- राउरकेला स्टेशन के प्लेटफॉम नंबर 2-3 से ट्रेनों को हटाकर 1 पर देने से स्टॉल संचालक परेशान
- रेलवे को पत्र देकर निर्धारित शुल्क में कटौती करने और स्टॉल छोड़ने की भी जता रहे इच्छा
राउरकेला. सच तो शायद उससे भी अधिक कड़वा होगा लेकिन अभी की जमीनी हकीकत यही है कि चक्रधरपुर रेलमंडल में यात्रियों की सुविधा नहीं बल्कि कमाई के लिए ट्रेनों का प्लेटफॉर्म बदल दिया जाता है. यह संदेह जता रहे है कि राउरकेला स्टेशन पर ऊंची कीमत चुकाकर स्टॉल लेने वाले वेंडर जो इन दिनों ट्रेनों का प्लेटफॉर्म बदले जाने से परेशान है और रेलवे को पत्र लिखकर स्टॉल सरेंडर करने की इच्छा जतायी है.
मामला सामने आया है राउरकेला स्टेशन का लेकिन इस भेदभाव की जद में रेलमंडल के अन्य कई स्टेशन भी हैं. टाटानगर स्टेशन पर भी यदा-कदा यह शिकायत सुनने को मिलती रही है जबकि परिचालन विभाग के अधिकारी इन आरोपों से इंकार करते है. अधिकारियों ने नाम नहीं देने की शर्त पर बताया कि रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म तय करना नीतिगत व परिस्थितिजन्य मामला है यह किसी को फायदा पहुंचाने अथवा नहीं पहुंचाने से प्रभावित नहीं होता है.
हालांकि राउरकेला स्टेशन के स्टॉल संचालकों ने रेलवे के सीनियर डीसीएम मनीष पाठक को लगातार पत्र भेजकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. उनका कहना है कि उन्होंने स्टॉल लेने से पहले जो सर्वे किया था उसके अनुसार ट्रेनों के प्लेटफॉर्म नंबर 2 और 3 पर आने वाली फ्रेवकेंसी को देखा था. उसके बाद उन्होंने स्टॉल के लिए निविदा हासिल की थी. अब उन ट्रेनों को प्लेटफॉर्म नंबर एक पर लिया जा रहा है जिससे उनका कारोबार ठप पड़ गया है.
स्टॉल संचालकों के अनुसार पहले कोरोना काल आ गया, जिससे उनका कारोबार काफी हद तक प्रभावित रहा. कोरोना के बाद जब ट्रेनों का मूवमेंट शुरू हुआ तो उन्हें यह अनुमान था कि अब सब-ठीक हो जायेगा लेकिन इसी बीच प्लेटफॉर्म नंबर 2 और 3 से रांची, हटिया, धनबाद की ओर जाने आने-जाने वाली उन ट्रेनों का ठहराया हटाकर प्लेटफॉर्म नंबर 1 से कर दिया गया जिनके ठहराव को देखकर ही उन्होंने टेंडर लिया था. हालांकि स्टॉल संचालक दबी जुबान से यह आरोप भी लगा रहे है कि ऊपरी कमाई और प्लेटफॉर्म नंबर एक पर के स्टॉल को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
स्टॉल लेने से पहले जो सर्वे किया था उसके अनुसार ट्रेनों के प्लेटफॉर्म नंबर 2 और 3 पर आने वाली फ्रेवकेंसी को देखा था. उसके बाद उन्होंने स्टॉल के लिए निविदा हासिल की थी. अब उन ट्रेनों को प्लेटफॉर्म नंबर एक पर लिया जा रहा है जिससे उनका कारोबार ठप पड़ गया है.
रेलवे के इस अप्रत्याशित निर्णय से भारी नुकसान होने की बात स्टॉल संचालकों ने सीनियर डीसीएम को लिखे पत्र में बतायी है और कहा है कि अगर यही हाल रहा तो उन्हें स्टेशन पर कारोबार करना मुश्किल हो जायेगा और उन्हें अपना कारोबार समेटना होगा. कई स्टॉल संचालकों ने सीनियर डीसीएम को लिखे पत्र में अनुरोध किया है कि उन्हें प्लेटफॉम नंबर 1 पर ही स्टॉल दे दिया जाये ताकि वह अपना कारोबार कर सके. कई लोगों ने रेलवे को लाइसेंस सरेंडर करने का भी अनुरोध किया है.
उधर, राउरकेला स्टेशन के स्टॉल संचालकों ने रेलहंट को बताया कि जब उन्होंने इस संबंध में स्टेशन प्रबंधक (राउरकेला) से बात की तो उन्होंने कहा कि मौखिक तौर पर चक्रधरपुर मंडल मुख्यालय से ही सभी यात्री ट्रेनों को प्लेटफॉर्म नंबर एक पर लेने को आदेश दिया गया है. बकौल स्टेशन प्रबंधक उन्हें आदेश आया है कि प्लेटफॉर्म नंबर 2 और 3 पर गुर्ड्स ट्रेनों को लिया जाये. हालांकि यह आदेश भी लिखित नहीं है यह भी मौखिक आदेश पर हो रहा है.
यहां यह बात गौरतलब है कि चक्रधरपुर रेलमंडल में राजस्व का बड़ा हिस्सा मालढुलाई से आता है. यहां माल ढुलाई को प्राथमिकता देने का चलन रहा है इसके लिए कई ऐसे उदाहरण भी सामने आये है जब अघोषित रूप से यात्री ट्रेनों को प्रभावित कर गुर्ड्स का परिचालन किया गया है. संभावना जतायी जा रही है कि राउरकेला स्टेशन के प्लेटफॉम नंबर 2 और 3 से गुर्ड्स ट्रेनों के मूवमेंट आदेश भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा तो नहीं है? हालांकि इसकी संभावना काफी कम नजर आ रही है.
इस मामले में रेलवे कॉमर्शियल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्टेशन पर प्लेटफार्म तय करने का अधिकारी व काम ऑपरेटिंग विभाग का होता है, इसलिए वे तत्काल इस मामले में कुछ भी निर्णय लेने मे विवश है. इसके लिए ऑपरेटिंग विभाग को पत्र लिखा जा रहा है और जल्द ही कोई सर्वमान्य निर्णय निकाल लिया जायेगा. इस मामले में अब तक सीनियर डीसीएम मनीष पाठक का पक्ष नहीं मिल सका है.
जीएम दौरे में भी स्टॉल संचालकों ने दुकान बंद कर जताया विरोध
दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी के दौरे के समय भी स्टेशन के स्टॉल संचालकों ने दुकान बंद कर अपना विरोध दर्ज कराया था. उस समय कॉमर्शियल विभाग के अधिकारियों ने यह कहकर स्टॉल खोलने का अनुरोध किया कि जीएम दौरा में किसी तरह की गतिविधि करना उचित नहीं है उनकी मांगों पर जीएम के जाने पर तत्काल निर्णय ले लिया जायेगा लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं. स्टॉल संचालकों की नजर सीनियर डीसीएम की पहल है जिससे उन्हें कुछ राहत मिलने की उम्मीद नजर आती है.