RAIPUR. रायपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफाॅर्म नंबर सात पर लगी आग बुझ गयी है लेकिन यह कई सवालों को खड़े कर गयी है. रात के समय लगी आग में दो स्टॉल पूरी तरह जलकर राख हो गये. आग पर काबू पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी और परेशानियां भी आयी. बताया जा रहा है कि पहले कैटिन में आग लगी फिर वह फैलते हुए मिल्क पार्लर को भी अपनी चपेट में ले लिया. घटना गुरुवार 28 मार्च 2024 की रात एक बजकर 10 मिनट की बतायी जा रही है. हालांकि प्रारंभिक तौर पर आग लगने का कारण तो शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इसके लिए जिम्मेदारी क्या तय की जायेगी?
रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा को ध्यान में रखकर कई जरूरी दिशा-निर्देश अलग-अलग विभागों को दिये गये हैं. एक स्टॉल को लाइसेंस देने के समय कई विभागों के अधिकारी इसकी पूरी जांच करते है और इसके बाद यहां विधिवत रूप से लोड के अनुसार बिजली व दूसरे उपकरण चलाने की स्वीकृति दी जाती है. हालांकि रेलवे ने स्टेशनों पर चूल्हा को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है लेकिन इसका इस्तेमाल अब भी दबा-छुपाकर किया जा रहा है.
अब सवाल यह उठता है कि अगर कैंटिन में आग लगी तो इसके लिए किसकी लापरवाही थी? यह जांच का तथ्य है कि क्या वहां कोई ज्वलनशील पदार्थ का उपयोग किया जा रहा था? स्टॉल में बिजली का लोड स्वीकृत से अधिक तो नहीं था ? उपयोग किये जाने वाले विद्युत उपकरणों की गुणवत्ता व उपयोगिता सही थी की नहीं? क्या एसआईजी कमेटी की रुटीन जांच में यहां सब-कुछ सही पाया गया था?
यह सही बात रही कि आग अधिक नहीं फैली और समय रहते उस पर काबू भी पा लिया गया लेकिन स्टेशन के भीतर आगलगी की इस घटना ने सेफ्टी से जुड़े कई बिंदुओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिया है? इसकी जांच करायी जानी चाहिए. क्योंकि ऐसी घटनाएं जनहानि का भी कारण बन सकती है तब उसके लिए कौन जिम्मेदार होंगे?