- एससी पाढ़ी का चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स तो सीनियर कमांडेंट को आरपीएसएफ 6 बटालियन भेजा गया
- आईजी और कमांडेंट के प्री मेच्चोर तबादले को डीजी की सीधी कार्रवाई मान रहे बल के अधिकारी व जवान
- साउथ वेर्स्टन रेलवे के पीसीएससी डीबी कसार को बनाया गया SER का आईजी पहले रह चुके है डीआईजी
- पोस्ट डाउनग्रेड कर एनएफआर के रांगिया के कमांडेंट ओंकार सिंह को बनाया गया सीकेपी का कमांडेंट
- डीजी के अगले निशाने पर एएससी एसके चौधरी के नाम की चर्चा, कई मामलों में रही है संदिग्ध भूमिका
रेलहंट ब्यूरो, नई दिल्ली
आरपीएफ के डायरेक्टर जनरल अरुण कुमार के निशाने पर आये SER के आईजी एससी पाढ़ी और CKP के सीनियर कमांडेट डीके मोर्या को आखिरकार चलता कर दिया गया है. दोनों पदाधिकारियों के तबादले की सूची 16 जनवरी गुरुवार को जारी की गयी. झारसुगुड़ा में चोरों द्वारा 288 बोरी चावल मालगाड़ी से उतारे जाने और आरपीएफ की भूमिका केस में जीआरपी के सामने बचाव वाली होने के बाद से ही यह अनुमान लगाया जाने लगा था कि डीजी इस मामले में सीधी कार्रवाई कर सकते है. हालांकि घटना के बाद जिस तरह केस को हेंडल करने का प्रयास किया गया और इंस्पेक्टर एलके दास पर कार्रवाई में छह दिन तक अपनायी गयी ढुलमुल नीति ने आईजी एससी पाढ़ी के तबादले की पटकथा लिख दी थी. आरपीएफ के अधिकारी यह मान रहे है कि इस केस में झारसुगुड़ा प्रभारी एलके दास पर बड़ी कार्रवाई होनी तय है. हालांकि वर्तमान तबादलों की सूची रुटीन रूप से जारी की गयी है जिसमें आईजी और डीआईजी स्तर के आठ पदाधिकारियों को इधर से उधर किया गया है. लेकिन प्री-मेच्यूर तबादले के कारण यह माना जा रहा है कि आईजी पाढ़ी और सीनियर कमांडेंट मोर्या को हटाये जाने का निर्णय डीजी अरुण कुमार ने अंतिम 48 घंटे में लिया है. आईजी पाढ़ी की जगह डीबी कसार और कमांडेंट मोर्या की जगह पोस्ट को डाउनग्रेड कर ओंकार सिंह को चक्रधरपुर का नया कमांडेंट बनाया गया है.
दिलचस्प है कि आईजी और कमांडेंट के तबादले की सूचना गोली से भी तेज रफ्तार से दिल्ली से कोलकाता होते हुए चक्रधरपुर मंडल में सुरक्षा बल के हर एक अधिकारी व जवान तक पल भर में पहुंच गयी थी. इसके साथ ही चचाओं का बाजार भी गर्म हो गया. आइजी एससी पाढ़ी ने मई 2018 में ही जोन में पीसीएससी का प्रभार संभाला था. उन्हें डेढ़ साल में ही जोन से चलता कर दिये जाने के पीछे कई कारण गिनाये जा रहे हैं. यह माना जा रहा है कि इंस्पेक्टरों के तबादलों में सीधे तौर पर प्रांत व जातिवाद को लेकर लग रहे आरोपों की प्रथम दृष्टाया होने वाली पुष्टि और झारसुगुड़ा में तीन बड़ी चोरियों के बावजूद प्रभारी एलके दास को प्रोटेक्ट करने वाली भूमिका के कारण डीजी के निशाने पर आईजी पाढ़ी आ गये. डीजी की नाराजगी इसी से जाहिर होती है कि आईजी पाढ़ी को पीसीएससी के पद से सीधे सीएलडब्लू यानि चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स भेज दिया गया है. सुरक्षा बल में इसे शंट पोस्टिंग के रूप में परिभाषित किया जाता है. यही स्थिति कमांडेंट डीके मोर्या के साथ भी रही है. तबादलों की सूची में एससी पाढ़ी के स्थान पर डीबी कसार को दक्षिण पूर्व रेलवे का नया पीसीएससी (प्रिंसिपल मुख्य सुरक्षा आयुक्त) बनाया गया है. कसार फिलहाल साउथ वेर्स्टन रेलवे के पीसीएससी हैं. वे पहले SER में डीआईजी रह चुके है. माना जा रहा है कि साउट ईस्टर्न रेलवे की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए डीजी ने उन्हें यहां भेजा है. कसार के लिए यह जोन जाना पहचाना है जो बेहतर तालमेल बनाकर रेल सम्पत्ति व यात्रियों की सुरक्षा के साथ बल के अधिकारी व जवानों के लिए उपयोग साबित हो सकेंगे.
एएससी एससी चौधरी की भूमिका पर डीजी की नजर
झारसुगुड़ा इंस्पेक्टर एलके दास के निलंबन, आईजी और कमांडेट के तबादले के बाद यह माना जाने लगा है कि डीजी के अगले निशाने पर एएससी एसके चौधरी आ सकते है. इसके लिए ठोस कारण भी गिनाये जा रहे हैं. झारसुगुड़ा में तीनों बड़ी चोरियों के दौरान बतौर वरीय पदाधिकारी एएससी की भूमिका को सीधे तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता है. क्योंकि इन मामलों में सुपरविजन रिपोर्ट सौंपने से लेकर अपराध रोकने को लेकर अपनायी जाने वाली रणनीति बनाने के लिए वे भी सीधे तौर पर जबावदेह हैं. हालांकि एएससी चौधरी टाटा पोस्ट में तैनाती के काल से ही स्थानीय पोस्ट प्रभारी से टकराव को लेकर चर्चा में रहे हैं. लेकिन उनकी यह टकराहट झारसुगुड़ा और राउरकेला में पोस्ट प्रभारियों के साथ कही नजर नहीं आयी. जबकि टाटा से अधिक आपराधिक घटनाएं डेढ़ साल में उनकी पोस्टिंग के दौरान राउरकेला, झारसुगुड़ा और बंडामुंडा में दर्ज की गयी जिनमें बतौर वरीय पदाधिकारी एएससी एसके चौधरी ही रहे.
- राउरकेला में तीन करोड़ की चोरी, 2.50 करोड़ बरामदगी दिखाया जाना
- चोरी और बरामगी के बाद से स्टेशन का सीसीटीवी फुटेज गायब हो जाना
- राउरकेला प्रभारी पर कार्रवाई लेकिन एएससी को मामले में क्लीन चिट
- झारसुगुड़ा में स्टोर का ताला तोड़कर लाखों के ओएचई चोरी की घटना
- झारसुगुड़ा से रेलवे पटरी का चोरी होना और उसकी बरामदगी राउरकेला में
- टाटानगर में आरपीएफ पोस्ट में कस्टडी में युवक की मौत का मामला
- आरोपी बनाये जाने की जगह कोर्ट ऑफ इंक्वयरी के चेयरमैन बनाये गये
सुरक्षा बल के अधिकारी व जवानों के बीच इस चर्चा की चर्चा है कि बड़ी से बड़ी घटनाओं में पोस्ट प्रभारी व निचले लोगों पर तो कार्रवाई की गयी लेकिन हर बार केस में अहम जिम्मेदार व जबावदेह एएससी एसके चौधरी को क्यों क्लीन चिट दे दिया गया ? उन्हें किसी भी मामले में क्यों नहीं आरोपी बनाया गया? उनकी भूमिका की जांच क्यों नहीं की गयी? इस क्रम में एक मामला टाटानगर आरपीएफ पोस्ट का लिया जाता है जिसमें पोस्ट में कस्टडी में ही एक युवक की मौत हो गयी थी. यह स्पष्ट है कि टाटा में पोस्ट और एएससी का कार्यालय एक ही परिसर में 10 मीटर की दूरी पर है. इस लिहाज से पोस्ट में कस्टडी में हुई मौत के लिए सीधे तौर पर बतौर वरीय पदाधिकारी एएससी एसके चौधरी की भूमिका अहम हो जाती है. वह भी ऐसे में जबकि पोस्ट प्रभारी कुछ दिनों से अवकाश में चल रहे हो. बावजूद पोस्ट में कस्टडी में हुई मौत के मामले में एएससी एसके चौधरी की जिम्मेदारी नहीं तय कर तत्कालीन सीनियर कमांडेंट रफीक अहमद अंसारी ने दिलचस्प रूप से उन्हें सीधे क्लीन चिट देते हुए कोर्ट ऑफ इंक्वयरी की जांच टीम का मुखिया बना दिया. इस मामले में पोस्ट प्रभारी आरके मिश्रा, दारोगा राकेश कुमार व एसके सिंह और सिपाही बीसी साहा को प्रथम दृष्टिया दोषी मानकर कार्रवाई की गयी लेकिन तब भी एएससी चौधरी बेदाग निकल गये. और तो उन्हें चक्रधरपुर रेल मंडल में ही पदस्थापित कर एक तरह से पुरस्कृत करने का काम ही किया गया है. इसके बाद आये टाटा प्रभारी एमके सिंह से एएससी एसके चौधरी के अदावत जगजाहिर है जिसकी चर्चा आज भी सुरक्षा बल के जवान करते हैं. इन मामलों में एएससी एसके चौधरी के भूमिका की जांच होने के बाद ही सच सामने आ सकेगा. क्योंकि इन मामलों में हर बार डीजी अरुण कुमार को सीनियर कमांडेंट से लेकर आईजी तक ने गुमराह ही किया है…जारी..
तबादलों को लेकर जारी आदेश पत्र
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