- आरटीआई से यह सामने आया कि सीनियर सिटीजंस की रियायतें वापस लेकर रेलवे हर दिन कमा रहा चार करोड़
Senior Citizens Concession. कोरोना के समय 20 मार्च 2020 को लॉकडाउन के समय रेलवे ने अचानक एक फैसले में अन्य रियायतों के साथ सीनियर सिटीजंस को ट्रेन किराए में दी जाने वाली छूट को वापस ले लिया था. तब यह सवाल उठाये गये थे क्या देश की बुजुर्ग पीढ़ी के लिए सरकार के पास 1500 करोड़ भी नहीं है. आखिर रेलवे ने सीनियर सिटीजन की रियायत घाटे का सौदा बताकर क्यों खत्म कर दिया ?
हालांकि अब इसका जबाव सामने आ गया है. दरअसल रेलवे ने बुजुर्गों की इस सुविधा को छीनकर चार साल में ही 5800 करोड़ की कमाई कर ली है. यानी रेलवे ने हर दिन 4 करोड़ की कमाई की है. मजे की बात है कि बुजुर्गों की सुविधा वापस लेने का विरोध किसी स्तर पर जनप्रतिनिधियों ने नहीं किया. इसे रेलवे के राजस्व का मुद्दा बताया गया और ये माननीय उन सारी सुविधाओं का उपभोग इसके बाद भी करते रहे.
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हालांकि सीनियर सिटीजन के रियायती टिकट ( Concession Ticket) की सेवा रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने यह कहते हुए शुरू से इंकार कर दिया था कि रेलवे के पैसेंजर सेगमेंट का किराया पहले से ही काफी कम है और अलग अलग कैटगरी में रियायती टिकट दिए जाने के रेलवे को चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. ऐसे में अब इन लोगों को रियायतें नहीं मिलेंगी.
रेलमंत्री की सांसद में इस घोषणा की खूब आलोचना की गयी. लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली और कहा कि करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करने वाली सरकार के बाद देश की बुजुर्ग पीढ़ी को देने के लिए क्या 1500 करोड़ रुपये भी नहीं है. यह देश की एक पीढ़ी को सम्मान से वंचित करने जैसा कदम नहीं ? क्या रेलमंत्री व सरकार को इस पर विचार नहीं करना चाहिए? लोगों ने सोशल मीडिया पर लोग सरकार को भ्रष्टाचार व फिजुलखर्ची को रोक लगाने की सलाह भी दी थी.
अब एक आरटीआई के जवाब से यह पता चला है कि रेलवे ने बुजुर्गों की राहत खत्म कर रोज करीब 4 करोड़ रुपए की कमाई की है. आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों से बताया गया कि सीनियर सिटीजंस की रियायतें वापस लेने के बाद भारतीय को 5,800 करोड़ रुपए अधिक कमाई हुई है. मध्य प्रदेश निवासी चंद्र शेखर गौड़ ने अलग-अलग समय पर आरटीआई कर जानकारी जुटाई की 20 मार्च, 2020 से 31 जनवरी, 2024 तक रेलवे ने इस मद में 5,875 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त राजस्व कमाया है.
गौड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आरटीआई अधिनियम के तीन आवेदन में पहले में रेलवे ने 20 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक का अतिरिक्त राजस्व आंकड़ा मुहैया कराया. दूसरे आवेदन में एक अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक का आंकड़ा सामने आया. वहीं फरवरी, 2024 में दाखिल तीसरे आवेदन से मुझे एक अप्रैल, 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक का ब्योरा मिला. आकड़ों से पता चला कि चार साल में 13 करोड़ पुरुष, नौ करोड़ महिला और 33,700 ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों ने लगभग 13,287 करोड़ रुपये का कुल राजस्व देकर ट्रेन यात्राएं की. महिलाओं के लिए 50 फीसदी और पुरुष एवं ट्रांसजेंडर सीनियर सिटीजंस के लिए पहले लागू 40 फीसदी रियायत की गणना करने पर यह राशि 5,875 करोड़ से अधिक बनती है.
हालांकि अब भी कई मंचों से सीनियर सिटीजंस को ट्रेन किराए में छूट देने की मांग उठायी जाती रही है. यह सवाल उठाने वालों का कहना है कि देश की इस पीढ़ी को इस छूट से वंचित कर सरकार क्या हासिल करना चाहती है जबकि करोड़ों-करोड़ों रुपये उन योजनाओं पर खर्च किये जा रहे जिनकी उपयोगियता को लेकर बार- बार सवाल उठाये जाते रहे हैं.