NEW DELHI. 8 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इंडियन रेलवे एसएंडटी मैंटेनर्स युनियन को भेजे गए जवाब में कहा गया है कि भारतीय रेलवे में सिग्नल एवं दूरसंचार कर्मचारियों को ‘रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस’ देने का प्रस्ताव अभी भी वित्त मंत्रालय के पास विचाराधीन है.
इससे पहले, भारतीय रेलवे एसएंडटी मैंटेनर्स युनियन (IRSTMU) ने 12 सितंबर, 2024 को माननीय प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह सिग्नल एवं दूरसंचार अनुरक्षण विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए ‘रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस’ के लिए लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए वित्त मंत्रालय से अनुरोध करे.
पीएमओ ने कहा, “यह सराहनीय है कि नई श्रेणियों को रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस देने का प्रस्ताव अभी भी वित्त मंत्रालय के विचाराधीन है.” इसमें कहा गया है, “इस मामले को वित्त मंत्रालय में उच्च-स्तरीय अधिकारियों के बीच बैठकों के माध्यम से उच्चतम स्तर पर आगे बढ़ाया जा रहा है. इस मंत्रालय (रेल मंत्रालय) द्वारा वित्त मंत्रालय से शीघ्र स्वीकृति प्राप्त करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं. पीएमओ के जवाब से असंतुष्ट आईआरएसटीएमयू के पदाधिकारियों ने एसएंडटी कर्मियों को जल्द से जल्द ‘रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस’ स्वीकृत करने और लागू करने के लिए एक निश्चित समय-सीमा की मांग की है, क्योंकि उनके अनुसार, यह मामला पहले रेल मंत्रालय और अब फरवरी 2019 से वित्त मंत्रालय के पास विचाराधीन है.
भारतीय रेलवे एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन (आईआरएसटीएमयू) के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने कहा, “एसएंडटी कर्मियों के लिए एक वैध मांग के लिए यह अंतहीन इंतजार बन गया है. हमारे कर्मी सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए अपने जीवन का बलिदान करते हैं क्योंकि हर साल कई एसएंडटी मेंटेनर तेज गति से चलने वाली ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं. लेकिन सरकार एक बहुत ही वैध और वैध मांग को मंजूरी देने में कछुए की गति से आगे बढ़ रही है.” प्रकाश के अनुसार, यूनियन ने पहली बार ‘रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस’ की मांग 2016 में तब उठाई थी, जब राजस्थान के कोटा में एक वरिष्ठ सिग्नल तकनीशियन की पत्थरों से मार-मार कर निर्मम हत्या कर दी गई थी, जब उसने सुरक्षित रेल परिचालन बनाए रखने के लिए यातायात के लिए लेवल क्रॉसिंग गेट खोलने से इनकार कर दिया था.
फिर, 9 फरवरी, 2019 को यूनियन ने ‘रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस’ के समर्थन में ‘काला दिवस’ मनाया, जब उसके एक कार्यकर्ता की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी और रेलवे प्रशासन ने, लोको पायलट द्वारा घटना की जानकारी दिए जाने के बाद भी, कथित तौर पर शव को रात में कई घंटों तक अन्य गुजरने वाली ट्रेनों की चपेट में आने और क्षत-विक्षत होने के लिए ट्रैक पर छोड़ दिया था. यूनियन ने कहा कि रेल मंत्रालय को 11 फरवरी, 2019 को “सातवें वेतन आयोग (सीपीसी) द्वारा शुरू किए गए रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस के दायरे में नई श्रेणियों को शामिल करने की समग्र जांच करने के लिए” छह सदस्यीय समिति का गठन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
आईआरएसटीएमयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने कहा, “शुरू में समिति को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन समय सीमा दो बार बढ़ाई गई, हर बार 6 महीने के लिए. 2020 के मध्य में कोविड और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इसका कामकाज स्थगित रहा.” उन्होंने कहा कि संघ के पदाधिकारियों ने अपनी मांग को लेकर फरवरी 2020 में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से मुलाकात की थी. कुमार ने कहा कि 2023 के आसपास जब उन्होंने पूछताछ की, तो उन्हें पता चला कि समिति ने एक रिपोर्ट बनाकर वित्त मंत्रालय को भेज दी है, लेकिन उन्हें रेल मंत्रालय से कभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली.
प्रकाश ने कहा, “फरवरी 2024 में जब हमने पीएमओ को लिखा और मई 2024 में जवाब मिला, तब हमें पता चला कि समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को भेज दी है.” संघ के अनुसार, पीएमओ ने आगे कहा था, “समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और एक उपयुक्त प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेज दिया गया है. वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट का इंतजार है.” प्रकाश ने कहा, “रेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को भेजी गई छह सदस्यीय समिति की रिपोर्ट कभी हमारे साथ साझा नहीं की.” उन्होंने सरकार से रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस के पक्ष में त्वरित एवं सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की.