- आरपीएफ आईजी/डीजी का नहीं चलता आदेश, धड़ल्ले से ट्रेन और स्टेशन पर चल रहे अवैध हॉकर
- राउरकेला में दो विभागों के टकराव में रुकी अवैध हॉकरी को शुरू करने को लेकर समझौते का प्रयास
राउरकेला. दक्षिण पूर्व रेलवे के अलग-अलग स्टेशन और सेक्शन में अवैध हॉकरों को अघोषित लाइसेंस मिला हुआ है. रांची से राउरकेला और राउरकेला से झारसुगुड़ा हो या राउरकेला से टाटा से लेकर खड़गपुर और हावड़ा तक ट्रेन में अवैध हॉकर बेखौफ फेरी करते दिख जायेंगे. अब सवाल उठता है इसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है! उत्तर सबके पास है लेकिन फिर वहीं सवाल उठता है कि इसे रोक नहीं पाने के पीछे की क्या मजबूरी व मकसद रहे है. फिलहाल सबसे दिलचस्प खेल राउरकेला में चल रहा है जहां अवैध हॉकरों की धमा-चौकड़ी फिलहाल पूरी तरह बंद है.
देश की बेहतरीन ट्रेनों में शामिल गीतांजलि एक्सप्रेस के वातानुकूलित कोच में टाटानगर से खड़गपुर के बीच अवैध वेंडर की मौजूदगी आरपीएफ की सुरक्षा पर गंभीर सवाल है@ig_cum_csc_ser@rpf_dg@RailMinIndia pic.twitter.com/c3lJmU91SI
— Railhunt (@railhunt) June 28, 2022
हां, यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि अवैध हॉकरों पर राउरकेला में अंकुश लगाने में आरपीएफ की कोई भूमिका नहीं है. पिछले महीनों तक हर ट्रेन और स्टेशनों पर दर्जनों की संख्या में दिखने वाले अवैध हॉकरों पर रोक लगाने की पहल कमर्शियल की ओर से की गयी है जिसमें अहम भूमिका यहां हाल में ही पदस्थापित होकर आये एक नये इंस्पेक्टर की रही है. अगर यह रोक स्थायी रही तो यही माना जायेगा कि उक्त इंस्पेक्टर ने यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखा और रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने में अपनी महती भूमिका निभायी.
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लेकिन कुछ ही दिनों में पूर्व की तरह अगर अवैध हॉकरों की चहल-पहल शुरू हो गयी तो यह साफ हो जायेगा कि अवैध हॉकरों पर रोक लगाने का मकसद यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा का ध्यान करना नहीं बल्कि कुछ और ही था. हालांकि जो सूचना आ रही है उसके अनुसार कमर्शियल व आरपीएफ के बीच इसे लेकर गुप्त मंत्रणा शुरू हो चुकी है. इसमें कोई शक नहीं कि अगर यह वार्ता सफल होती है तो यहां कुछ दिनों से बंद अवैध हॉकरों की चहल-पहल पहले की तरह ट्रेन व स्टेशन पर बढ़ जायेगी जिसे रोकने का सख्त निर्देश आरपीएफ डीजी और आईजी की ओर से समय-समय पर दिया जाता रहा है.
दिलचस्प है कि आरपीएफ के अधिकारी अवैध हॉकरों के मामले में आला अधिकारियों को गुमराह करने से भी नहीं कतराते. टाटानगर के पोस्ट प्रभारी ने तो बकायदा सादे कागज पर काले शब्दों में अधिकारियों को झूठ का पुलिंदा थम दिया था. राउरकेला से हावड़ा के बीच लंबी दूरी किसी भी एक ट्रेन में चलने वाला आम यात्री भी हर दिन एक दर्जन से अधिक अवैध हॉकरों का साक्षात्कार चंद घंटों में कर लेता है. इस सेक्शन पर दो दर्जन से अधिक ट्रेनों में 100 से अधिक अवैध हॉकरों की टीम हर दिन चलती है जिसका पूरा लेखा-जेखा आरपीएफ नाम की इस सुरक्षा एजेंसी के पास होता है.
इसके बावजूद एक ट्रवीट के जबाव में टाटानगर पोस्ट प्रभारी ने सीनियर कमांडेंट चक्रधरपुर और एसईआर आईजी को बताया था कि जनवरी से जुलाई माह के बीच 15 अनाधिकृत लोगों को पकड़कर 15 हजार जुर्माना वसूला गया. हर दिन हॉकरों के खिलाफ अभियान चलाने की बात भी उन्होंने लिखित रूप से स्वीकार की. लेकिन यहां यह बताना जरूरी होगा कि इस साल जनवरी से लेकर मई माह तक टाटा-सीनी और चक्रधरपुर आरपीएफ पोस्ट में अवैध हॉकरों की धर-पकड़ का आकड़ा शून्य रहा था. इस पर स्वयं मंडल कमांडेंट ने भी सवाल उठाया था. इसके बाद अभियान चलाया गया. इसका मतलब स्पष्ट रहा कि मई से जुलाई के बीच टाटानगर ने 15 हॉकरों की धड़पकड़ की गयी थी न की जनवरी से जुलाई माह तक.
यह बात अलग है कि टाटानगर आरपीएफ पोस्ट प्रभारी का यह झूठ किस रूप में आरपीएफ आईजी तक पहुंचा है और आईजी के स्तर से इस पर कैसा संज्ञान लिया गया है. जानने की बात यह भी है कि हॉकरों पर रोक को लेकर अक्सर होने वाले खेल के पीछे का कारण क्या है और क्या यह अवैध कमाई का कोई इको सिस्टम हैं जिसका जुड़ाव छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक होने की चर्चा रेलवे महकमे में सुनी जाती है.
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