- रुटीन तबादलों का रास्ता हुआ साफ, डीजी/आरपीएफ ने जवान से लेकर एएससी तक का रखा ध्यान
Transfer System Changed In RPF. देश भर में अब आरपीएफ इंस्पेक्टरों (IPF) का तबादला टीएमएम (TMM) से नहीं होगा. सुरक्षा बल के तबादलों के लिए गठित डायरेक्टिव 58 की संशोधित गाइडलाइन 18 मार्च 2024 को जारी कर दी गयी है. इसमें स्पष्ट कर दिया गया है कि कांस्टेबल से लेकर सब इंस्पेक्टरों तक के तबादले तो पूर्व की तरह टीएमएम (TMM) से ही होंगे. हालांकि इसमें से इंस्पेक्टरों को बाहर कर दिया गया है.
अब इंस्पेक्टरों (IPF) का तबादला टीएमएम (TMM) से नहीं होगा. इंस्पेक्टरों के तबादले का अधिकारी सीधे तौर पर जोनल प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्ताें (ZONAL PCSC) के पास होगा और वह योग्यता अथवा अपनी पसंद से इनकी पोस्टिंग कर सकेंगे. यह नियम रुटीन तबादलों में लागू रहेगा जबकि मीड टर्म अथवा बीच में होने वाले किसी बदलाव के लिए पूर्व की तरह आरपीएफ डीजी (RPF/DG) से अनुमति लेना अनिवार्य होगा.
यह भी पढ़ें : कहीं बड़ी मुसीबन न बन जाये आरपीएफ डीजी की नयी तबादला नीति, हो सकते हैं दूरगामी परिणाम
इसके साथ ही किसी एक स्टेशन पर 10 साल से कार्यकाल को लेकर भी नयी डायरेक्टिव में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिये गये हैं. हालांकि इसमें यह स्पष्ट किया गया कि यह एक स्टेशन पर 10 साल को परिभाषित करेगा न कि डिवीजन को. इसमें ड्यूटी ब्रेक होने पर 15 साल के नियम का अनुपालन पूर्व की तरह जारी रहेगा.
आरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि इस बार आरपीएफ डीजी (RPF/DG) मनोज यादव ने तबादले की पूरी नीति को स्पष्ट व पारदर्शी बना दिया है जो सुरक्षा बल के जवान व अधिकारियों के लिए बेहतर कदम है. इसमें एडिमनिस्टेटिव ग्राउंड और एडिमनिस्टेटिव इंटरेस्ट को भी स्पष्ट किया गया है ताकि किसी को किसी प्रकार का संशय नहीं रह जाये.
इंस्पेक्टर से एएससी में प्रमोशन पाने वाले भी नहीं होंगे उपेक्षित
डायरेक्टिव 58 की संशोधित गाइडलाइन में इंस्पेक्टर से प्रमोशन पाकर सहायक सुरक्षा आयुक्त बनने वालों के लिए भी राहत की खबर है. नये गाइडलाइन में प्रमोशन के बाद एएससी बनने वालों का तबादला अब पूर्व की तरह देश के किसी भी जोन व डिवीजन में नहीं होगा. इसके लिए भी आरपीएफ डीजी ने डायरेक्टिव के संशोधित में स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर दी है. नये निर्देश में देश को सभी जोन को पांच भाग में बांटकर अलग-अलग जोन को उससे जोड़ दिया गया है. इससे प्रमोशन पाने वाले एएससी को कार्य करने में सुविधा होगी. उन्हें अपने घर-परिवार से दूर नहीं जाना होगा और देश के दूसरे हिस्सों में जाने पर भाषा आदि की होने वाली समस्या से भी निजाद मिल जायेगी.