- आरपीएफ की बढ़ी उपलब्धि, 5 लाख मूल्य के आरक्षित कंफर्म टिकट जब्त, पश्चिम बंगाल से हो रहा था संचालन
नई दिल्ली. आरपीएफ की टीम ने देशव्यापी अभियान चलाकर एक ही दिन में फर्जी सॉफ्टवेयर से आईआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगाकर आरक्षित टिकट निकालने वाले गिरोह से जुड़े 50 से अधिक को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह रियल मैंगो नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर वेबसाइट में सेंध लगाकर आरक्षित टिकट निकालता है और उसे ऊंची कीमत पर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है. इससे पहले रेयर मैंगो के नाम से इस साफ्टवेयर को ऑपरेट किया जा रहा था. आरपीएफ डीजी अरुण कुमार ने मीडिया को बताया कि वर्तमान सीमित ट्रेनें चल रही है. ऐसे में यह गैंग उन्हीं ट्रेनों को टारगेट करता था जिनके यात्रियों की अधिक भीड़ होती है.
आरपीएफ को बीते 9 अगस्त 2020 को कुछ दलालों की गिरफ्तारी के बाद फर्जी सॉफ्टवेयर से रेलवे की वेबसाइट में सेंध लगाकर रिजर्व टिकट निकालने का पता चला था. बताया जाता है कि टिकट बुक करने से लेकर टिकट बेचने तक का पूरा गिरोह संचालित हो रहा था. डीजी अरुण कुमार के मुताबिक फेक सॉफ्टवेयर को नष्ट कर दिया गया है. दलाल रियल मैंगो सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगाते थे. सॉफ्टवेयर के जरिए v3 और V2 कैप्चा को बाईपास कर देते थे. मोबाइल ऐप से बैंक ओटीपी को सिंक्रोनाइज कर ऑटोमेटिक तरीके से रिक्वेस्ट फॉर्म में फिल करते थे. साफ्टवेयर से ऑटोमेटिक यात्री विवरण और पेमेंट डिटेल फॉर्म में होने के बाद सॉफ्टवेयर से आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर मल्टीपल आईडी से लॉगइन करते थे. फर्जी सॉफ्टवेयर सिस्टम एडमिन और उसकी टीम, मावेन्स, सुपर सेलर, सेलर्स और एजेंट के जरिए पांच स्तर पर यह काम कर रही थी. इसमें 17 मावेंस, 176 सुपर सेलर्स को मिलकार 1500 के लगभग एजेंट्स काम कर रहे थे. इसमें खास बात तो यह है कि सिस्टम एडमिन टिकट का पैसा बिटकॉइन से लेता था.
डीजी अरुण कुमार के मुताबिक आरपीएफ ने इसके मुख्य सरगना सिस्टम डेवलपर के साथ ही पूरी टीम को गिरफ्त में लिया है. इसमें 5 सॉफ्टवेयर को ऑपरेट करने वाले मुख्य अपराधी पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किए गए हैं. इसके पहले पिछले साल दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक आरपीएफ में इसी तरह का अभियान चलाया था और कई फर्जी सॉफ्टवेयर का भंडाफोड़ किया था. इस कार्रवाई में भी आरपीएफ 140 लोगों को गिरफ्तार किया था. दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच आरपीएफ की कार्रवाई में पकड़े गये गिरोह से एएनएमएस / लाल मिर्ची / ब्लैक टीएस, टिकटोक, आई-बॉल, रेड बुल, मैक, एन-गेट जैसे अवैध सॉफ्टवेअर का पता चला था.
आरपीएफ द्वारा दी गयी जानकारी ने सीआरएस/आईआरसीटीसी को पीआरएस सिस्टम की सुरक्षा खामियों को दुरुस्त करने की मदद मिली. इसके बाद सॉफ्टवेयर्स ने उस समय काम करना बंद कर दिया. बंगाल से पकड़े गये लोगों में रेहान खान, शमशेर अंसारी (द मावेन), सुबीर विश्वास, अमित रॉय, मटियार खान (विक्रेता), सुभेंदु विश्वास, मानगो (द मावेन), राहुल रॉय (द बिजनेस मैनेजर), चंद्र गुप्ता (सिस्टम डेवलपर और एडमिन) शामिल है.