New Delhi. मुश्किल में फंसे लोगों की अंतिम उम्मीद भगवान होते हैं. स्टेशनों पर यात्रियों की परेशानी में इंसान के रूप में जो सबसे पहले सामने आते हैं वह होते हैं आरपीएफ के जवान. चलती ट्रेन में चढ़ने के दौरान मौत के मुंह में जा रहे अनगिनत यात्रियों की जान इन्हें आरपीएफ के जवानों ने बचायी है. इसमें महिला व पुरुष दोनों शामिल है. आरपीएफ ने बीते साल 2022-23 प्लेटफॉर्म, रेलवे ट्रैक और ट्रेनों में 873 पुरुष और 543 महिला यात्रियों की जान बचायी. इसे ऑपरेशन ‘जीवनरक्षा’ नाम दिया गया. वहीं 604 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया जबकि मानव तस्करी में शामिल 207 लोगों को गिरफ्तार किया.
अलग-अलग अभियान के नाम से यात्रियेां की मदद करने में आरपीएफ के जवान सक्रिय रहे. ‘ऑपरेशन मातृशक्ति’ में 158 और रेलवे परिसर में 220 महिलाओं की प्रसव कराने में मदद पहुंचायी. ऑपरेशन डब्ल्यूआईएलईपी (वन्यजीवों और जानवरों के अंगों की तस्करी) के 108 मामलों में 68 आरोपियों को पकड़ा.
05 मार्च, 2015 से चल रहे अभियान ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ में परिवारजनों से किसी तरह अलग हो चुके 17000 से अधिक बच्चों को सुरक्षित घरों तक आरपीएफ ने पहुंचाया. ऐसे ही अभियान में मानव तस्करी में शामिल 207 लोगों को गिरफ्तार कर 604 को मुक्त कराया गया. 06 मई, 2022 से चलाये जा रहे बचपन बचाओ आंदोलन में मानव तस्करों की पहचान कर चलाये जो अभियान को गृह मंत्रालय ने 12.6 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है. यही नहीं इस साल आरपीएफ ने 32,337 यात्रियों से जुड़े 50 करोड़ से अधिक का सामान उन तक वापस पहुंचाया.
आरपीएफ में 9 प्रतिशत महिला कर्मी हैं. ये संख्या वर्दी बलों में सर्वाधिक अधिक हैं. ये महिलाकर्मी गर्भवती महिलाओं की मदद करने में आगे रही. ‘ऑपरेशन मातृशक्ति’ में 158 और रेलवे परिसर में 220 प्रसव में इनकी सहायता मिली. वहीं इस साल 4280 दलालों को गिरफ्तार कर गैर-कानूनी रूप से संचालित 140 से अधिक सॉफ्टवेयर डिसेबल किया गया. रेल संपत्ति चोरी में 9179 लोगों को गिरफ्तार कर 6.3 करोड़ की संपत्ति बरामद की गयी. ऑपरेशन “नारकोस” 1022 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर 81 करोड़ का एनडीपीएस जब्त किया.
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