नई दिल्ली. दिल्ली की उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को उस यात्री को एक लाख रुपये हर्जाना देने का निर्देश दिया है जिसे रिर्जवेशन होने के बाद यात्रा के दौरान सीट नहीं मिली थी. इस कारण बुजुर्ग यात्री इंद्रनाथ झा को बिहार के दरभंगा से दिल्ली तक पैदल यात्रा करनी पड़ी. घटना फरवरी 2008 की है. इंद्रनाथ झा ने दरभंगा से दिल्ली की यात्रा के लिए टिकट आरक्षित कराया था. रिजर्वेशन के बावजूद उन्हें बर्थ नहीं दी गई. इस कारण इंद्रनाथ झा को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. यात्री ने इस मामले को दक्षिण जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (South District Consumer Disputes Redressal Commission) के सामने उठाया, जिसने इस मामले में निर्णय दिया.
दरअसल, रेलवे ने स्लीपर क्लास में आरक्षण को अपग्रेड कर एसी में कर दिया था. जब इंद्रनाथ स्लीपर क्लास की बोगी में गये तो टीटीई ने उन्हें एसी क्लास में आरक्षण अपग्रेड होने की जानकारी दी. जब वह एसी में गये तो टीटीई ने उन्हें यह कहकर टाल दिया कि आप विलंब से आये है और नियमों केअनुसार आपका आरक्षण किसी और का अलार्ट कर दिया गया है्. आयोग में चली सुनवाई में रेलवे ने इसी नियम का हवाला देकर तर्क दिया कि यात्री के विलंब से पहुंचने के कारण नियमानुसार सीट को दूसरे यात्री को आवंटित कर दिया गया था.
हालांकि आयोग ने रेलवे के निर्णय को नहीं मना. आयोग का कहना था कि लोग रिजर्वेशन अपनी सुविधा के लिए कराते है लेकिन यहां बुजुर्ग यात्री इंद्रनाथ झा को रेलवे की कमियों का खामियाजा यात्रा में भुगतना पड़ा. उन्हें दरभंगा से दिल्ली की यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़ी. आयोग ने कहा कि स्लीपर क्लास के टीटीई ने एसी के टीटीई को बताया था कि पैसेंजर ने ट्रेन पकड़ ली है और वह बाद में वहां पहुंचेंगे. यात्री को अपनी रिजर्व बर्थ पर बैठने का अधिकार है और इसमें किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है. यदि बर्थ अपग्रेड कर दी गई थी तो उन्हें वह बर्थ मिलनी चाहिए थी. आयोग ने इसे पूरी तरह रेलवे की लापरवाही का मामला माना.
उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को हर्जाने के रूप में एक लाख रुपये पीड़ित यात्री को देने का आदेश दिया है. करीब 14 साल पुराने इस मामले में बिहार के बुजुर्ग यात्री इंद्र नाथ झा को न्याय मिला है. दिल्ली के दक्षिण जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ईस्ट सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर को हर्जाना देने का आदेश दिया है.