अमितेश कुमार ओझा
रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा जारी 15 जनवरी को आरआरबी एनटीपीसी के रिजल्ट में गड़बड़ी समेत रेलवे ग्रुप डी में सीबीटी 2 जोड़े जाने के कारण देश के विभिन्न शहरों में छात्रों द्वारा रेलवे रोक कर तथा विभिन्न तरीको से प्रदर्शन किया जा रहा है । खास कर रेलवे कोचिंग हब कहे जाने वाले बिहार के पटना ,राजेन्द्र नगर टर्मिनल में ट्रेन रोक कर प्रदर्शन किया गया । जिसके बाद प्रशासन द्वारा छात्रों के ऊपर लाठीचार्ज व आंसू गैस के गोले छोड़े गए । छात्रों का कहना है कि केंद्र सरकार अब अपनी मनमानी पर उतर आ है, जैसी इच्छा होती है वैसे कर रही है । मामला यह है कि केंद्र सरकार द्वारा 2019 में चुनावी लॉलीपॉप के रूप में रेलवे में लगभग 138000 वैकेंसी निकाली गई थी । चुनाव जीतने के बाद सरकार यह वैकेंसी भूल गई थी कि आगे इसकी प्रक्रिया को भी बढ़ाना है ।
अमितेश
जब भी छात्र द्वारा यह मुद्दा उठाया जाता था तब सरकार कोरोना महामारी का बहाना कर एग्जाम आयोजित नहीं करती थी। शिक्षकों के सहयोग से ट्विटर में डिजिटल आंदोलन करने के बाद यह ट्रेंड में आ गया । उसके बाद 28 दिसंबर 2020 से सीबीटी 1 परीक्षा शुरू की गई । 1 वर्ष बीतने के बाद 15 जनवरी 2022 को सीबीटी 1 की रिजल्ट घोषित की गई । छात्रों का आरोप है सीबीटी 2 के लिए रेलवे द्वारा 7 लाख बच्चों को पास करना था जबकि रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा 7 लाख रोल नंबर जारी किए गए ,जिसमे एक छात्र एक से अधिक पद में पास किए गए ।
दूसरा मुद्दा छात्रों का ग्रुप डी नौकरी से संबंधित है । रेलवे द्वारा 2019 में ग्रुप डी के पद के लिए लगभग 138000 वैकेंसी निकाली गई थी , जिसमे केवल सीबीटी 1, पी ईटी ,मेडिकल के बाद नौकरी दी जाने की बात कही गई थी । लेकिन अभी तक एग्जाम आयोजित नहीं की गई । भर्ती बोर्ड द्वारा 23 फरवरी 2022 से एग्जाम शुरू करवाने की घोषना की गई थी । लेकिन ठीक परीक्षा से एक माह पहले भर्ती प्रक्रिया में सीबीटी 2 जोड़ी गई जिससे छात्र काफी नाराज है । कुछ छात्र ने बताया कि केंद्र सरकार भर्ती प्रक्रिया को पंच वर्षीय योजना बना ली है ,चुनाव के पहले नौकरी की बौछार करते है ,और पूरी प्रक्रिया समाप्त करते करते दूसरा चुनाव आ जाता है । देश में समय में चुनाव कराना सरकार का अहम कार्य है । लेकिन युवाओं की मांग को नजरअंदाज करना भी ठीक नहीं है . अच्छी बात है कि आंदोलनरत युवाओं की मांग और मनोभाव को समझने के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है