- राउरकेला-टाटा-खड़गपुर मार्ग पर ट्रेनों में दिख रहे दर्जनों की संख्या में हॉकर
- टाटानगर, सीनी, चक्रधरपुर आरपीएफ पोस्ट की रिपोर्ट में एक भी अवैध हॉकर नहीं
दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर व खड़गपुर डिवीजन के अंतर्गत राउरकेला-टाटा-खड़गपुर मार्ग पर ट्रेनों में सामानों की बिक्री करने वाले हॉकर अमूमन खुद को सेफ जोन में पाते रहे है क्योंकि कभी कभार ही उनके पर रेलवे सुरक्षा बल कार्रवाई की गाज गिराता है. टाटानगर स्टेशन के आरपीएफ प्रभारी के ड्यूटी पर रहते ये हॉकर खुद को महफूज समझते है क्योंकि तरह-तरह का पेंच फंसाकर इन्हें फंसाने की कवायद नहीं की जाती है लेकिन टाटानगर ओसी के छुट्टी पर क्या गये, इन हॉकरों पर शामत आ गयी.
मंगलवार 3 मई को आरपीएफ के नीचे के अधिकारियों ने अचानक अभियान चलाकर चार हॉकरों को विभिन्न आरोपों के शिकंजे में कस दिया. पकड़े जाने वालों में राजकुमार साव, उदय साव, बुधन साव और धनश्याम साव शामिल है. ये सभी लोग हावड़ा से आने वाली इस्पात एक्सप्रेस से फेरी करने के बाद हर दिन की तरह स्टेशन पर उतरे ही थे कि उन्हें दबोच कर आरपीएफ पोस्ट ले जाया गया. शिकंजे में आने वाले हॉकर अपना दुखड़ा सुनाते मिले कि आरपीएफ के लोगों की शर्तों के अनुरुप चढ़ावा नहीं चढ़ाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है.
हालांकि ट्रेन में चलने वाले इन हॉकरों को कानूनी पेंच से बचाने की कवायद भी उनके आकाओं ने जल्द ही शुरू कर दी और अशोक साव व पंकज द्वारा की गयी जमानतीय प्रक्रिया के बाद उन्हें पोस्ट से छोड़ दिया गया. यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि आरपीएफ ने ट्रेन से उतरते समय पकड़े गये इन हॉकरों पर रेलवे एक्ट की कौन सी धारा के तहत कार्रवाई की है. बताया जाता है कि ट्रेन में चलने वाले इन हॉकरों द्वारा आरपीएफ के लोगों को हर माह निर्धारित चढ़ावा भी दिया जाता है जिसकी वसूली कर उसे वांछित व्यक्ति तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अशोक साव, प्रकाश यादव और गणेश साव संभालते हैं.
ट्रेनों में हॉकरों की मौजूदगी को लेकर कई वीडियो और फोटो रेलहंट को विभिन्न लोगों द्वारा उपलब्ध कराये गये है जिससे यह साफ हो रहा है कि राउरकेला-टाटा-खड़गपुर मार्ग पर टाटानगर से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में बड़ी संख्या में हॉकर चलते है जिनमें कई टाटानगर से ही ट्रेन में सवार होते है. यह सब तब होता है जबकि टाटानगर समेत दूसरे स्टेशनों पर उच्च क्षमता वाले कैमरे लगे है जिनकी मोनिटरिंग भी आरपीएफ के लोग ही करते है, इसके बावजूद बड़ी आसानी से हॉकर ट्रेनों में सवार होते है और स्टेशन व ट्रेनों के भीतर फेरी भी कर रहे हैं.
रेलवे बोर्ड स्तर पर ट्रेनों व स्टेशनों पर अवैध हॉकरों की मौजूदगी को लेकर सख्त आदेश दिये गये है. इसमें आरपीएफ के जोनल आईजी, डिवीजनल सीनियर कमांडेंट और स्टेशनों पर पोस्ट कमांडर की जिम्मेदारी भी तय की गयी है. सीनियर कमांडेंट हर माह क्राइम मीटिंग में इसकी समीक्षा करते हैं कि किसी माह कितने हॉकरों पर केस दर्ज किया गया.
बीते माह चक्रधरपुर के सीनियर कमांडेंट ने भी क्राइम मीटिंग में टाटानगर, सीनी और चक्रधरपुर पोस्ट से हॉकरों पर केस की संख्या शून्य दर्शाने पर आश्चर्य जताया था. क्योंकि रिकॉर्ड से यह साबित हो रहा था कि इन स्टेशनों से हॉकरों की गतिविधियां नहीं होती है. हालांकि इस रिपोर्ट को स्वयं सीनियर कमांडेंट ने भी खारिज कर दिया. उनकी सख्ती का असर रहा कि अगले ही माह आधा दर्जन केस बनाकर कार्रवाई की खानापूरी की गयी थी. लेकिन फिर सब कुछ सिस्टम से चलने लगा है.
अगली कड़ी में : आरपीएफ की शर्तों को पूरा नहीं करने पर 36 घंटे तक दो हॉकरों को हिरासत में रखा