- दलालों से कब्जे में राउरकेला का आरक्षण केंद्र, आरपीएफ अधिकारी भी जांच का कर रहे सामना
- पार्सल में सीपीएस व क्लर्क पर रेलवे बोर्ड के रुटीन तबादले का नियम भी अफसरों ने किया बेअसर
ROURKELA. राउरकेला रेलवे स्टेशन को रेलवे प्रशासन के द्वारा मॉडल स्टेशन की मान्यता भले ही मिल गई है लेकिन इस स्टेशन में भ्रष्टाचार का खेल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. स्टेशन में जहां आरक्षण टिकट केंद्र में दलालों की मनमानी चल रही है वहीं स्टेशन के वेटिंग हॉल में भी ठेकेदार की दादागिरी चल रही है. आलम यह है कि राउरकेला में टिकट दलालों से सांठगांठ में आरपीएफ के एक अधिकारी को भी जांच का सामना करना पड़ रहा है.
अगर यात्री सुविधाओं की बात करें तो कॉमर्शियल इंस्पेक्टर के रूप में अतुल कुमार घोष की पदस्थापना के बाद से ही यहां अवैध वसूली का जो खेल शुरू हुआ वह अब तक किसी ने किसी रूप में जारी है. पहले अवैध वेंडरों की धमाचौकड़ी पर यहां हंगामा मचा और आरपीएफ के मौन के बीच कॉमर्शियल से एसीएम विनीत कुमार ने मोर्चा संभाला तब जाकर इन वेंडरों पर कुछ लगाम लगी. हालांकि आरपीएफ सीआईबी के कुछ लोगों की सह पर गुपचुप अवैध वेंडिंग का खेल अब भी जारी है.
वहीं रेलवे पार्सल से लेकर दूसरे स्थानों पर ठेकदारों की मनमानी और अवैध उगाही का खेल भी अधिकारियों के मौन के बीच जारी है. रेलवे पार्सल में सात साल से अधिक समय से जमा एक सीपीएस, तो पार्सल में तबादले के महीनों बाद भी रिलीव नहीं किया गया एक क्लर्क तो रेलवे बोर्ड के सेंसेटिव पदों पर रुटीन तबादले के नियम को भी सीधे चुनौती दे रहा. चक्रधरपुर रेलमंडल में सीनियर डीसीएम आदित्य चौधरी जैसे सुलझे पदाधिकारी की मौजूदगी और डीसीएम और एसीएम के मौन के बीच व्यवस्था के भ्रष्टाचार का यह खेल अनवरत जारी है.
ऐसे में ठेकेदारों की मनमानी पर कौन रोक लगायेगा यह बड़ा सवाल उठ खड़ा होता है. यहां स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक में स्थिति द्वितीय श्रेणी के वेटिंग हॉल में रात के समय वेटिंग हॉल के ठेकेदार द्वारा रेल यात्रियों को रात्रि विश्राम के नाम पर 40 से 50 रुपए वसूले जा रहे है. रेलवे अधिनियम के अनुसार वेटिंग हॉल में रेलयात्रियों को सिर्फ बैठने की ही अनुमति है. बाबजूद ठेकेदार के कुछ कर्मचारियों के द्वारा रात के समय रेल यात्रियों को वेटिंग हॉल में रात्रि विश्राम के लिए जमीन पर सुलाया जा रहा है.
इसके एवज पर रेल यात्रियों से 40 से 50 रुपए वसूला जा रहा है. इसके साथ ही इस वेटिंग हॉल में रेल यात्रियों की टॉयलेट जाने के लिए भी पांच रुपए चुकाना पड़ता है. कई बार रेल यात्रियों ने इसकी शिकायत रेलवे के संबंधित अधिकारियों से की है. बाबजूद रेलवे अधिकारी ने इसपर किसी तरह की कोई कारवाई नहीं की है. भीषण सर्दी में यात्रियों को राहत पहुंचाने की जगह उनका आर्थिक दोहन मानवीय संवेदना पर भी सवाल उठा रहा है.
हालंकि व्यवस्था से मजबूर होकर रेल यात्री दबंग ठेकेदार की मनमानी को स्वीकार कर रहे है. राउरकेला रेलवे स्टेशन के कमर्शियल इंस्पेक्टर अतुल कुमार घोष से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उन्हें अब तक ऐसी शिकायत नहीं मिली है लेकिन अगर ऐसा हो रहा है तो इसपर निश्चित रूप से कारवाई होगी.