्टॉफ कैसे सह पायेंगे.

शिवा रंजन मिश्रा, असिस्टेंट जेनरल सेक्रेट्री, एनएफआईआर

उन्होंने बताया है कि हवाई अड्डे की तरह चलने की व्यवस्था नहीं दी गई है. भारी सामानों के साथ गुड्स ट्रेन के स्टॉफ को सिग्नल प्वाइंट तक गिट्टी में चलना और पटरी पार करना बहुत मुश्किल होगा. कल्पना की जा सकती है कि बारिश या कड़क धूप का मौसम में उम्रदराज अधिकांश लोको पायलट व रनिंग स्टॉफ कैसे सह पायेंगे. प्रकृति के विरुद्ध लंबे समय से काम (ड्यूटी) करने के कारण सभी के साथ कुछ न कुछ शारीरिक तकलीफें रहती है. वैसी स्थिति में उनका यह सामान ढुलवाना अमानवीय कृत्य होगा.

रेलवे के भ्रष्टाचार को रोक लें तो यह सब करने की जरूरत नहीं पकड़ेगी : मुकेश सिंह

रेलवे मेंस यूनियन नेता मुकेश सिंह ने रेलहंट से बातचीत में बताया कि सरकार भ्रष्टाचार पर अगर प्रशासन अंकुश लगा ले तो उसे यह सब करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. कहा कि भ्रष्टाचारियों से मिले रुपये रुपयों से 10 साल तक टूल बॉक्स संचालन का खर्च निकाला जा सकता है. अथवा लोको में टूल बॉक्स लगया जा सकता है. यह बेहतर विकल्प होगा. लेकिन रेलवे एक ओर तो ग्रेड पे अधिक होने व हाई पोस्ट का हवाला देकर रात्रि भत्ता बंद कर रहा है तो दूसरी ओर इस उम्र में रनिंग कर्मियों को कुली बनने पर तुला हुआ है. यह अफसोसजनक एवं विरोधाभासी बात है. रेलवे बोर्ड को इस आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए.

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