- तीन फेज में शुरू किया जायेगा परिचालन, महत्वपूर्ण और डिमांड वाली ट्रेनों की होगी पहले शुरूआत
- रेलवे बोर्ड ने प्रस्तावित ट्रेनों में यात्रियों की संख्या और मिलने वाले राजस्व का औसत मांगा
- निर्धारित संख्या से कम यात्री मिलने पर बंद हो सकती है ट्रेनें, स्टेशन से ठहराव खत्म होगा ठहराव
नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों का रेगुलर परिचालन शुरू करने की दिशा में पहल शुरू कर दी है. इस कड़ी में 22 सितंबर को रेलवे बोर्ड ने सभी जोन और मंडल को पत्र भेजकर अपने-अपने मंडल से चलने वाली महत्वपूर्ण ट्रेनों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है जिन्हें पहले चरण में चलाया जायेगा. बोर्ड ने एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन तीन चरण में चलाने का सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि जो ट्रेनें अहम है और जिनकी डिमांड है उन्हें पहले चलाने की तैयारी मंडल स्तर पर शुरू कर दी जाये. इस तैयारी के साथ अनुमान लगाया जाने लगा है कि अक्टूबर से कुछ डिमांड वाली ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जायेगा और नवंबर या दिसंबर तक रेल परिचालन पूरी तरह सामान्य हो सकता है.
रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद सभी जोन और मंडल में रेगुलर ट्रेनों को चलाने के लिए व्यवस्थागत तैयारियों शुरू कर दी गयी है. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अक्टूबर माह से देश के विभिन्न हिस्सों से अहम ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जायेगा. रेलवे बोर्ड इस बार ट्रेनों को चलाने के लिए फायदे और नुकसान की कसौटी पर भी कसने की तैयारी में है.
रेलवे बोर्ड के सूत्रों की बात अगर सही है तो इस बार रेलवे ट्रेनों को चलाने की तैयारी के साथ ही घाटा और फायदे की भी तुलना करेगा. जिन स्टेशनों पर एक निर्धारित संख्या से कम यात्रियों का औसत पाया जायेगा वहां से ट्रेनों के ठहराव को खत्म कर दिया जायेगा. इसके लिए एक मानक बनाया गया है जिसके अनुसार सभी रेलमंडल से ट्रेनों में टिकट की बिक्री और मिलने वाले राजस्व की समीक्षा की जा रही है. आगे भी चलायी जाने वाली ट्रेनों में इस बिंदू को ध्यान रखा जायेगा.
इसी तरह यात्रियों की कम संख्या को लेकर घाटे वाली कुछ ट्रेनों का परिचालन भी बंद किया जा सकता है. रेलवे में राजनीति फायदें के लिए कई बार नयी ट्रेन चलाने अथवा उन स्टेशनों पर भी ठहराव देने की परंपरा चली आ रही है जहां बहुत कम यात्री ट्रेन में सवार होते है अथवा उतरते हैं. रेलवे बोर्ड के सूत्रों के अनुसार इस बार नये सिरे से ट्रेन परिचालन में पूरी तरह इस मानक और मिथक का तोड़ने की तैयारी कर ली गयी है.
इसका असर कई ट्रेनों के परिचालन और कई स्टेशनों पर विभिन्न ट्रेनों का ठहराव खत्म करने के रूप में सामने आने वाला है. यही कारण है कि रेलवे बोर्ड ने रेगुलर ट्रेनों को चलाने को लेकर जो सूची मंडलों से मांगी है उनमें यह भी बताने को कहा गया है कि उन ट्रेनों में यात्रियों से प्रतिदिन मिलने वाले राजस्व का औसत क्या था और कितने यात्रियों ने ट्रेनों में प्रतिदिन औसत रूप से यात्रा की.
रेगुलर ट्रेन चलाने के प्रस्ताव के बीच ट्रेनों से मिलने वाले राजस्व और यात्रियों की संख्या का डाटा तलब किये जाने को लेकर शंकाएं भी जतायी जा रही है. रेलवे से जुड़े यूनियन नेताओं को इस बात की आशंका है कि अहम कमाई वाली ट्रेनों का औसत जानने के बाद रेलवे बोर्ड नफा-नुकसान का आकलन करेगा. ऐसे नेताओं का कहना है कि ऐसे में संभव है कि रेलवे अलाभकारी मार्ग पर कुछ ट्रेनों का परिचालन बंद कर दे अथवा कुछ स्टेशनों से ठहराव को खत्म करे जबकि हमेशा से रेलवे की पहचान जनसुविधा के रूप में रही है.
हालांकि कुछ नेताओं ने इससे अलग यह आशंका जतायी कि यह भी संभव है कि महत्वपूर्ण और कमाई वाली ट्रेनों के समय के आसपास कुछ निजी ट्रेनों को चलाने की तैयारी की गयी है और यह कवायद इसी का हिस्सा है. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अधिक राजस्व वाली ट्रेनों के पीछे क्लोन ट्रेनों को चलाकर बेहतर राजस्व उगाही का प्रयास भी इस कड़ी का हिस्सा हो सकता है.
कारण चाहे जो भी रहे हो लेकिन बोर्ड द्वारा मंडलों से ट्रेनों की सूची मांगे जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद से बंद रेगुलर ट्रेनों का परिचालन शुरू करने की दिशा में पहल शुरू हो गयी है. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में चल रही विशेष और क्लोन ट्रेनों के बीच दुर्गापूजा से पहले कुछ मार्गों पर रेगुलर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया जा सकता है. हालांकि बोर्ड स्तर पर यह स्पष्ट किया गया है कि रेगुलर ट्रेनों की शुरूआत फेजवाइज ही होगी. पहले अहम ट्रेनों को चलाया जायेगा इसके बाद धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ायी जायेगी.