- चक्रधरपुर रेलमंडल के डांगुवापोशी में 10 लाख से अधिक के ओएचई तार लूट में हुआ बड़ा खेल
- SSE/OHE और RPF ने बतायी 38 हजार की चोरी, महकमे के लोग ही इस पर उठा रहे सवाल
- DPS से आरपीएफ के एक अफसर का अटैचमेंट तो पूरे फसाद की जड़ तो नहीं, यह भी चर्चा में है
- रेलकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट व लूटपाट मामले में अब तक नहीं कराया गया एफआईआर
CHAKRADHARPUR : चक्रधरपुर रेलमंडल के डांगुवापोशी में शुक्रवार 25 नवंबर 2022 की रात जो कुछ हुआ वह अप्रत्याशित जरूर था लेकिन उसके बाद जो हुआ वह मंडल के आला अधिकारियों से लेकर जोन और रेलवे बोर्ड (railway board) के तमाम जिम्मेदारों अफसरों के मुंह पर करारा तमाचा है. डांगुवापोशी के OHE/DEPO में 10 लाख से अधिक मूल्य के ओएचई तार की लूट को SSE/OHE और RPF के अफसरों ने मात्र 38,400 रुपये की चोरी बताकर रेलवे के समूचे निगरानी तंत्र पर ही सवालिया निशान लगा दिया है.
बड़ा सवाल यह है कि रात के 11 बजे ट्रक लेकर आये एक दर्जन की संख्या में अपराधियों ने दो रेलकर्मियों लक्ष्मी नारायण गोप ओर अविनाश केराई को बंधक बनाकर जानलेवा हमला किया और मात्र 64 किलोग्राम ही OHE dropper wire ले गये ? 64 किलो वायर तो दो लोग पैदल ही ले जा सकते हैं तो फिर अपराधी ट्रक लेकर क्यों आये ? क्या अपराधियों को डिपो में रखे गये माल की पूर्व से जानकारी थी ? और अगर उन्हें सही जानकारी थी तो इस साजिश और सूचना के पीछे किसका दिमाग काम कर रहा था. इन सवालों के जबाव तो तब सामने आयेंगे जब इस मामले में निष्पक्ष स्तर पर जांच की जायेगी लेकिन फिलहाल तो मामले की लीपापोती करने की बेचैनी RPF के इंस्पेक्टरों से सीनियर ऑफिसर तक में दिख रही है.
#SER_CKP_DPS में ट्रक लेकर आये एक दर्जन लुटेरे दो लोगों को जख्मी कर 64 kg OHE dropper wire ही ले गये और पकड़े भी गये. हैं न मजेदार कहानी, @SrDSCRPFCKP से लेकर @ig_cum_csc_ser का मौन काफी संदिग्ध है. @rpf_dg पता करें लुटेरे बाहर के थे या घर में ही हैं.. @sanjay_chander pic.twitter.com/MHCPmvXuhT
— Railhunt (@railhunt) December 3, 2022
SSE/OHE और RPF/CIB की रिपोर्ट पर खुद उनके महकमे के लोग ही इत्तीफाक नहीं रख रहे है. चर्चा आम है कि बड़ी मात्रा में OHE WIRE डकैती कर अपराधी ले गये और और लूटे गये माल का मूल्य 10 से 15 लाख के बीच है. रेलकर्मियों के बीच इस बात की चर्चा है कि जो वायर डकैत ले गये है वह बीते महीनों में नया OHE वायर बदलने के बाद उतारा गया कॉपर था. कहा जा रहा है कि बीते कुछ माह में सेक्शन में कई किलोमीटर तक ओएचई का काम हुआ है जिसके बाद पुराने तार को गोदाम में रखा गया था. पिछले महीनों में सेक्शन में कराये गये OHE वायर के बदलाव की मात्रा का आकलन कर लिया जाये तो स्वत: साफ हो जायेगा कि कितने मात्रा की चोरी की गयी है? लेकिन विभागीय रेलकर्मी गहरे दबाव में है और पूरे मामले में मौन साध रखा है.
अब आते है केस के वर्तमान स्टेटस पर तो मिल रही सूचनाओं के अनुसार आरपीएफ के जिम्मेदार अफसरों ने तीन दिनों की भागदौड़ के बाद 4800 रुपये मूल्य का OHE dropper wire बरामद दिखाते हुए दो लोगों को पकड़कर केस के उदभेदन का दावा कर दिया है. गिरफ्तारी और बरामदगी ओडिशा के बहालदा से बतायी जा रही है. हालांकि तकनीकी जांच में पकड़े गये लोगों के मोबाइल का लोकेशन घटना वाली रात सोनुआ बता रहा है. अगर इसे आरपीएफ की उपलब्धि मान भी लिया जाये तो बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि लूटा गया पूरा माल कहां गया? वह वाहन कहा है जिसे लूट में उपयोग में लाया गया था ? पकड़े गये लोगों की घटना वाली रात कहीं और मौजूदगी का इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को आरपीएफ कोर्ट में कैसे साबित करेगा?
हालांकि लूटपाट की घटना और खुलासे की जानकारी के लिए रेलहंट के प्रतिनिधि ने RPF/DPS/OC से बात करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया. बड़ा सवाल यह है कि इंस्पेक्टरों के तर्क को एएससी और सीनियर डीएससी किस तरह स्वीकार करते है. आरपीएफ के लोगों का ही कहना है कि इस मामले की जांच रेलवे बोर्ड की सीसीबी टीम करें तभी कुछ हो सकता है क्योंकि वर्तमान में केस को पूरी तरह डायवर्ट कर दिया गया है. यह नीचे से ऊपर तक की मिलिभगत के बिना संभव नहीं है.
#SER_CKP_DPS में 25.11.2022 की रात ट्रक लेकर आये एक दर्जन लुटेरों 10 लाख से अधिक का OHE dropper wire लूट ले गये. #SSE_OHE और #RPF 38 हजार की चोरी बताकर मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं. मामले में उच्चस्तरीय जांच की जरूरत है. @GMSERAILWAY @AshwiniVaishnaw@CVCIndia@ceeserkol pic.twitter.com/JCPtLYCKR0
— Railhunt (@railhunt) December 3, 2022
DPS के OHE डिपो से लूट की घटना ऐसे समय में हुई जब यहां से दो माह पूर्व की एक अधिकारी को अटैच किया गया है. अटैच किये गये अफसर की पकड़ महकमे में काफी गहरी है और उसके प्रभाव का आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि सिपाही से अधिकारी बनने तक के 15 वर्षों में वह हमेशा से ही पोस्ट प्रभारियों का स्पेशल ही रहा. डीपीएस में संतोष कुमार की पदस्थापना के ठीक बाद ही उसे अटैच कर दिया गया. आरपीएफ महकमे में इस बात की चर्चा तेज है कि कहीं उसका अटैचमेंट इस पूरे फसाद की जड़ तो नहीं ?
आरपीएफ एसोसिएशन से कभी जुड़े रहे एक पूर्व अधिकारी ने रेलहंट को बताया कि यह काफी हास्यास्पद है कि एक ओर आरपीएफ केस के इंवेस्टीकेशन के लिए पावर मांग रहा है तो दूसरी ओर चोरी की वैल्यू को कम करने का दबाव बनाकर मामलों को गोलमाल किया जा रहा. बड़ी बात यह है कि रेलकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट करने और डकैती के इस मामले में अब तक लोकल थाना में एफआईआर नहीं दर्ज कराया गया है. यह गलत कृत्य है और डीजी को इस मामले की अपने स्तर से जांच करानी चाहिए तभी कुछ सामने आ सकेगा.
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