- चक्रधरपुर रेलमंडल के टिकट निरीक्षकों में दौड़ रही चर्चा की-आखिर विभिषण कौन !
- ट्रेन छूटने के लिए टिकट निरीक्षकों का चाय-नाश्ता का तर्क नहीं उतर रहा गले से नीचे
- लापरवाही या चूक की पड़ताल करेगा प्रशासन, कार्रवाई या माफी पर संशय बरकरार
- डीआरएम को किया गया गुमराह या भूलवश गुनाह के साझीदार बने टीटीई संतोष कुमार
- टाटानगर सीटीआई, कॉमर्शियल इंस्पेक्टर समेत अन्य ने 24 घंटे तक सूचना को दबाये रखा
रेलहंट ब्यूरो, राउरकेला
चक्रधरपुर रेलमंडल के राउरकेला स्टेशन से शनिवार 8 फरवरी की सुबह रवाना हुई एलेप्पी-टाटा एक्सप्रेस के 700 से अधिक यात्रियों को यह पता नहीं था कि यात्रा में उनके आपात सहयोगी की भूमिका निभाने वाले ऑन ड्यूटी टिकट निरीक्षक (टीटीई) ट्रेन में नहीं है. यह ट्रेन में चार घंटे से अधिक की यात्रा में बिना टिकट निरीक्षकों के टाटानगर पहुंची. दिलचस्प है कि इस दौरान मंडल रेल प्रबंधक विजय कुमार साहू भी आपात परिस्थतियों में ट्रेन में सवार हुए और औचक निरीक्षण कर एसी कोच में अनाधिकृत रूप से यात्रा कर रहे रेलकर्मियों को पकड़ा. डीआरएम ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी की लेकिन डीआरएम को यह नहीं पता चल सका कि ट्रेन के जिस एसी कोच में वह कार्रवाई कर रहे है उसका ऑन ड्यूटी कंडक्टर अथवा टीटीई ट्रेन में नहीं हैं. कोच में पहुंचे डीआरएम को स्क्वायड के टीटीई संतोष कुमार ने व्यवहारिकता के तहत इंटरटेन जरूर किया, लेकिन भूलवश वह भी इस गुनाह के साझीदार बन गये कि उन्होंने डीआरएम को सच नहीं बताकर गुमराह करने का प्रयास किया कि कोच कंडक्टर और टीटीई राउरकेला में चाय-नाश्ता करने के दौरान छूट गये है और ट्रेन बिना ड्यूटी स्टॉफ के आगे बढ़ रही है.
राउरकेला स्टेशन पर कोच कंडक्टर कुमार कौशल, टिकट निरीक्षक मिशाल लकड़ा और राकेश दास के छूट जाने के पीछे दो दिन बाद यह तर्क दिया गया कि टिटलागढ़ से लगातार ड्यूटी कर रहे टीटीई राउरकेला में चाय-नाश्ता करने एक नंबर प्लेटफॉर्म पर चले गये थे और उन्हें दो नंबर प्लेटफॉर्म से रवाना हो रही ट्रेन का पता नहीं चला. हालांकि यह ड्यूटी से बड़ी लापरवाही मानी जायेगी लेकिन अगर इसे मानवीय चूक भी मान लिया जाये तो बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर टिकट निरीक्षक दल ने ट्रेन छूटने के बाद अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों का निर्वाह निर्धारित मानक के तहत क्यों नहीं किया ?
- किस परिस्थिति में 700 से अधिक यात्रियों को उन्होंने किसके भरोसे छोड़ दिया?
- ट्रेन में नहीं पकड़ पाने की स्थिति में तत्काल सूचना कॉमर्शियल कंट्रोल को क्यों नहीं दी?
- तत्काल ऑनबोर्ड टीटीई वाले अगले स्टेशन चक्रधरपुर को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गयी ?
- अगर चक्रधरपुर स्टेशन को सूचना मिली तो ट्रेन के दूसरे टीटीई दल को क्यों नहीं भेजा गया?
- ट्रेन के टाटानगर पहुंचने के बाद भी क्यों नहीं रिपोर्ट दर्ज की गयी? क्यों सबसे छुपाये रखा गया ?
- टाटानगर के जिम्मेदारी अधिकारी दो दिन तक उच्चाधिकारियों से इस सूचना को क्यों छुपाये रहे ?
एलेप्पी एक्सप्रेस में एक साथ तीन टीटीई की गैरमौजूदगी की सूचना से न सिर्फ डीआरएम विजय कुमार साहू को गुमराह किया गया वरन दो दिन तक इस बात को गोपनीय रखा गया और इस मामले में तीनों टीटीई से लेकर टाटानगर सीटीआई लाइन, कॉमर्शियल इंस्पेक्टर समेत अन्य जिम्मेदार लोग सब कुछ जानते हुए भी मौन साधे रहे. इस बीच 9 फरवारी को यह बात लीक हो गयी कि डीआरएम विजय कुमार साहू ने औचक निरीक्षण में टिकट निरीक्षकों को गायब पकड़ा और सूचना अखबारों में प्रकाशित होने के बाद रेलमंडल वाणिज्य विभाग में हड़कंप मच गया. भले ही चोरी डीआरएम ने नहीं पकड़ी हो ओर मीडिया में सूचना को तोड़मरोड़ कर पहुंचाया गया हो लेकिन यह हकीकत सामने आ चुकी थी कि 8 फरवरी को राउरकेला से तीन टीटीई ट्रेन में सवार नहीं हो सके थे और पूरी जानकारी के बावजूद टाटानगर सीटीआई, कॉमर्शियल इंस्पेक्टर समेत दूसरे लोगों ने 48 घंटे तक बात उच्चाधिकारियों से छुपाये रखी. किसी भी स्तर पर सच को आला अधिकारियों की जानकारी में देकर विश्वास में लेने का प्रयास नहीं किया गया. इस क्रम में टीटीई से लिखवाकर यह रख लिया गया था कि अगर बात सामने आयेगी तो यह बताया जायेगा कि चाय-नाश्ता के कारण ट्रेन छूट गयी. अब मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में कागज पर मामले को रफा-दफा करने और अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पीछे छुड़ाने के प्रसास शुरू हो गये.
मीडिया के पोल खोल देने के बाद अब रेलमंडल का टिकट निरीक्षक समूह उस विभिषण की तलाश में जुट गया है जिसके माध्यम से तोड़-मरोड़ कर ही सही यह सूचना मीडिया तक पहुंचायी गयी. 10 फरवरी को टिकट निरीक्षकों के वाट्सअप ग्रुप में यह सूचना आम थी कि यह विभिषण कौन है? और सूचना कहां से लीक हुई?
मीडिया के पोल खोल देने के बाद अब रेलमंडल का टिकट निरीक्षक समूह उस विभिषण की तलाश में जुट गया है जिसके माध्यम से तोड़मरोड़ कर ही सही यह सूचना मीडिया तक पहुंचायी गयी. 10 फरवरी को टिकट निरीक्षकों के वाट्सअप ग्रुप में यह सूचना आम थी कि यह विभिषण कौन है? और सूचना कहां से लीक हुई? इसमें कई टीटीई ने स्पष्ट मत दिया कि यह सूचना टाटानगर स्टेशन से ही लीक हुई है और इसके लिए जिम्मेदारी वह व्यक्ति ही है जो सीधे तौर पर इसे घटना से किसी तरह प्रभावित नहीं हो रहा है. इशारे ही इशारे में टिकट निरीक्षक अपनी भड़ास वाट्सएप ग्रुप निकाल रहे है. इसमें दलाल टाइप के टिकट निरीक्षकों को निशाने पर लिया जा रहा है. हालांकि अधिकांश निरीक्षकों ने रेलहंट को यह बताकर पल्ला छुड़ाने का प्रयास किया कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है और वह उस समय बाहर थे. अब इस मामले में गेंद पूरी तरह रेल प्रशासन के पाले में है कि वह इसे मानवीय भूल के रूप में देखता है अथवा गंभीर लापरवाही मानकर कार्रवाई की ओर बढ़ता है. हालांकि इस घटना के बाद टाटानगर में भी रेलवे क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा जांच में तीन टीटीई को गायब पाये जाने की बात सामने आयी. इसमें दो चक्रधरपुर के थे जबकि एक टाटानगर का था जिसकी डयूटी बादामपहाड़ पैसेंजर में थी.
राउरकेला में थी विजिलेंस टीम, दो टीटीई का घर भी वहीं
राउरकेला से टाटा के बीच बोर्डिग अधिक नहीं होने के कारण ट्रेन में टीटीई का नहीं होना भले ही सामान्य घटना प्रतीत होती है लेकिन आपात स्थिति में इसका बड़ा महत्व है क्योंकि किसी भी स्थिति के लिए यात्री सीधे तौर पर टीटीई पर ही आश्रित होते है जो रेलवे से समन्वय बनाकर उनकी मदद करते हैं. ऐसे में अचानक तीन टीटीई का ट्रेन से राउरकेला में उतर जाने के पीछे एक चर्चा यह है कि इनमें दो टिकट निरीक्षकों को मूल आवास राउरकेला में है और ऐसा में यह भी संभव हो कि उन्होंने जान बूझकर ट्रेन को छोड़ दिया हो. चर्चा है कि यह स्थिति अक्सर होती है लेकिन आज मामला पकड़ा गया है. हालांकि रेलवे में वर्तमान सख्त स्थिति, कंम्प्यूटराइज्ड सिस्टम और कैमरों के बीच ड्यूटी के कारण इस संभावना को अधिकांश रेलकर्मियों ने खारिज कर दिया. दूसरी बात यह सामने आयी कि शनिवार को राउरकेला में विजिलेंस की टीम के चार सदस्य मौजूद थे. आम तौर पर एलेप्पी समेत दूसरी ट्रेनों के स्टेशन पर आने पर यात्री कोच में सीट का नंबर टीटीई से ले लेते है. कम दूरी के स्टेशनों के लिए यात्रियों का टिकट नहीं बनाकर टीटीई अपनी जिम्मेदारी पर उन्हें पैरवी व सुविधा के अनुसार यात्रा करा देते है. लेकिन उस दिन विजिलेंस की मौजूदगी के कारण संभावित अप्रिय स्थिति से बचाने के लिए टीटीई अपने कोच के सामने से हट गये थे ताकि डेली पैसेंजर को नंबर देने की स्थिति से बचा जा सके. यही उनसे चूक हो गयी और हर दिन विलंब से रवाना होने वाली एलेप्पी एक्सप्रेस उस दिन प्लेटफॉर्म नंबर दो से समय पर रवाना हो गयी जिसका अंदेशा टीटीई को नहीं था. यही कारण रहा कि तीनों टीटीई की ट्रेन छूट गयी, जो सामान्य हालात में कभी संभव नहीं होता.
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