NEW DELHI. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने सात वर्षों में रेलवे स्टेशन और ट्रेनों से 84,119 बच्चों को गलत हाथों में जाने से बचाया है. रेल मंत्रालय ने यह जानकारी दी. मंत्रालय ने बताया कि मंत्रालय ने बताया कि 2018 में ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ की शुरुआत हुई.
आरपीएफ पिछले सात साल से ‘नन्हे फरिश्ते’ नाम से चलाये जा रहे अभियान में अग्रणी रहा है. यह मिशन विभिन्न भारतीय रेलवे जोन में देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के लिए है.
जानें किस वर्ष कितने बच्चे बचाये गये
वर्ष 2018 में आरपीएफ ने कुल 17,112 पीड़ित बच्चों को बचाया. जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं. 2019 में कुल 15,932 बच्चों को बचाया गया. साल 2020 कोविड महामारी के कारण चुनौतीपूर्ण था, इसने सामान्य जीवन को बाधित किया और अभियानों पर गहरा प्रभाव डाला. इन चुनौतियों के बावजूद आरपीएफ ने 5,011 बच्चों को बचाया.
मंत्रालय ने बताया कि 2021 के दौरान 11,907 बच्चों को बचाया गया. आरपीएफ की सराहना करते हुए मंत्रालय ने कहा कि 2022 में बल ने 17,756 बच्चों को बचाया गया. 2023 में आरपीएफ ने 11,794 बच्चों को बचाया. मंत्रालय ने बताया कि 2024 के शुरुआती पांच महीनों में 4,607 बच्चों को बचाया है.
यह संख्या बच्चों के भागने की लगातार जारी समस्या तथा उन्हें अपने माता-पिता के पास सुरक्षित पहुंचाने के लिए आरपीएफ द्वारा किए जा रहे प्रयासों दोनों को दर्शाती हैं.
‘ट्रैक चाइल्ड पोर्टल’ पर बच्चों की जानकारी उपलब्ध
‘ट्रैक चाइल्ड पोर्टल’ पर बचाये गए बच्चों की पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है. 135 से अधिक रेलवे स्टेशन पर ‘चाइल्ड हेल्पडेस्क’ उपलब्ध हैं. इसमें कहा गया कि आरपीएफ बचाये गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति को सौंप देती है. जिला बाल कल्याण समिति बच्चों को उनके माता-पिता तक पहुंचाती है.